भ्रष्टाचार की दरार से स्टाप डेम में रिस रहा पानी, 15 लाख में ठेकेदार के साथ कौन-कौन अधिकारी बने हिस्सेदार
गुणवत्ताहीन का प्रमाण, कौन है जितेंद्र सिंह ठेकेदार, स्टापडेम में भ्रष्टाचार, 15 लाख भी हुए लाचार
एक माह पूर्व बना स्टाप डेम बता रहा भाजपा के राज में मिल बांटकर खाने का सच
जनपद पंचायत छपारा के खैरी पंचायत के मेहराटोला में ठेकेदारी प्रथा से बना स्टाप डेम
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी विकासखंड और जनपद पंचायत छपारा में कहने को तो आदिवासी सरपंच जनप्रतिनिधि बने हुये है लेकिन अधिकांश सरपंचों पर हुक्म आज भी ठेकेदारों का चल रहा है। ठेकेदारों ने जनपद पंचायत छपारा की ग्राम पंचायतों में ऐसी घुसपैठ बनाकर रखे हुये है कि इन्हें रोक पाना सरकार के बस की बात नहीं है।
जब से भाजपा का राजपाठ मध्यप्रदेश में चल रहा है उसके बाद ठेकेदारों ने सत्ताधारी दल के संगठन के पदाधिकारी बनकर और सत्ता सरकार में अपनी पहुंच बढ़ाकर आदिवासी विकासखंड छपारा को लूट का सुरक्षित अड्डा बना लिया है।
भाजपा की सरकार में ठेकेदारों को पूरा संरक्षण भी मिल रहा है। एक माह पूर्व ही बने 15 लाख रूपये की लागत का स्टापडेम में दरार आ चुकी है और पानी का रिसाव हो रहा है। प्रशासकीय और तकनीकि अमला 15 लाख में अपना अपना हिस्सा लेकर भ्र्रष्टाचार की दरार को भरने की कोशिश कर रहे है।
सरकार की योजना को कर रहे मटियामेट
गौर से वीडियों में देखें, ठेकेदार और अधिकारियों की भ्रष्टाचार की भूख के कारण कैसे धार के साथ रिस रहा है पानी
स्टाप डेम से वॉटर लेबल नहीं धन दौलत बढ़ा रहे ठेकेदार और अधिकारी
जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ललिता रावेन शाह उईके ने बताया कि स्टाप डेम का उद्देश्य होता है कि पानी स्टोर किया जाकर जल संवर्धन एवं जल संरक्षण किया जाए, जिससे भूमि में पानी का स्रोत बना रहे इसलिए ज्यादा से ज्यादा चेकडेम/स्टापडेम बनाए गए हैं। छपारा जनपद पंचायत की अनेकों ग्राम पंचायतों में हकीकत कुछ और ही है स्टाप डेम केवल पैसे कमाने और मोटी रकम बचाने का साधन बन गया है। ठेकेदार और विभागीय अधिकारी स्टाप डेम में पानी रोककर एकत्र करके वॉटर लेबल बढ़ाने में कम रूची दिखा रहे है वरन स्टाप डेम में भ्रष्टाचार करके अपना अपना हिस्सा लेकर धन दौलत एकत्र करके ितजोरी में रूपया भरने और बढ़ाने का कार्य कर रहे है।
खुली रिश्वत का इंतजार करते रहते हैंंं एसडीओ
इसके पूर्व में भी जिला पंचायत सदस्य ने बार-बार यह मांग उठाई थी कि हमे शासन के धन के दुरुपयोग के लिए डेम निर्माण की स्वीकृति रोक देनी चाहिए लेकिन ऐसा हुआ नहीं, मनरेगा योजना से सबसे ज्यादा मजदूरी की जगह मटेरियल के लिए डेम के कार्य जिला पंचायत, आरईएस ई कार्यालय से स्वीकृत हुए हैं। जिसमे आरईएस के एसडीओ डेहरिया का बड़ा योगदान है जो खुली रिश्वत का इंतजार करते रहते हैंं उन्हीं के संरक्षण में जनपद का इंजीनियर कमीशन का बीज रोपे हुए हैं।
कारीगरों व मजदूरों ने बताया जितेन्द्र सिंह ठेकेदार करवा रहे बाऊंड्रीवाल का निर्माण कार्य
आपको बता दे कि आज भी कई निर्माण कार्यों की टी.एस./ए.एस. की फाइल आरईएस से सीधे ठेकेदारों के हवाले होती है। यही हाल जनपद पंचायत छपारा में है, जहां टी.एस./ए.एस./साइड आॅर्डर बुक उपयंत्रियो, सहायक यंत्री के पास नहीं मिलती है।
इसका भी यह प्रमाण है कि बाउंड्री बाल निर्माण कार्य केवलारी पंचायत में चल रहा है। वहीं जब जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ललिता रावेन शाह क्षेत्र के भ्रमण पर पहुंची थीं इस दौरान उन्होने कारीगरों और मजदूरों से पूछा कि यह काम कौन करा है और किसका है तो उन्होंने बताया कि कोई जितेन्द्र सिंह ठेकेदार है, जब उनसे स्टीमेट मांगा गया तो उन्होने फिर यही कहा है कि वो ठेकेदार के पास ही है। फिर भी नियाम विरुद्ध कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं जबकि पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा लागू नहीं होती है ?
निर्माण कार्यों में घटिया स्थिति क्यों है ?
जनपद पंचायत छपारा में गौण खनिज मद, स्टांप शुल्क व अधोसंरचना का सबसे अधिक निर्माण कार्य स्वीकृत होते हैं। इसकी क्या वजह है क्या भाजपा सरकार केवल सिवनी जिले की छपारा जनपद की ही चिंता कर रही है। यदि चिंता है तो अच्छी गुणवत्ता क्यों नहीं मिलती है। निर्माण कार्यों में घटिया स्थिति क्यों है, क्या ग्राम पंचायतें ऐसा कर रही है तो इसकी मुख्य वजह है छपारा जनपद के ठेकेदार जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में डाका डाले हुए जिससे आज करोड़ों के मालिक बन बैठे हैं।
मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल संज्ञान लेंगे
ठेकेदारी प्रथा में जितेन्द्र सिंह का नाम बार-बार आता है, आखिर जिला प्रशासन इन पर मेहरबान क्यों है, कभी जितेन्द्र सिंह ठेकेदार के कार्यों की जांच क्यों नहीं होती है, भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया जा रहा है। आखिर उपयंत्री, सहायक यंत्री आंख बंद कर मूल्यांकन क्यों करते हैं।
इससे स्पष्ट होता है कि पूरा सिस्टम जितेन्द्र सिंह ठेकेदार का गुलाम बना हुआ हैं और उसके हिसाब से चल रहा है। क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल संज्ञान लेंगे।
जिससे भारतीय जनता पार्टी सरकार की योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को वास्तविकता में मिल सके ग्राम का विकास हो सकें। सिवनी जिला पंचायत सीईओ घटिया निर्माण का जायजा लेकर पुनर्निर्माण के लिए आदेश देंगे, यह सवाल आम चर्चा में बन गया है ?