हसदेव अरण्य क्षेत्र में मानव-हाथी द्वंद युद्ध कैसे हो रहा है, कहीं यह साजिश तो नहीं है ?
भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भी अपने रिपोर्ट मे कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में पूरे वर्ष-भर हाथी रहते हैं। इस रिपोर्ट के चेतावनी के बाद भी शासन-प्रशासन मौन धारण किए हुए हैं। यही कारण है कि हसदेव अरण्य कोल्ड फील्ड क्षेत्रों और उसके आस-पास के इलाकों में मानव और हाथियों का द्वंद युद्ध सरगुजा संभाग में शुरू हो गया है और अभी एक सप्ताह में दो लोगों की मौत हो चुकी है।
राज्य एवं केन्द्र सरकार के नुमाइंदे शांत रहकर तमाशा देख रहे हैं, जो किसी बड़ी घटनाओं में तब्दील हो सकती है, अभी सरगुजा संभाग के आम जनता अपना जान जोखिम में डालकर हाथियों के बीच डरे-सहमें जीवन गुजार रहे हैं, यह बहुत ही बड़ी चिंता का विषय है। सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के ग्राम हरिहरपुर, घाट बर्रा ,दौलतपुर, लक्ष्मणगढ़ सहित सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकास खंड के कुछ गांव में भी हाथियों ने उत्पात मचाते हुए कोरिया जिला की ओर रवाना हुए हैं।
हसदेव बचाओ आन्दोलन को कुचलने के लिए जानबूझकर तो हाथियों को इस क्षेत्र में नहीं छोड़ा है ?
सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग में अभी हसदेव बचाओ आंदोलन चल रहा है और इस प्रभावित गांवों में भी हैं, आठ-दस हाथियों का झुंड दिखाई दे रहे है। हसदेव बचाओ आंदोलन क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कहीं सरकार और अदानी कंपनी हसदेव बचाओ आन्दोलन को कुचलने के लिए जानबूझकर तो हाथियों को इस क्षेत्र में नहीं छोड़ा है ? यह लोगों में बहुत चिंता का विषय बना हुआ है। सूरजपुर जिले के जिला वन मंडलाधिकारी अधिकारी श्री संजय यादव का कहना है कि हम लोगों को हाथियों से बचने का उपाय के बारे में जागरूक कर रहे हैं । गांवों के कोटवार इत्यादि से माध्यम से गांवों में मुनादी कराके हाथियों से दूर रहने का अपील भी हमारे वन कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। हाथियों को किसी भी तरह से गांव-बसाहट क्षेत्र से दूर ले जाने का उपाय किए जा रहे हैं।
सरकार को पूंजीपतियों के दबाव में ना आते हुए जनहित में काम करने की आवश्यकता है
इस तरह के घटनाओं को देख कर के ऐसा लगता है की यदि हसदेव अरण्य क्षेत्र का जंगल अडानी कंपनी के दबाव में आकर उजाड़ दिया जाता है, तो मानव-हाथी द्वंद युद्ध बढ़ जाएगा, जिसे काबू पाना बहुत मुश्किल होगा। राज्य एवं केंद्र सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर, मिलकर हसदेव अरण्य क्षेत्र के लोगों के मांगों को विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है और पूंजीपतियों के दबाव में ना आते हुए जनहित में काम करने की आवश्यकता है।