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बालाघाट सिवनी लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक आदिवासी मतदाताओं के भविष्य पर चिंतन मंथन कर बनायेंगे रणनीति

बालाघाट सिवनी लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक आदिवासी मतदाताओं के भविष्य पर चिंतन मंथन कर बनायेंगे रणनीति 

4 फरवरी 2024 को सर्व आदिवासी समाज लोकसभा क्षेत्र बालाघाट सिवनी की महत्वपूर्ण बैठक 


बालाघाट/सिवनी। गोंडवाना समय।
 

आदिवासी महापंचायत लोकसभा क्षेत्र बालाघाट सिवनी की आगामी लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मताधिकार का स्वामित्व आदिवासी समाज की चुनौती भरी हुंकार भरने विचार मंथन, निर्णय, रणनीति हेतु आदिवासी महापंचायत बालाघाट सिवनी लोकसभा क्षेत्र के सभी अनुसूचित जनजाति में आने वाली सक्रिय सभी जातियों


गोंड, बैगा, परधान, माना, बिंझवार, कंडरा, कोल, नंगारची, हल्बा, सहरिया, भरिया अन्य सभी के सामाजिक संगठनो के पदाधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ता गण, महिला पुरूष बुद्धिजीवियों, युवा-युवतियों सभी सगाजनो की उपस्थिति में आदिवासी महापंचायत की बैठक 4 फरवरी 2024 को समय दोपहर 12 बजे से रानी दुर्गावती सामुदायिक भवन बालाघाट में बैठक आयोजित की गई है। 

आदिवासियों के अधिक वोट प्रतिशत होने के बाद भी नेतृत्व नहीं मिलता 

जिसमे आगामी लोकसभा चुनावों के मद्धेनजर आदिवासी समाज की चुनावी रणनीति क्या होगी इस विचार मंथन किया जाना है। उक्त जानकारी देते हुये सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी भुवन सिंह कोर्राम ने बताया कि देश के संविधान में आदिवासियों एवं कमजोर वर्गों को उनके बाहुल्य क्षेत्रों में भारतीय संविधान में राजनैतिक प्रतिनिधित्व के लिए संवैधानिक वैधानिक अधिकार दिया गया।
             जहां से आरक्षित वर्ग का ही प्रत्याशी होता है पर और ऐसे भी बहुत से लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र है, जहां अधिकांशतय: यह देखा गया है कि जहां आदिवासियों के अधिक वोट प्रतिशत, बाहुल्य वोटर्स होने के बावजूद योग्य प्रत्याशी होने पर भी आदिवासी समाज वर्गों का नेतृत्व अस्तित्व में नहीं हैं। 

इस पर चिंतन अवश्य होना चाहिए

देश की बड़ी राजनैतिक पार्टियां कभी भी आदिवासियों को नेतृत्व करने का मौका इन क्षेत्रों में आदिवासी बाहुल्य वोटर्स होने के बाद भी नही देती हैं, केवल आरक्षित सीटों में ही नेतृत्व का अवसर प्रदान करती है ऐसा क्यों ? इन राजनैतिक पार्टियों ने जिन आरक्षित सीटों में नेतृत्व दिया है, उनका असरकारक ना होकर आदिवासियों एवं कमजोर वर्गो के संवैधानिक अधिकारों एवं हितो की रक्षा करने में असफल रहें है, इन राजनैतिक पार्टियों से चुनकर आए नेतृत्व कारगर असरकारक साबित क्यों नहीं हो पा रहे हैं ? क्योंकि इन पार्टियों से मजबूत योग्य नेतृत्व क्षमता वाले प्रत्याशियों को टिकट ना देना ही कमजोर नेतृत्व का कारण रहा है। इस पर चिंतन अवश्य होना चाहिए। 

संशोधन किए गए है, या खत्म कर कमजोर कर दिए गए

जिसके कारण इन पार्टियों की विचारधारा आदिवासियों एवं कमजोर वर्गों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कमजोर मापदंड होना ही है। क्योंकि देश में संविधान लागू हुए 73 साल बीत चुके हैं लेकिन देश की सत्ता पर काबिज रही इन राजनैतिक पार्टियों के कार्यकालों के दौरान आदिवासियों एवं कमजोर वर्गों के संवर्धन और संरक्षण के लिए संवैधानिक अधिकारों प्रावधानों को बिना अमल में लाए स्वयं के और राजनीतिक लाभ के लिए या तो संशोधित कर दिए गए हैं या तो खत्म कर बेअसरदार कर कमजोर कर दिए गए हैं।
                देश की सत्ता पर काबिज राजनैतिक पार्टियों के कार्यकालों के दौरान आदिवासियों एवं कमजोर वर्गों के संवैधानिक अधिकारों प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ कर संशोधन किए गए है, या खत्म कर कमजोर कर दिए गए, इसकी महत्वपूर्ण समीक्षा ना तो हमारे राजनायकों ने की और ना तो किसी बड़े सामाजिक संगठनों, ना तो सामाजिक विश्लेषकों ने नहीं किया हैं। 

गोंडवाना राज्य का ख्वाब दिखाकर 258 आदिवासी रियासतों को समाहित करवाने के बाद ठग लिया गया 

अब हमें राजनैतिक पार्टियों के बीते कार्यकालों का हमारे प्रति की गई रणनीतिक कार्यनैतिक कार्यकालों की समीक्षा की जानी अति महत्वपूर्ण है, और हमे जानकारी होना चाहिए कि हम इस देश के मूल बाशिंदों ने आजादी के बाद देश निर्माण में हमारी 258 आदिवासी रियासतों को इस देश में तत्कालीन सरकार ने गोंडवाना राज्य का ख्वाब दिखाकर 258 आदिवासी रियासतों को समाहित करवाने के बाद ठग लिया गया और इस अहम योगदान के बावजूद आजादी के 75 सालों के गुजरने पर आज तक हमने क्या खोया क्या पाया हैं ?
                इस बात पर विचार मंथन करना है, क्योंकि इन राजनैतिक पार्टियों की हमारे प्रति कमजोर विचारधारा ही जिम्मेदार है, जिसका खामियाजा हम वर्तमान परिस्थितियों में हम भुगत रहे है, जिसका कारण हम आए दिन निरंतर अत्याचार, अनाचार, बलात्कार, शोषण, हत्याएं, अन्याय से न्याय के लिए दर दर भटक रहे हैं। 

विशेष बजट प्रावधान होकर भी अनूसूचित क्षेत्रों के विकास की बदहाली गवाह है 

संविधान में आदिवासी बहुल्य क्षेत्रों में विशेष प्रावधानों के तहत विशेष बजट प्रावधान होकर भी अनूसूचित क्षेत्रों के विकास की बदहाली गवाह है कि आज भी आदिवासी समुदाय अपने मौलिक अधिकारों मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, सत्ता पर काबिज शासक वर्ग जानबूझ कर निष्क्रीयता के साथ हमारी जरूरतों से मुख मोड़ ले रहा रहा है, आश्वासन और समझौता रूपी अमृत पिलाकर-पिलाकर अमरत्व का बोध करवाया जा रहा है, जो हमारे साथ हो रहा है, हम सहन कर कर बैसाखी के सहारे अपने आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं। देश में हम बाहुल्य वोटर्स होकर भी मत का अधिकार को न्याय नहीं दे पा रहे है, हम हमारी वोटों की ताकत को समझ नहीं पा रहे है, यही कारण है, की देश में हम स्वयं के राजनैतिक प्रभुत्व को हम समझ नही पा रहे, जिसके हम हकदार है। हमारी ना समझी के कारण देश में आदिवासियों ओर कमजोर वर्गों के मताधिकार पर कब्जा करने के लिए राजनैतिक पार्टियां सांकेतिक राजनीति कर सत्ता हथियाने का खेला खेल रही है, इस बात को हमे समझना होगा। 

कूटनीति से आदिवासियों के मताधिकार पर कब्जा करके हमारा बेहद ही इस्तेमाल किया जाता रहा है 

जिस प्रकार से राजनैतिक पार्टियों की महत्वकांक्षा सत्ता की भूख बेहद ही कारगर कूटनीति से आदिवासियों के मताधिकार पर कब्जा करके हमारा बेहद ही इस्तेमाल किया जाता रहा है और इन पार्टियों से चुनकर हमारा नेतृत्व हम आदिवासियों एवं कमजोर वर्गों के लिए एक एजेंट बनकर उस राजनैतिक पाटीर्यों की सरकार में गुलामी कर रहा है।
            जो हमारे राजनीतिक वर्चस्व एवं भविष्य को कमजोर करता आया है, अब भी हम इस गहरी नींद से नहीं जाग सके तो कभी भी इस अंधियारे से व्याप्त रात की सुखद सुबह के दीदार नहीं कर पायेंगे, इस पर मंथन जरूरी है। इस देश के लोकतंत्र में संविधान सबसे बड़ा हाथियार है। इस हथियार को मानवमूल्यों और संवैधानिक विचारधारा से मजबूत इच्छाशक्ति का नेतृत्व ही इस देश की संसदीय प्रणाली में पहुंचकर इस हाथियार को कुशलता से सुरक्षित चलाकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को सुरक्षित रख सकता है।
            अब वह वक्त आ गया है कि अब आदिवासी एवं कमजोर वर्गों की एकजूटता के साथ ही सामाजिक एवं राजनैतिक विश्लेषण कर कंधे से कंधा मिलाकर आपसी समझबूझ के साथ एकदूसरे को सम्मान दो और सम्मान पाओ कहावत को चरितार्थ करने का प्रयास आज अब से शुरू करना ही, हम सभी के सुनहरे भविष्य का रास्ता प्रशस्त कर राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने में कारगर होगा।
            सभी सर्व समाज के शुभचिंतकों, विचारकों, मार्गदर्शकों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों से समाज के भविष्य और आनेवाली पीढ़ी के संरक्षण एवं उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने आपके मार्गदर्शन सहयोग की हार्दिक अपेक्षा करते हैं पुन: अपील करते है की इस आदिवासी महापंचायत में अपनी उपस्थिति से सहभागिता सुनिश्चित करें।


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