जीआरएस प्रीमियर लिकर कंपनी परोस रही गांव-गांव पक्की शराब
खैरलांजी क्षेत्र के दर्जनों ग्रामों में बिक रही अवैध अंग्रेजी शराब
सुनेश शाह उइके, संवाददाता
खैरलांजी। गोंडवाना समय।
बालाघाट जिले की खैरलांजी तहसील के अंतर्गत दर्जनों ग्रामों में अवैध पक्की शराब का बोलबाला इन दिनों जोर पकड़ रहा है। बता दे की खैरलांजी में पक्की शराब का ठेका जीआरएस प्रीमियर लिकर कंपनी के द्वारा लिया गया है। कंपनी के द्वारा दुकान से ग्रामों तक अवैध तरीके से शराब पहुचाई जा रही है।
संचालित दुकानों के माध्यम से गांव-गांव पर पक्की शराब परोसने का कार्य किया जा रहा है। ग्राम पंचायत सावरी, मोहाड़, किन्ही, सालटेका ग्रामों की दुकानों में भी जमकर अवैध अंग्रेजी शराब की धमा चौकड़ी चल रही है।
नशे की लत में युवाओं को डुबाने का कार्य किया जा रहा है
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो शाम होते ही पक्की शराब पीने वालों की संख्या चौक, चौराहों में बढ़ जाती है। लोगो के द्वारा नशे में गाली गलौच एवं अशांति का माहौल बनाया जाता है जिससे आम आदमी परेशान हो रहा हैं। आबकारी विभाग शराब ठेकेदार के इशारे पर चलते हुए कच्ची शराब पर कार्रवाई करता है परंतु खैरलांजी क्षेत्र में अवैध रूप से शराब दुकान से अन्य जगह गांव में बिक रही शराब पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं दिख रहा है। जीआरएस प्रीमियर लिकर कंपनी और आबकारी विभाग की जुगलबंदी से नशे की लत में युवाओं को डुबाने का कार्य किया जा रहा है। शासन-प्रशासन अवैध अंग्रेजी शराब पर मौन साधे हुए है।
खैरलांजी क्षेत्र में बिक रही अवैध अंग्रेजी शराब पर नहीं की जा रही कार्यवाही
पक्की शराब नियमानुसार दुकान से विक्रय किया जाना चाहिए परंतु ठेकेदार एवं आबकारी विभाग के अधिकारियों की जुगलबंदी के चलते खैरलांजी शराब दुकान से गांव,गांव में पक्की शराब पहुंचाया जा रहा है जहां ग्रामीण युवा नशे की लत में डूब रहे है इस ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित नहीं हो पा रहा है जिससे शराब ठेकेदार के हौसले बुलंद देखे जा रहे हैं खैरलांजी के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध अंग्रेजी शराब पर अधिक मूल्य बढ़ाकर आमजन को आर्थिक रूप से लूटने का भी कार्य जी आर एस प्रीमियर लिकर कंपनी के द्वारा किया जा रहा है सूत्रों के अनुसार मोटी कमाई के लिए ठेकेदार द्वारा दुकान से अन्य स्थान में बिना नौकरनामा वाले युवाओं के द्वारा अवैध पक्की शराब पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है जिस पर शासन प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है अब देखना यह होगा कि शासन प्रशासन क्या कुछ कार्रवाई करता है ।