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पेसा एक्ट प्रशिक्षण में भाजपा के राज में लाखों का घोटाला


पेसा एक्ट प्रशिक्षण में भाजपा के राज में लाखों का घोटाला

प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान मुख्यमंत्री के राज में निरंतर जारी है पेसा एक्ट में घोटाला


सिवनी। गोंडवाना समय।

आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश के 20 जिले श्योपुर, रतलाम, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, नर्मदापुरम, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिंडौरी, बालाघाट, शहडोल, अनुपपूर, उमरिया और सीधी जिलों के 89 विकासखण्डों की 5 हजार 254 पंचायतों के 11 हजार 757 ग्रामों में पेसा एक्ट लागू है।                                     आदिवासियों को पेसा एक्ट की जानकारी देने व जागरूकता लाने के लिए केंद्र सरकार व मध्य प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपए पर डाका डाला गया है, पेसा एक्ट का प्रशिक्षण देने वाले विभाग जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार के राज में खुलेआम बेखौफ होकर डाका डालकर जमकर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता किया है।

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी से पेसा एक्ट लागू करवाया 


24 दिसम्बर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था लेकिन देश में सबसे अधिक आदिवासियों के घर यानी मध्य प्रदेश में कानून लागू करने में 27 साल लग गए। इससे पहले देश के 6 राज्यों हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र ने पेसा कानून बनाए गए हैं।
            वही मध्यप्रदेश के 11 हजार से अधिक ग्राम में महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी के हाथों शिवराज सरकार ने 15 नंवबर 2022 को पेसा एक्ट लागू करवाया लेकिन इस एक्ट को जमीन पर उतारना किसी चुनौती से कम नहीं था।
            हालांकि सरकार ने इसके लिए गंभीरता दिखाई थी और पेसा एक्ट को अमल में लाने का मुख्य दायित्व जिला कलेक्टरों को सौंपा गया था और इसे लेकर 22 नवंबर 2022 को संभवत: राजधानी भोपाल में एक बड़ी बैठक और कार्यशाला भी आयोजित की गई थी। इसके अलावा 20 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक प्रदेश भर में 11 हजार 757 गांवों में ग्राम सभाएं भी हुई थी लेकिन पेसा एक्ट को लेकर कार्यशाला व प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ों का मध्यप्रदेश में घोटाला हुआ है।

लेकिन इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है 

सरकार भोपाल से नहीं चौपाल से चले इस संबंध में पेसा एक्ट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि हमें एक नया इतिहास रचना है। जनजातीय वर्ग को जल, जंगल और जमीन के अधिकार देने के लिए पहली बार गंभीर प्रयास हुआ है। अब सरकार भोपाल से नहीं चौपाल से चले, इसके लिए विकेंद्रीकरण की दृष्टि से कार्य किया जाएं, उन्होंने कहा कि पेसा नियमों के बारे में नुक्कड़ नाटक, दीवार लेखन और अन्य माध्यमों से आवश्यक प्रचार भी किया जाएं लेकिन इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है।

समन्वयक की नियुक्ति में गड़बड़ी किए जाने पर सवाल खड़े हुए थे 

पेसा एक्ट लागू करने और क्रियान्वन करने में मध्य प्रदेश सरकार ने लगभग 27 वर्ष से अधिक का समय लगा दिया था वहीं पेसा एक्ट लागू करने के पीछे भाजपा की सरकार की मनसा मध्य प्रदेश के आदिवासियों को लुभाने का एक तरीका था।
            पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश में महामानव बिरसा मुंडा जी की जयंती पर पेसा एक्ट को लागू महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी की उपस्थिति में करवाया गया था।
             इसके पीछे भाजपा यही कारण बता रही थी की पेसा एक्ट के लागू करने से आदिवासियों को उनका संवैधानिक अधिकार मिलेगा उनका गाँव में राज होगा, लेकिन पेसा एक्ट को लागू करने के बाद मध्य प्रदेश में इसे क्रियान्वित करने के लिए मध्य प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखंड में जिला समन्वयक एवं ब्लॉकों में समन्वयक की नियुक्ति में गड़बड़ी किए जाने पर सवाल खड़े हुए थे। 

पेसा एक्ट के प्रशिक्षण में अपनी बपौती व संपत्ति समझकर लूटा


इसके साथ ही पेसा एक्ट को गांव-गांव में प्रचार प्रसार करने और विशेषकर आदिवासियों व आदिवासी जनप्रतिनिधियों को पेसा एक्ट की जानकारी देने व जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण देने के लिए करोड़ों रुपए का बजट केंद्र सरकार व मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आदिवासी बाहुल्य राज्य मध्य प्रदेश में दिया गया था।
             इस बजट को प्रशिक्षण देने वाले विभागीय अधिकारियों ने और कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति और बपौती समझ कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि पेसा एक्ट के प्रशिक्षण में हुए घोटाले की जानकारी केंद्र से लेकर मध्य प्रदेश जहां पर भाजपा की सरकार है उन्हें व यहाँ पर पदस्थ प्रशासनिक उच्च अधिकारियों को भी है लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई वरन सरकारी बजट व धनराशि में डाका डालने वाले डाकुओं को संरक्षण दिया जाता रहा है।
                इसी का फायदा उठाकर आज भी प्रशिक्षण देने वाले विभाग में बैठे डाकू डाका डाल रहे हैं इन्हें कोई डर नहीं है, इसके पीछे प्रशिक्षण देने वाले विभाग के अधिकारी कहते हैं कि घोटाला के रुपए में राज्य से लेकर केंद्र स्तर के उच्चाधिकारियों तक हिस्सा पहुंचाते हैं इसलिए हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

भ्रष्टाचार को खुलेआम दिया अंजाम

पेसा एक्ट के प्रचार प्रसार और जागरूकता लाने के लिए आदिवासियों को प्रशिक्षण देने के नाम पर करोड़ों का घोटाला कर अपनी तिजोरी भरने वाले अपनी सुख सुविधा जुटाने  वाले अधिकारी कर्मचारी ने इतनी दिलेरी से प्रशिक्षण देने के नाम पर घोटाला किया है की अनेक स्थानों पर कागजों में ही प्रशिक्षण दे दिया गया है और लाखों रुपए का भुगतान कर भ्रष्टाचार को खुलेआम अंजाम दिया गया है।
                    प्रशिक्षण देने वाले अधिकारी व कर्मचारियों  ने आदिवासियों के नाम पर जमकर लूटपाट मचाया है। बताया जाता है कि इसमें भाजपा के कुछ नेताओं और जनप्रतिनिधि की भी घोटाले में बराबर की हिस्सेदारी है। यही कारण है कि लूट मचाने वाले और डाका डालने वाले प्रशिक्षण देने वाले इन अधिकारियों और कर्मचारी पर ना कोई कार्रवाई हो पाई ना ही उनका कोई स्थानांतरण हो पाया है, केंद्र सरकार व मध्य प्रदेश सरकार यदि पेसा एक्ट के तहत दिए गए प्रशिक्षण में खर्च हुए बजट का भौतिक सत्यापन ईमानदारी से करवा लें तो प्रधानमंत्री की यह बात की ना किसी को खाने दूंगा ना खुद खाऊंगा इसका प्रमाणीकरण स्वत स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगा की भाजपा की सरकार में पैसा एक्ट के नाम पर और आदिवासियों के नाम पर करोड़ों रुपए का खुलकर घोटाला करते हुए बेखौफ होकर डाला गया है।

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