रानी दुर्गावती शासकीय महाविद्यालय कालेज परसवाड़ा में वीरांगना रानी दुर्गावती मंडावी जी बलिदान दिवस मनाया गया
परसवाड़ा। गोंडवाना समय।
दिनांक 24 जून 2024 दिन सोमवार को बालाघाट जिले जनपद पंचायत परसवाड़ा के रानी दुर्गावती महाविद्यालय परसवाडा़ में गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन परसवाड़ा के नेतृत्व पर गोंडवाना की वीरांगना महारानी दुर्गावती मंडावी जी का 460 वाँ बलिदान दिवस मनाया गया।
सर्व प्रथम गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना महारानी दुर्गावती मंडावी जी की प्रतिमा पर गोंड आदिवासी समुदाय के गोंडी रिती रिवाज (परम्परा) अनुसार रानी दुर्गावती महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एल एल घोरमारे एवं छात्र छात्राओं द्वारा गोंगो कर, हल्दी चावल से तिलक लगाकर सतरंगी ध्वजा फहराकर अद्धांजलि अर्पित किया गया।
अपने शौर्य साहस, वीरता, बलिदान से एक नई इतिहास लिखी
वीरांगना रानी दुर्गावती मंडावी के शौर्य साहस, एवं बलिदान को स्मरण करते हुए रानी दुर्गावती महाविद्यालय परसवाड़ा के प्राचार्य डॉ एल एल घोरमारे ने कहा कि भारत देश की गोंडवाना साम्राज्य की महान वीरांगना रानी दुर्गावती मंडावी ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए।
अपने शौर्य साहस, वीरता, बलिदान से एक नई इतिहास लिखी। उनका साहस, और बलिदान हमेशा देश के नौजवान युवाओं और देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा। गोंडवाना मातृभूमि के लिए लड़ने और बचाने के लिए वीरांगना महारानी दुर्गावती मंडावी ने अपना अनमोल योगदान दिया है। भावी पीढ़ी उनके विचारों को हमेशा अपने शब्दों से नवाजता रहेगा।
पूरे भारत के लोग उनके आंगे नतमस्तक रहेगा
साथ ही वीरांगना रानी दुर्गावती के व्यक्तित्व/ कृतित्व बहुमुखी प्रतिमा एवं उनके शौर्य पराक्रम सैन्य पर प्रकाश डालते हुए सुनेश शाह उइके अध्यक्ष रानी दुर्गावती महाविद्यालय कालेज परसवाड़ा ने कहा कि महारानी दुर्गावती मंडावी केवल गोंडवाना की नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष की वीरांगना और गौरव है। पूरे भारत के लोग उनके आंगे नतमस्तक रहेगा।
अकबर को छट्टी का दूध याद दिला दिया
वीरांगना रानी दुर्गावती ने अपने पराक्रम संघर्ष से अकबर के जुल्म के आंगे झुकने से इंकार कर स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि को चुना और अबकर को छट्टी का दूध याद दिला दिया। वीरांगना रानी दुर्गावती ने मुस्लिम राजा अकबर के सेनाओं को कई दफा युद्ध में परास्त किया।
मुस्लिम सेना इतने भयभीत हो गए कि उन्होंने गोंडवाना साम्राज्य की ओर झांकना ही बंद कर दिया। अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए। अंत में वीरांगना रानी दुर्गावती 24 जून 1564 को बलिदान दे दिया। स्वराज और गोंडवाना राज्य के लिए लड़ते हुए अपना बलिदान देने वाली वीरांगना रानी दुर्गावती जी का जीवन सदैव आने वाली भावी पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
महिलाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है
इस दौरान छात्रा अमिषा मरकाम ने भी कहा कि रानी दुर्गावती का जीवन संघर्षों से भरा था। आज की महिलाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। महिलाएं अबला नहीं हमेशा सबल रही हैं। रानी दुर्गावती जुल्म के आगे कभी झुकी नहीं। अपने राज्य की स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए उन्होंने युद्ध को चुना और 24 जून को वीरगति को प्राप्त हो गई। उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपना भाई भी बनाया था। मुगल बादशाह ने राखी को स्वीकार करते हुए उन्हें ढेर सारा उपहार भी दिया था।
इस दौरान ये रहें उपस्थित
डॉ एल एल घोरमारे प्राचार्य रानी दुर्गावती महाविद्यालय परसवाडा़, श्री अरूण वैघ, श्री सीतल चौके, डॉ विशाखा, श्री गनवीर सर, श्री सुदर्शन सर, श्री देवश्रषि भलावी, एवं महाविद्यालय के जीएसयू छात्रसंघ अध्यक्ष सुनेश शाह उइके, जयोति पटेल, गायत्री बिसेन, नुखसार अवैशी, अमिषा मरकाम, रविना भलावी, प्रीती परतें, सविता परतें, प्रीती उइके, शिवानी उइके, रूक्मणी इनवाती, सीमा मरकाम, आदि रानी दुर्गावती महाविद्यालय परसवाडा़ के समस्त शिक्षक गण एवं छात्र छात्राएं इस बीच उपस्थित रहे।