राजाराव पठार में 32% आरक्षण की मांग को लेकर 10 दिसंबर को आदिवासी समाज करेगा उग्र आंदोलन होगा चक्का जाम
छत्तीसगढ़। गोंडवाना समय।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज को 2012 से मिल रहे 32% आरक्षण को समाप्त किए जाने से समाज में भारी आक्रोश है। 32% आरक्षण की पुन: बहाली हेतु लगातार सरकार से मांग की जा रही है लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा अब तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हुआ है।
राज्य शासन द्वारा चिकित्सा शिक्षा विभाग में एमबीबीएस एवं बीडीएस की भर्ती में 32%आरक्षण न देकर भारी नुकसान किए हैं। आजादी के पहले 1857 में शहीद वीर नारायण सिंह ने जल ,जंगल, जमीन की रक्षा हेतु हक अधिकार की लड़ाई लड़े थे।
आरक्षण खत्म होने से समाज में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है
उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर सवैधानिक हितों की रक्षा हेतु 2012 से पहले लगातार प्रत्येक वर्ष राजाराव पठार में 32% आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन धरना प्रदर्शन करते थे। परिणाम स्वरूप सामाजिक एकता, समाज के वरिष्ठ जनों एवं पुरखा शक्ति के आशीर्वाद से 32% आरक्षण मिला था। इसके लिए समाज के कई लोगों के खिलाफ एफआईआर हुआ था। भारी संख्या में समाज के लोगों को जेल में डाला गया था।
आज आरक्षण को खत्म कर पुन: यही स्थिति सरकार ने ला दिया है। आरक्षण खत्म होने से समाज में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है। ऐसी स्थिति में मड़ई मेला का आयोजन किया जाना मतलब हमारे वीर शहीदों के त्याग का अपमान होगा। इसलिए हमारे हक अधिकार हनन होने के कारण इस वर्ष मेला का स्वरूप बदल जाएगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर कानून बनाकर सरकार को 32% आरक्षण तत्काल बहाली करने हेतु बाध्य करेंगे
इस वर्ष शहीद वीर नारायण सिंह को यादकर 10 दिसंबर को राजाराव पठार में पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज धरना प्रदर्शन आंदोलन कर छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर कानून बनाकर सरकार को 32% आरक्षण तत्काल बहाली करने हेतु बाध्य करेंगे।
वीर मेला के फाउंडर मेंबर श्री मायाराम नागवंशी जी ने सामाजिक जनों से अपील किए हैं कि शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान को चीर स्थाई बनाए रखने के लिए 2012 के पहले की तरह तन-मन-धन से इस आंदोलन को सफल बनाएं। राज्य स्तर पर आदिवासी समाज के सभी संगठनों को प्रेस मीडिया के माध्यम से आंदोलन में सम्मिलित होने की अपील के साथ उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर के आंदोलन को सफल बनाने हेतु आसपास के जिले जिसमें धमतरी, कांकेर, बालोद, गरियाबंद, दुर्ग प्रमुख है में अतिशीघ्र बैठक लेकर आंदोलन की रूपरेखा तय की जावेगी।