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गोंडवाना आंदोलन को आंगे बढ़ाने, विधायक व सांसद बनाने जाजम व्यवस्था स्थापित करनी होगी-भवरलाल परमार

गोंडवाना आंदोलन को आंगे बढ़ाने, विधायक व सांसद बनाने जाजम व्यवस्था स्थापित करनी होगी-भवरलाल परमार 

आदिवासी समुदाय में इलेक्शन नहीं सिलेक्शन प्रणाली तैयार करना होगा

बिरसा मुंडा जी की ग्राम मोचा 20 फीट की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया 

ग्राम मोचा जिला मंडला में धूमधाम से मनाई गई, धरती आबा महामानव बिरसा मुंडा की जंयती

राजस्थान के आदिवासी क्रांतिकारी शिक्षक, भंवरलाल परमार सहित अन्य अतिथिगण हुये शामिल  

सुनेश शाह उइके, संवाददाता
बिछिया, मंडला। गोंडवाना समय। 

आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला के ग्राम मोचा (कान्हा नेशनल पार्क) के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यहां पर देश-विदेश से लाखों-करोड़ों लोग यहां घूमने आते है।
        


हम आपको बता दें कि क्रांतिसूर्य महानाव बिरसा मुण्डा जी की 150 जयंति का दिन यानि 15 नवंबर 2024 का दिन ऐतिहासिक बन गया है क्योंकि ग्राम मोचा में बिरसा मुण्डा जी की 20 फिट की आदम्यकद प्रतिमा की स्थापना किया गया है जो कि कई पीढ़ियों को वैचारिक क्रांति का संदेश देते हुये प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

आदिवासी स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाया जयंति कार्यक्रम


मंडला जिले के ब्लाक बिछिया अंतर्गत ग्राम मोचा के खेल मैदान में आदिवासियों के मसीहा, राष्ट्र मालिक, आदिवासी जननायक, धरती आबा क्रांति सुर्य महामानव बिरसा मुंडा जंयती के अवसर पर बिरसा बिग्रेड सर्किल कमेटी मोचा एवं 40 गांव के गोंडवाना आंदोलन के वरिष्ठ जनों व युवाओं द्वारा विशाल आदिवासी सम्मेलन आयोजित कर बिरसा मुंडा के जंयती कार्यक्रम को आदिवासी स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाया।

बैगा आदिवासी समुदाय द्वारा नृत्य करते हुये अतिथियों का स्वागत किया गया 


खेल मैदान मोचा से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। सबसे पहले कार्यक्रम मुख्य अतिथि तिरुमाल भंवरलाल परमार राजस्थान, एवं बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा का समय 1 बजे बैगा आदिवासी समुदाय द्वारा नृत्य कर व बिरसा बिग्रेड सर्किल कमेटी मोचा एवं गोंडवाना समग्र विकास क्रांति आंदोलन मोचा के वरिष्ठ जनों के द्वारा हल्दी चावल से तिलक लगाकर आगंतुक अतिथियों का जोरदार तरीके से जोहार स्वागत किया गया। 

कलश यात्रा निकाली जाकर प्रतिमा का अनावरण किया गया 


तत्पश्चात गोंड आदिवासी समुदाय एवं अतिथियों के द्वारा कलश यात्रा के साथ नगर भ्रमण करते हुए वहीं कोयापुंगार बच्चों द्वारा गोंडी रेला पाटा ददरिया जैसे गीतों पर पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ नृत्य कर रैली बस स्टैंड मोचा पहुंची, उसके बाद मुख्य अतिथि - भंवरलाल परमार एवं बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा व टीआई अजय मरकाम के द्वारा गोंडी रीती रिवाज अनुसार हल्दी चावल का तिलक लगाकर, व महुवा का फूल माला पहनाकर 20 फीट बिरसा मुंडा जी के भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया।
                

मौजूदा लोगों द्वारा बिरसा मुंडा अमर रहें..अमर रहें.. जय जोहार का नारा है भारत देश हमारा है.. सरकार देश की चालक है आदिवासी देश का मालिक है.. मावा नाटे मावा नाटे' जैसे अनेक क्रांतिकारी नारों से मोचा बस स्टैंड और सम्पूर्ण गोंडवाना प्रदेश की धरती गढ़ा मंडला गूंज उठा। 

क्रांतिकारी विचारों को सुनकर एक ही स्थान पर बैठे रहे 


तदुपरांत दोपहर 3 बजे बस स्टैंड मोचा से वापस खेल मैदान की ओर प्रस्थान हुई और 4 बजे अतिथियो के द्वारा आदिवासी गोंडवाना महापुरुषों के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर आयोजक समिति ने मंचीय कार्यक्रम की शुरूआत की किया। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोगों में बड़ी उत्सुकता की झलक दिखाई दे रही थी।
            खासतौर से हम बात करे तो राजस्थान के राष्ट्रीय सामाजिक चिंतनकार पेशे से एक शिक्षक तिरुमाल भंवरलाल परमार को देखने, सुनने व मिलने के लिये विशेष रूप से पहुंचे थे। यहां तक आगंतुकगण उनके साथ फोटो खिंचाने के लिए लोग बेहद आतुर हो उठें थे। जब तिरुमाल भंवरलाल परमार शिक्षक राजस्थान का शाम 5 बजे उद्बोधन शुरू हुआ। तो मौजूदा लोग उन्हें और उनके क्रांतिकारी विचारों को सुनकर एक ही स्थान पर बैठे रहे। 

आदिवासी/ गोंडवाना/ बहुजन नायकों को सेवा जोहार कर नमन किया 


भंवरलाल परमार जी शिक्षक राजस्थान ने अपने पहले ही क्रांतिकारी अंदाज में कहा गोंडवाना की धरती ग्राम मोचा जिला गढ़ा मंडला की धरती को जय जोहार..जय सेवा..जय गोंडवाना..जय आदिवासी..जय भीलप्रदेश फिर उन्होंने अपने पहले ही वाक्य में गोंडवाना समग्र विकास क्रांति आंदोलन के जनक, गोंडवाना रत्न पेनवासी दादा हीरासिंह मरकाम, पेनवासी मोतीरावेन कंगाली दादा, पेनवासी सुनहरे सिंह तराम दादा व उन्होंने बिरसा मुंडा, गोंडवाना के महाराजा शंकर शाह पुत्र कुंवर रघुनाथ मंडावी, वीर बाबूराव शेडमाके, वीर नारायण सिंह, वीर बाबूराव शेडमाके, गोंडवाना की वीरांगना महारानी दुर्गावती मंडावी, सावित्री बाई फुले, टंट्या मामा भील, चांद भैरव सिद्धूकानू तिलका मांझी, वीर गुंडाधुर, जयपालसिंह मुंडा, डॉ भीमराव अम्बेडकर जैसे अनेक आदिवासी/ गोंडवाना/ बहुजन नायकों को सेवा जोहार कर नमन किया। 

गोंडवाना आंदोलन क्यों बिखर गया ? 


राजस्थान के क्रांतिकारी आदिवासी शिक्षक भंवरलाल परमार ने सगा समाज को सम्बोधित करते कहा कि 14 नवंबर को हम रात 9 बजे डुंगरपुर से और 15 नवंबर को सुबह 8 बजे से पहले जबलपुर आ गये थे। हम किस तरीके से आएं होंगे आप सोच सकते हे। रात भर हम सोएं नहीं है और आपके लिए हम यहां आएं हैं। यहां आकर हमने बहुत सारी कमियां देखीं। गोंडवाना आंदोलन क्यों बिखर गया ? 

हीरा-मोती-सुन्हेर जी की अभिलाषाएं-विचारों से अलग हट गये है 


उसके कारणों का अहसास इस कार्यक्रम में मुझे देखने को मिला, गोंडवाना रत्न पेनवासी हीरा सिंह मरकाम को हमने देखा, पेनवासी दादा मोतीरावेन कंगाली सर की किताबें भी हमने पढ़ी, सुन्हेर सिंह ताराम दादा से भी हमारी मुलाकात हुई। उनकी जो इच्छाएं, आशाएं और अभिलाषाएं थी। उनके जो क्रांतिकारी विचार थे। उनके विचारों से हम थोड़ा अलग हट गये है। आज मुझे ऐसा लगा। गोंडवाना आंदोलन को आंगे बढ़ाने के लिए पुन: चिंतन व मनन करना होगा। क्या हम समाज को आंगे रखना चाहते हैं, क्या हमारी राजनीति को आंगे रखना चाहते हैं। 

मंच पर हमारे धार्मिक गुरू व पूर्वजों की होती है तस्वीर 

उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम सामाजिक था या राजनीतिक था हमें कुछ भी समझ नहीं आया। क्योंकि हमारे वहां राजस्थान पर मंच पर कभी कोई बैठता नहीं है। मंच में हमारे पूर्वज या हमारे धार्मिक गुरु है उनकी तस्वीरें वहां पर होती है। 

समाज जिंदा रहेगा तो हम जिंदा रहेंगे 

उन्होंने कहा चाहें मंत्री हो, चाहें अधिकारी हो, चाहें संत्री हो, चाहे कर्मचारी हो, चाहे समाजसेवी हो, चाहे, चाहे समान्य जनता हो, सभी एक साथ जाजम पर बैठते हैं। समाज जिंदा रहेगा तो हम जिंदा रहेंगे। 

12 बजे कार्यक्रम शुरू हो जाता है और शाम 5 बजे समाप्त हो जाता है

हमारे राजस्थान में सुबह 12 बजे कार्यक्रम शुरू हो जाता है और शाम 5 बजे समाप्त हो जाता है और आपके यहां 5 बजे कार्यक्रम शुरू हुआ है। हमने सारा दिन खर्च किया।
        जिस तरह पेट की भूख होती है। इस तरह की भूख दिमाग की भी होनी चाहिए। यहां से 900 किलोमीटर दूर हमारा इलाका पड़ता है हम रात भर में आ गए और हमारा कार्यक्रम इतना लेट शुरू होता है। 5,10 कार्यकर्ता यहां बोलने चाहिए थे। दिमाग की खुराक ले लेनी चाहिए थी। 

आज जो 5,10 एकड़ जमीनें है यह उन्हीं की देन है 

भंवरलाल परमार जी शिक्षक राजस्थान ने कहा हमारे पूर्वज वीरांगना रानी दुर्गावती मंडावी, शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह मंडावी, वीर बाबूराव शेडमाके, वीर नारायण सिंह, वीर बाबूराव शेडमाके, कुमरम भीम, बिरसा मुंडा, टंट्या मामा भील जैसे तमाम महापुरुष की फोटो मंच पर होंगे। क्योंकि उन्हें हमारे समाज के लिए बहुत ही ज्यादा संघर्ष किया है। आज हम कमा खा रहे हैं और नौकरी में लग रहें हैं और हमारे पास आज जो 5,10 एकड़ जमीनें है यह उन्हीं की देन है। 

सामाजिक विचारों का प्रचार प्रसार होना चाहिए 

आप किसी भी पार्टी के हो कोई फर्क नहीं पड़ता, आप किसी भी धर्म के हो कोई फर्क नहीं पड़ता, आप किसी भी संगठन के हो कोई भी फर्क नहीं पड़ता। आज की तारीख में आपके साथ जो जो लोग जिदा है। आपके अड़ोस पड़ोस में जो जो लोग जी रहें हैं। उन सभी का सम्मान कर सामाजिक कार्यक्रम में सामाजिक विचारों का प्रचार प्रसार होना चाहिए। 

राजस्थान में सिर्फ दो महिना काम करते है लेकिन मध्यप्रदेश में पूरे पांच साल काम करते है 

राजस्थान में हमने एक आदिवासी परिवार बनाया है। वहां पर चुनाव के समय में वो भी दो महीने के लिए सभी अधिकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, बेरोजगार युवा, काम करते हैं। फिर दो महीने के बाद पूरा समाज का काम करते हैं। आपके मध्यप्रदेश में राजनीतिक लोग पूरे पांच साल राजनीति का काम करतें हैं और हमें राजस्थान में सिर्फ दो महीना काम करते हैं। इसके बाद मैं किस पार्टी का हूं इसका कोई महत्व नहीं होता। अपनी पहचान सिर्फ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बताते हैं। 

भारतवासी के लोगों का कार्यक्रम है 

बालाघाट जिले के बैहर ब्लाक के गोंडवाना आंदोलन के साथी खान साहब ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज यह जो कार्यक्रम जो हम मना रहे हैं यह केवल आदिवासियों का कार्यक्रम नहीं है अपितु यह पूरे भारतवासी के लोगों का कार्यक्रम है। बिरसा मुंडा आदिवासी के लिए नहीं बिरसा मुंडा पूरे देश के लोगों के लिए लड़े हैं। उन्होंने कहां ऐसे क्रांतिकारी बिरसा मुंडा हमारी जिंदगी में भी होना चाहिए। हमारे खून में भी रहना चाहिए। जब हमारे अधिकार छीने जाएंगे तो हम बगावत कर जाएंगे। उनकी मुर्ती हमें याद दिलाते रहेगी। यदि हमारे समाज के ऊपर कोई शोषण करेगा और आवाज उठेगी तो वह आवाज को हम कांट देंगे। ऐसे क्रांतिकारी ओजस्वी भाषण से सगा समाज को सम्बोधित किया। 

ये रहें उपस्थित 


भंवरलाल परमार शिक्षक राजस्थान, नारायण सिंह पट्टा विधायक बिछिया, राजेश मरार बालाघाट, संजय कुशराम जिला पंचायत अध्यक्ष, प्रीतम सिंह उइके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कमलेश तेकाम जिला पंचायत उपाध्यक्ष, ललिता धुर्वे जिला पंचायत सदस्य, सुश्री वंदना तेकाम सामाजिक कार्यकर्ता नैनपुर, अनिल परतें प्रोफेसर बिछिया, अजय मरकाम टीआई, हरनाम सिंह मेरावी गोंडवाना एक्सप्रेस संपादक परसवाड़ा, लक्ष्मण सिंह तिलगाम प्राचार्य, मंशाराम मंडावी जिला पंचायत सदस्य बैहर, प्रदीप उइके शिक्षक बैहर, पी के तराम बैहर, सुनेश शाह उइके परसवाड़ा, संतलाल तेकाम सर्किल कमेटी मोचा सचिव, दौलत सिंह उइके सर्किल कमेटी अध्यक्ष मोचा, दर्शन मेरावी कोषाध्यक्ष, चैनसिंह कुशराम भुमका संघ अध्यक्ष मोचा, अमरसिंह मलगाम, शंकरलाल धुर्वे, छोटेलाल तेकाम, गणेश धुर्वे, विनय मरकाम सरपंच मोचा, शयामबती उइके सरपंच खटिया, भागचंद मरकाम, शारूख खान, भरत मरावी, राजा राम मरावी, अमीषा मरकाम परसवाड़ा, सहित बिरसा बिग्रेड सर्किल कमेटी मोचा एवं गोंडवाना आंदोलन मोचा के वरिष्ठ जनों एवं युवाओं एवं मंडला, बालाघाट जिले के अंतर्गत अनेक ब्लाकों के सामाजिक कार्यकर्ता, एवं आदिवासी गोंडवाना अधिकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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