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शिक्षक नीरज दुबे को नियम विरूद्ध प्रशासनिक अधिकारी बनाने के बाद भी लखनादौन विधायक मौन

शिक्षक नीरज दुबे को नियम विरूद्ध प्रशासनिक अधिकारी बनाने के बाद भी लखनादौन विधायक मौन 

जनजाति कार्य विकास विभाग सिवनी में नियमों को दिखाया जा रहा ठेंगा  

सिवनी। गोंडवाना समय। 

भारतीय जनता पार्टी की सरकार सुशासन, पारदर्शिता की बात करती है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी सुशासन प्रणाली के तहत प्रशासनिक व्यव्सथा कोे क्रियान्वयन करने की बात करते है। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में जनजातीय कार्य विभाग सिवनी में अच्छे कार्यों का रिकार्ड कम ही बनाया जाता है लेकिन फर्जीवाड़ा करने का खेला करते हुये रिकार्ड बनाने में बहुत आगे है।
                


सरकार, शासन प्रशासन के नियम विरूद्ध कार्यों को अंजाम देना, असंभव कार्य को संभव किया जाने का कार्य आसानी से जनजाति कार्य विभाग सिवनी में किया जाता है। लखनादौन विधानसभा क्षेत्र में जनजाति कार्य विभाग सिवनी द्वारा शिक्षक नीरज दुबे को प्रशासनिक अधिकारी बना दिया गया है। इसके बाद भी लखनादौन विधायक योगेन्द्र सिंह बाबा का मौन रहना कहीं न कहीं उनकी सहमति को प्रदर्शित करता है। 

नियमों को ठेंगा दिखाकर विभागीय व्यवस्था का हो रहा संचालन 


जनजाति गौरव दिवस के दिन केंद्र व मध्यप्रदेश की सरकार ने जनजाति वर्ग के हित कल्याण के लिये जिस तरह से कार्यक्रमों को और योजनाओं को अंजाम देने की कोशिश मंचों से की है, उनका धरातल में कितना लाभ जनजाति वर्ग को मिल रहा है, इसका भौतिक सत्यापन सरकार ईमानदारी से नहीं कर पा रही है।
            यहां तक मध्यप्रदेश में जनजाति वर्ग से ही मंत्री होने के बाद भी आदिवासियों का हित कल्याण नहीं हो पा रहा है। जनजाति कार्य विकास विभाग सिवनी में नियमों को ठेंगा दिखाकर विभागीय व्यवस्था का संचालन नियम विरूद्ध किया जा रहा है। लखनादौन के एक शिक्षक नीरज दुबे को प्रशासनिक अधिकारी बना दिया गया है। 

लखनादौन विधायक की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल 


आदिवासी आरक्षित लखनादौन विधानसभा क्षेत्र में जहां पर कांग्रेस पार्टी के विधायक श्री योगेन्द्र सिंह बाबा का प्रतिनिधित्व कर रहे है। वहीं लखनादौन में जनजाति कार्य विकास विभाग सिवनी द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था का परीक्षण किये और बिना चैनल/वरिष्ठ  अधिकारी को यह प्रभार न देकर एक उच्च माध्यमिक शिक्षक श्री नीरज दुबे को विकासखण्ड अधिकारी लखनादौन का प्रभार प्रशासन ने राजनीतिक और संगठन के दबाव मेंदे दिया है।                 वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या लखनादौन विधायक श्री योगेन्द्र सिंह बाबा की सहमति से शिक्षक नीरज दुबे को प्रशासनिक अधिकारी बनाया गया है या फिर भाजपा के किसी नेता के कहने पर जनजाति कार्य विभाग सिवनी द्वारा नियम विरूद्ध शिक्षक नीरज दुबे को प्रशासनिक अधिकारी बना दिया गया है। 

कन्या शिक्षा परिसर लखनादौन में विषय शिक्षक का नुकसान उठायेंगी छात्रायें 

कन्या शिक्षा परिसर लखनादौन में जिस विषय के नीरज दुबे शिक्षक है। वहां की आदिवासी बालिकाओं की विषय शिक्षा प्रभावित होना भी निश्वित है लेकिन इसकी चिंता जनजाति कार्य विकास विभाग सिवनी को नहीं है।                         शिक्षक को अन्य दायित्व से मुक्त रखने के भी शासन के निर्देश है जबकि मप्र शासन जनजातीय कार्य विभाग के जारी परिपत्र के आधार पर किसी भी रिक्त पद का प्रभार देने में वरियता और उपयुक्तता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
                इस मामले में किसकी सहमति से, किसके द्वारा यह कराया गया है यह तो विभाग, शासन व राजनैतिक सत्ताधारी के नेतागण ही जानते है। हालांकि यह कहावत चरितार्थ होती है कि छूरी खरबूजा पर गिरे या खरबूजा छूरी पर कटेगा खरबूजा ही उसी प्रकार बदहाल और अतिक्रमित सिस्टम और मानसिकता चाहे इधर से या उधर से हो नुकसान तो आदिवासी वर्ग का होना तय है।


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