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सरदार पटेल यूनिवर्सिटी बालाघाट में जमकर चल रहा फजीर्वाड़ा

सरदार पटेल यूनिवर्सिटी बालाघाट में जमकर चल रहा फजीर्वाड़ा

बालाघाट। गोंडवाना समय।

लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकिट पाने के लिये सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के कुलपति दिवाकर सिंह ने राष्ट्रीय समाचार पत्र के सर्वे में अपने नाम का समर्थन करने के लिये निर्देशित किया था और वहां के विद्यार्थियों ने समर्थन भी किया था। फर्जीवाड़ा की गहरी जड़ वाली सरदार पटेल यूनिवर्सिटी में कई खामियां है।
        


विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट जिले के वारासिवनी रोड़ स्थित डोंगरिया में सरदार पटेल युनिवर्सिटी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। रूपया दो परीक्षा में बैठालने का खेल भी चल रहा है।  टीसी लेने के नाम पर फ्राड किया जा रहा है। यदि सरदार पटेल युनिवर्सिटी बालाघाट में उच्च अधिकारियों के द्वारा जांच की जाए, तो फजीर्वाड़ा का खेल सामने आ जाएगा। 

उच्च स्तरीय निष्पक्षता से जांच हो तो आयेगी सत्यता सामने 

सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के टीचर व प्रोफेसर हैं उनकी योग्यता क्या है, संबंधित पद हेतु योग्यता की अनिवार्यता क्या है। टीचर, प्रोफेसर की छोड़ो सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के निर्देशक ही कैसे और किस आधार पर बने है। इसका खुलासा शासन की उच्च स्तरीय टीम करवा दे तो सरकार के शैक्षणिक विकास और शिक्षा माफियाआें की पोल खुलकर सत्यता सामने आ जायेगी। 

कुलपति दिवाकर सिंह ने बच्चों से जबरदस्ती करवाया अपने नाम का सर्वे


लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकिट लेने के लिये सर्वे में अपने नंबर बढ़ाने के लिये कुलपति दिवाकर सिंह ने क्या खेल खेला था वह शिक्षण संस्थान के लिये कतई उचित नहीं है। सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अपना नाम गुप्त रखते हुए जानकारी दिया कि शिक्षा के मंदिर में बच्चों से राजनीतिक उपयोग करवाया जाता है।                                 लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय समाचार पत्र ने अपने पोर्टल के माध्यम से सर्वे किया था कि बालाघाट लोकसभा से किसे टिकट मिलेगी, तो सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के कुलपति दिवाकर सिंह ने क्लास कोआॅर्डिनेटर को निर्देश दिया कि सभी बच्चों से अपना समर्थन कराते हुये स्वयं का नाम लिखने को कहा। बच्चों को व्हाट्सएप में लिंक सेंड कर दिवाकर सिंह का नाम लिखने को कहा गया था। 

परिवार के लोगों को ही सौंप दी बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी

जानकारी के अनुसार चांसलर दिवाकर सिंह ने शिक्षा को धंधा बना दिया है। परिवार व अपने संबंधियों को ही प्रो चांसलर (वीरेश्वर सिंह छोटे भाई), (मंजीत सिंह भांजे ) व अन्य संबंधियों को बड़े-बड़े पद और जिम्मेदारी सौंप दी है।

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