24 आदिवासी सीटों पर भाजपा, 22 पर कांग्रेस जीती तो 1 पर बाप का कब्जा
उमरिया जिले की बांधवगढ़ और मानपुर सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली
भोपाल। गोंडवाना समय।
मध्यप्रदेश की कुल 47 अनुसूचित जनजाति सीटों में से 24 सीट भाजपा को, 22 कांग्रेस को एक भारत आदिवासी पार्टी को मिली है। वहीं 2018 में 30 आदिवासी सीटें कांग्रेस ने जीती थी।
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस को 66 सीटें ही मिल पाईं। उनमें 22 सीटें आदिवासी विधानसभा क्षेत्रों की हैं, हालांकि ज्यादातर सीटों पर जीत का अंतर डेढ़ हजार वोटों का रहा। मालवा निमाड़ में सबसे ज्यादा 22 सीटें अनुसूचित जनजाति की थीं। उनमें से 11 सीटें कांग्रेस जीती है।
जयस के साथ समझौता करने का फैसला भी कांग्रेस का सही रहा। तीन सीटों में से दो पर जयस समर्थित उम्मीदवार जीत गए। प्रदेश की कुल 47 अनुसूचित जनजाति सीटों में से 24 सीट भाजपा को, 22 कांग्रेस को एक भारत आदिवासी पार्टी को मिली है। 2018 में 30 आदिवासी सीटें कांग्रेस ने जीती थी।
इन सीटों ने ही सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अनुसूचित जाति की 35 सीटों में से इस बार भाजपा के हिस्से 26 सीटें आईं। कांग्रेस 9 सीटों पर ही जीत दर्ज करा पाई।
शहडोल जिले में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई
उमरिया जिले की बांधवगढ़ और मानपुर सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली लेकिन शहडोल जिले में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। यहां अनुसूचित जनजाति की जैतपुर, जयसिंह नगर, ब्योहारी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीते। चितरंगी में राधा सिंह, धौहनी में कुंवर सिंह टेकाम चुनाव जीते। दोनो भाजपा उम्मीदवार हैं। अनूपपुर जिले में आदिवासी सीटों का मामला बराबरी का रहा। अनुपपूर सीट पर भाजपा और पुष्पराज गढ़ सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा, जबकि कटनी की बड़वारा सीट भाजपा ने जीती।
सिवनी जिले में मामला बराबरी का रहा
उधर डिंडोरी जिले की शाहपुरा सीट भाजपा और डिंडोरी सीट कांग्रेस ने जीती। मंडला की तीन सीटों में से दो कांग्रेस के पास रही। मंडला सीट पर अशोक मर्सकोले को टिकट दिया, लेकिन वे जीत नहीं सके। कांग्रेस की सीटों का इजाफा करने में छिंदवाड़ा की दोनों आदिवासी सीटें मायने रखती हैं। सिवनी जिले में मामला बराबरी का रहा। एक सीट कांग्रेस और एक भाजपा ने जीती। बैतूल जिले की दोनों आदिवासी सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई।
मालवा निमाड़ रहा कांग्रेस के लिए रहा मददगार
मालवा निमाड़ की 22 आदिवासी सीटों पर दोनों ही दलों की नजर थी, लेकिन झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा। 22 में से 11 सीटें कांग्रेस के पास रहीं, जबकि दस सीटें भाजपा ने जीतीं। सैलाना सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के कमलेश डोडियार ने जीत दर्ज कराई है।
खरगोन जिले की दोनों आदिवासी सीटें भाजपा कांग्रेस से नहीं छीन पाई। आदिवासी अंचल की गंधवानी, कुक्षी, मनावर, सरदारपुर सीट पर पिछली बार की तरह कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा, लेकिन धरमपुरी में भाजपा ने परचम लहराया।
छत्तीसगढ़ में दलितों ने कांग्रेस पर तो आदिवासियों ने भाजपा पर जताया भरोसा
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि राज्य में दलितों ने कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया है। अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित 10 सीटों में से कांग्रेस को छह और भाजपा को चार सीटें मिली हैं। वहीं, अनुसूचित जनजाति (एसटी) यानी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित प्रदेश की 29 सीटों में भाजपा को 16, कांग्रेस 12 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को एक सीट मिली है।
वर्ष 2018 के चुनाव में एसटी वर्ग की 29 में से दो सीटें ही भाजपा के पास थीं। बाकी 27 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। इसी तरह एससी की 10 में सात पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और एक पर बसपा के विधायक थे। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने एसटी के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 26 सीटों पर और भाजपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी।
बाद में उपचुनाव के बाद कांग्रेस के पास 27 सीटें हो गई है और भाजपा के पास दो सीटें ही बचीं थी। इसके पहले 2013 के चुनाव में 29 में से 18 सीटों पर जीत के बाद भी कांग्रेस सत्ता से दूर थी। जबकि भाजपा 11 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इसके पहले वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने 29 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस को इन सीटों में से केवल 10 सीटों पर ही जीत मिली थी।