दलसागर तालाब में बने आदिवासियों के देवस्थल में आने-जाने के लिये ब्रिज निर्माण का कार्य जल्द पूर्ण कराया जावे
माननीय एनजीटी न्यायालय के द्वारा दिये गये आदेश के बाद आदिवासी समाज कर पुर्नविचार की मांग
9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के दिन जिले भर के आदिवासी जुटेंगे और दलसागर के देव स्थल पर पहुंचकर करेंगे पूजन पाठ
सिवनी। गोंडवाना समय।
दलसागर तालाब में बने ब्रिज निर्माण के पिल्लर को तोड़ जाने व रोक लगाये जाने के आदेश माननीय एनजीटी के द्वारा दिये जाने के बाद से ही आदिवासी समाज के बीच में दलसागर तालाब सौंदर्यीकरण कार्य व ब्रिज निर्माण कार्य को लेकर चर्चा, विचार-विमर्श प्रारंभ हो गया था।
आदिवासी समाज के सामाजिक संगठनों ने एकमतेन सर्वसम्मिति से निर्णय लिया है कि दलसागर तालाब में ब्रिज निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जावे। इस संबंध में जो माननीय एनजीटी का निर्णय आया है उसको लेकर भी आदिवासी समाज के सामाजिक पदाधिकारियों व सगाजनों ने सवाल उठाया है कि दलसागर के टापू में आदिवासी समाज की मांग पर ही आने जाने के लिये निर्माण कार्य की मांग किया गया था।
आदिवासी समाज की मांग पर दलसागर तालाब का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है वहीं ब्रिज का निर्माण कार्य भी कराया जा रहा है। इस संबंध में एनजीटी के आदेश होने के बाद आदिवासी समाज में नाराजगी भी व्याप्त है। आदिवासी समाज चाहता है कि उनकी धार्मिक भावना, आस्था, विश्वास को ध्यान में रखते हुये आदेश दिया जावे। आदिवासी स्वयं प्रकृति पूजक समाज है ओर आदिवासी समाज पर्यावरण संरक्षण में सबसे बड़ी भूमिका निभाता चला आ रहा है।
दलसागर तालाब के टापू में देवस्थल में पूजन पाठ हेतु आना-जाना करते हैं
30 जुलाई 2024 को आदिवासी समाज द्वारा सामुहिक रूप से सौंपे गये ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि जिला मुख्यालय सिवनी के हृदयस्थल में स्थित दलसागर तालाब जो कि गोंड राजा दलपत शाह जी के द्वारा निर्मित किया गया है। जिसके मध्य में स्थित टापू में आदिवासी समाज के लोग अपना देव स्थल मानकर वर्षों से अपनी आस्था और विश्वास के अनुरुप दलसागर तालाब के टापू में देवस्थल में पूजन पाठ हेतु आना-जाना करते हैं।
आदिवासी समाज की मांग पर ही हो रहा था ब्रिज का निर्माण कार्य
पूर्व में टापू में देव स्थल तक पूजन पाठ के लिये पहुंचने के लिये नाव के माध्यम से आदिवासी समाज के लोग टापू में पहुंचकर अपनी आस्था के अनुरुप अपने सभी धार्मिक संस्कार संपन्न कराते रहे हैं। इस हेतु नाव के द्वारा पहुंचकर कई वर्षों से पूर्वजों के द्वारा भी पूजन पाठ किया जा रहा है।
इसके लिये नाव से आना-जाना करने पर कई बार दुर्घटनाएं घटने की संभावना बनी रहती है। इसी मंशा से आदिवासी समाज द्वारा ब्रिज बनाये जाने की मांग राज्य सरकार और जिला प्रशासन से समय-समय पर मांग की जाती रही है।
माननीय न्यायालय में लगाई गई याचिका से आदिवासी समाज की धार्मिक आस्था, भावनायें आहत हुई
आदिवासी समाज की उक्त मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सौंदर्यीकरण एवं ब्रिज निर्माण का भूमि पूजन किया गया था और राशि का आवंटन किया गया था। इसके फलस्वरुप शासन द्वारा ब्रिज का निर्माण एजेंसी द्वारा कराया जाना शुरू किया गया परन्तु कुछ आदिवासी विरोधी, गोड़ी धर्म विरोधी तत्वों द्वारा उक्त रचनात्मक कार्य पर रोक लगाये जाने बाबद् कार्यवाही करते हुए स्थगन आदेश लाकर काम रुकवा दिया गया है।
जिससे आदिवासी वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत हुई है, जिससे आदिवासी समाज अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है तथा सर्व आदिवासी समाज तथा समाज के विभिन्न संगठनों की ओर से संयुक्त रुप से अपनी मांगों का ज्ञापन 30 जुलाई 2024 को सिवनी मुख्यालय में सौंपा गया है।
ब्रिज का कार्य पूर्ण कराया जावे
ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि कि दलसागर तालाब सिवनी में चल रहे निर्माण कार्य सौंदर्याकरण एवं ब्रिज निर्माण कार्य में लगी रोक तत्काल हटाया जाकर ब्रिज का कार्य पूर्ण कराया जावे।
आदिवासी समाज की दलसागर के टापू में देवस्थल पर पूजा पाठ संपन्न कराये जाने की प्रकिया यथावत जारी रखने हेतु आने जाने हेतु ब्रिज निर्माण कार्य में गति लाकर पूर्ण कराया जाये।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भोपाल जोन के समक्ष पारित आदेश के अनुसार लगी हुई रोक को हटाय जाने हेतु सक्षम अपीलीय न्यायालय के समक्ष मामला प्रस्तुत कर स्थगन आदेश को निरस्त कराया जावे।
विध्वंशात्मक कार्यवाही पर स्थगन प्राप्त किया जावे
दलसागर तालाब में ब्रिज निर्माण के लिये बने हुए पिल्लर को तोड़े जाने के 09 जुलाई 2024 के आदेश पर तत्काल रोक लगाये जाने हेतुं म.प्र. शासन त्वरित न्यायिक प्रकिया अपनाकर उक्त विध्वंशात्मक कार्यवाही पर स्थगन प्राप्त किया जावे।
आदिवासी समाज के देवस्थान में आने-जाने हेतु चल रहे ब्रिज निर्माण कार्य को तत्काल पूर्ण कराया जावे ताकि आदिवासी समाज बिना किसी डर के बाधा के ब्रिज से अपने समाज के साथ जाकर अपने आराध्य का पूजन वंदन कर सके।