मुठवा पारी कुपार लिंगों का प्राकृतिक धर्म पुस्तक हुई प्रकाशित
साहित्यकार के एल उईके लेखक की पुस्तक का केंद्रीय जनजातिय मंत्री की उपस्थिति में हुआ विमोचन
500 गोंडी पाटागीत समाहित, जिसे पाना पारसी में मांदला कहा जाता है, सरल हिन्दी में भावार्थ है
लेखक साहित्यकार के एल उईके से इस मोबाईल नंबर 9425839203 पर संपर्क कर सकते है
सिवनी। गोंडवाना समय।
साहित्यकार के एल उईके गोंडियन परंपरा, संस्कृति, रीति, रिवाज, धर्म आदि अन्य ऐतिहासिक स्थलों के जानकार है, उन्होंने गोंडी धर्म पूजन पद्धति आदि अन्य पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है।
वहीं मुठवा पारी कुपार लिंगों का प्राकृतिक धर्म नामक पुस्तक हाल ही में दिल्ली से प्रकाशित हुई है।
वाचिक परंपरा का ज्ञान कहते है इस पर आधारित है
मुठवा पारी कुपार लिंगों का प्राकृतिक धर्म नामक पुस्तक आदिवासी गोंडियन समुदाय की हजारों वर्षों की मौखिक ज्ञान परंपरा जो पुरखा सहित्य एवं मौखिक साहित्य के नाम से जानी जाती है। जिसे वाचिक परंपरा का ज्ञान कहते है। इस पर आधारित है। जिसमें लगभग 500 गोंडी पाटागीत है जिसे पाना पारसी में मांदला कहा जाता है। इन्हें संकलित किया गया है।
गोंडियन समुदाय का संपूर्ण जीवनदर्शन समाहित है
इसके पाटागीतों का भावार्थ भी सरल हिन्दी में दिया गया है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर गोंडियन समुदाय का संपूर्ण जीवनदर्शन उनके पुरखों के हजारों वर्ष का स्मृति ज्ञान, उनकी संवदेनायें, परंपराएं रहन-सहन, भाषा-बोली, संस्कृति, जड़ी-बूटी, पशु पक्षियों का ज्ञान, बड़ादेव संकल्पना, जीवन की उत्पत्ति का सिद्धांत, लिंगो का ग्रेट
गोंडोलिज्म, सगा सामाजिक व्यवस्था, बुद्धि और ज्ञान के देवता, महान पाटालीर हीरा सूका का त्याग, बलिदान से लेकर आदिवासी गोंडियन समुदाय में हजारों वर्षों पहले सामाजिक क्रांति की प्रतिमूर्ति जंगो रायतार की महान
गोटूल व्यवस्था, आदिशक्ति कली कंकाली का तप एवं त्याग, पंचखण्ड धरती के राजा शंभू शेक और माता गबरा का त्याग-तपस्या, प्रकृति का सृजन क्षरण एवं पालन, प्रकृति का संरक्षण आदि संपूर्ण विषयों पर आधारित आदिवासी गोंडियन समुदाय के संपूर्ण जीवन दर्शन को लेखक एवं गोंडी साहित्यकार श्री कन्हैयालाल उईके द्वारा इस वृहद ज्ञान को इस ग्रंथ के माध्यम से समाहित कर इसे संकलित करने का प्रयास किया गया है।