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75 सालो के बाद भी दलित, शोषित, वंचित वर्ग कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है

75 सालो के बाद भी दलित, शोषित, वंचित वर्ग कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है

मि. टेकेश्वर सिंह परस्ते ने सेमीफाइनल मुकाबला जीत कर फाइनल में प्रवेश किया


नई दिल्ली। गोंडवाना समय। 

एनएचआरसी डिबेट 2023 न्यू दिल्ली राष्ट्रीय मानव अधिकार कमीशन भारत सरकार के द्वारा आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता का सेमीफाइनल मुकाबला चाणक्य पूरी न्यू दिल्ली में किया गया।
            


जिसमें सेन्ट्रल आर्म्स पुलिस फोर्स बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एआर, आरपीएफ, एनएसजी, एसएसबी के जोनल में प्रथम एवं दूसरा स्थान प्राप्त 64 प्रतिभागियों के बीच सेमीफाइनल कड़ा महामुकाबला हुआ।

जिसमें उमरिया जिला के छोटा सा गाँव करही से मि. टेकेश्वर सिंह परस्ते राष्ट्रीय स्तर के मंच पर विषय के विपक्ष में अपने विचार रखते हुये जबरजस्त दलील पेश किया। 

शोषित वर्ग रोटी, कपड़ा, मकान जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है 


मि. टेकेश्वर सिंह परस्ते ने निष्कर्ष में कहा भू-मण्डलीकरण के दौर में विकास के मार्ग पर कैंसर का रूप धारण कर चुकी नक्सलवाद समस्या का कारण और कोई नहीं बल्कि हम है, हमारी दोष पूर्ण नीतियां है, पशुपति से लेकर तिरुपति तक समाज का बड़ा भाग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है तो वही एक वर्ग 5 जी इंटरनेट वाईफाई जैसे सुविधाओं से सुसज्जित एशोआराम कि जिंदगी बिता रहा है तो दूसरी और वह शोषित वर्ग रोटी, कपड़ा, मकान जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। 

जिसमें एसपी, कलेक्टर, डीएफओ सहित 269 लोगों को दोषी करार दिया है


आजादी का अमृत उत्सव मना रहा देश के 75 सालो के बाद भी दलित, शोषित, वंचित वर्ग कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है। मि टेकेश्वर सिंह परस्ते ने मणिपुर कि घटना एवं तमिलनाडू के वाचथी ग्राम कि घटना जिसे हाल ही में माननीय उच्च न्यायालय मद्रास ने 31 सालो बाद फैसला सुनाया है जिसमें एसपी, कलेक्टर, डीएफओ सहित 269 लोगों को दोषी करार दिया है।
                इस घटना में जब उस आदिवासी गांव में कहर भरपाया जा रहा था उस वक्त के खौपनाक मंजर के बीच मानव अधिकार कभी कुंआ में डूबता तो कभी चुल्लू भर पानी में कभी पेड़ से लटकता तो कभी घुटने टेक कर रहम कि भीख मांगता रहा। 

सीनियर अधिकारियों के साथ-साथ सैकड़ो लोंगो ने सराहना किया 


इसके बाबजूद उत्पात मचाते हुये 18 आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया था जिसमे एक 8 माह कि गर्ववती महिला और 13 वर्षीय मासूम बच्ची शामिल है। सदन में मौजूद आईएएस, आईपीएस जैसे सीनियर अधिकारियों के साथ-साथ सैकड़ो लोंगो ने सराहना किया, मि.टी एस परस्ते ने तरह तरह के मन मोहक दलील एवं हृदयविदारक घटनाओं को बेवाकी से पटल पर रखते हुये सेमीफाइनल मुकाबला जीत कर फाइनल में प्रवेश किया। 

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