बंगाली युवक के साथ गई आदिवासी युवती को लाने गये मांझी सैनिकों को आतंकवादी बताने पर जांच की मांग
बैतुल पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर मांझी सरकार ने किया निष्पक्ष जांच की मांग
बैतूल। गोंडवाना समय।
चोपना थाना क्षेत्र के ग्राम विष्णुपुर में बीते दिनों मांझी सरकार संगठन के सदस्यों पर घर में घुसकर मारपीट, अभद्रता और लूट के झूठे आरोप लगाए गए थे। जिसकी शिकायत चोपना थाने में दर्ज कराई गई थी। लेकिन जब इस मामले की गहराई से जांच की गई, तो सच्चाई कुछ और ही निकली।
दरअसल, आदिवासी समाज की एक युवती बंगाली युवक के साथ चली गई थी, जिसे वापस लाने के लिए मांझी समाज के सैनिक उसके पिता के आग्रह पर गए थे। इस संबंध में सैनिकों ने पुलिस को भी सूचना दी थी, लेकिन इसके बावजूद मांझी सरकार के सैनिकों पर झूठे आरोप लगाए गए। वहीं पुलिस थाना चौपना में मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस को जानकारी देकर कदम उठाया
मांझी सरकार के दिल्ली प्रतिनिधि ने इस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए पुलिस अधीक्षक से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने कहा कि संगठन की छवि खराब करने के लिए गलत तरीके से सैनिकों को आतंकवादी बताया जा रहा है, जबकि उन्होंने पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए पुलिस को जानकारी देकर कदम उठाया था।
जानकारी के बाद भी पुलिस ने नहीं किया सहयोग
मांझी सरकार के ब्रांच अध्यक्ष भोंदू परते ने बताया कि जब सैनिक युवती को लेने गए, तब उन्होंने पहले चोपना और शाहपुर थाने में इसकी सूचना दी थी। इसके बावजूद पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया और अब सैनिकों को ही बदनाम किया जा रहा है।
भोंदू परते ने कहा 72 में आए बंगाली लोग हमारे ऊपर राज कर रहे हैं, हमारी बहन-बेटियों को उठा रहे हैं और जब हम उन्हें वापस लाने जाते हैं, तो हमारे ऊपर ही झूठे आरोप लगा दिए जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि बिना सूचना दिए जाते, तो यह पुलिस के लिए कहने की बात होती लेकिन सैनिकों ने पहले से सूचना दी थी, इसके बावजूद पुलिस साथ नहीं गई। अब जब सैनिकों ने अपना कर्तव्य निभाया, तो उन्हें ही दोषी ठहराने की कोशिश की जा रही है।
मांझी सैनिकों की छवि धूमिल करने की कोशिश
संगठन का कहना है कि न्यूज पेपर में सार्वजनिक रूप से आतंक जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर मांझी सैनिकों की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। मांझी सरकार के सैनिकों ने साफ शब्दों में कहा है कि यह अस्तित्व की लड़ाई है, जिसे हमें ही लड़ना होगा।
भोंदू परते के अनुसार, पाढर कार्यालय द्वारा 5 फरवरी को पुलिस चौकी को सूचना दी गई थी कि ग्राम विष्णुपुर के कुछ ग्रामीण और मांझी सैनिक युवती को वापस लाने जा रहे हैं। इस पर बबलू वाडीवा ने भी 4 फरवरी को कंगला मांझी सरकार सैनिक संस्था पाढर कार्यालय को सूचित किया था कि आदिवासी युवती को वापस लाने के लिए संगठन का सहयोग चाहिए।
समाज को जागरूक होने की जरूरत
मांझी सरकार संगठन का कहना है कि आदिवासी समाज को अब जागरूक होने की जरूरत है। संगठन के नेताओं ने कहा कि बाहर से आए लोग हमारी जमीन, हमारी बहन-बेटियों और हमारे अस्तित्व को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि समाज अपनी धरोहर बचाने के लिए एकजुट हो।
संगठन का कहना है कि इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। यदि पुलिस ने पहले ही सहयोग किया होता, तो यह विवाद खड़ा नहीं होता। अब मांझी सरकार के सैनिकों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। इस पूरे मामले में संगठन ने पुलिस प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन उग्र आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा।
पुलिस थाना चोपन्ना में दर्ज अपराध क. 31/26 में खात्मा कार्यवाही की जावे
पुलिस थाना चोपन्ना में दर्ज अपराध क. 31/26 में खात्मा कार्यवाही किये जाने की मांग को लेकर मांझी सरकार बैतुल द्वारा पुलिस अधीक्षक के नाम ज्ञापन सौंपा गया। मांझी सरकार के सदस्यों के द्वारा ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि बंगाली युवक के द्वारा आदिवासी युवती को अपने साथ बहला-फुसलाकर लेकर जाना एवं उसके साथ शारीरिक शोषण करने की पीड़िता को लेने के लिए मांझी सरकार के सदस्य पुलिस को सूचना देकर विष्णुपुर तह. घोडाडोंगरी जिला बैतूल गये थे।
वहां से सभी सदस्यों ने एवं पीड़िता के माता-पिता ने अपने साथ पीड़िता को लेकर आये तो विष्णुपुर में आरोपी के परिवार ने मांझी सरकार के सदस्यों के विरूद्ध झूठी शिकायत पुलिस थाना चोपना में दर्ज की है, जबकि पीड़िता की कोई शिकायत आरोपीगण के विरूद्ध लेखबद्ध नहीं कि गई है।
पीड़िता दर-दर न्याय के लिए भटक रही है। इसके विपरीत मांझी सरकार के जो सदस्य पीड़िता के माता-पिता के साथ उसको लिवाने हेतु गये थे उनके विरूद्ध झूठी शिकायत के आधार पर मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है। जिसका अपराध क. 31/25 है। उक्त अपराध में पुलिस थाना चोपना के टी.आई. द्वारा निर्दोष आदिवासी समाज के लोगो को गिरफ्तारी के लिए परेशान एवं प्रताड़ित किया जा रहा है।
उल्टा निर्दोश आदिवासी समाज के लोगो को आतंकवादी बताने का कृत्य भी किया जा रहा है। जिससे आदिवासी समाज में रोष व्याप्त हो गया है। जिसके कारण आने वाले समय में समस्त आदिवासी समाज के लोग आकोश में आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे तो उसकी जिम्मेदारी शासन एवं प्रशासन की होगी।
मांझी सरकार के लाखों सैनिकों की भावनाएं को ठेस पहुंची
ज्ञापन में प्रमुख रूप से मांग की गई है कि मांझी सरकार को आतंक जैसे शब्दों से विभिन्न न्युज पेपरों में छापा है इसको प्रमाणित किया जाये। बंगालियों द्वारा आदिवासी महिलाओ को बहला-फुसला कर लेकर गये है तथा आदिवासी महिलाओं के नाम पर जमीन तथा राजनीतिक आरक्षण का लाभ लिया गया है उनका तत्काल आराक्षण समाप्त किया जाये।
हमारी मांग है जिन भी पत्रकारो ने मांझी सरकार को आतंकी जैसे शब्दो का इस्तेमाल कर सार्वजनिक पेपरो में छापा गया है। जिससे समस्त कंगला मांझी सरकार के लाखो सैनिको की भावनाओं को ठेस पहुंची है। उस न्युज पेपरो का हम खण्डन करते हैं। चूंकि हम समस्त मांझी सरकार सैनिक संविधान को मानने वाले लोग है तथा देश सेवा तथा मानव सेवा ही हमारा काम है और सभी धर्मो का सम्मान करते है।
गैर आदिवासियों से विवाह करने वाली युवती को जाति प्रमाण पत्र रद्द किया जावे
जो आदिवासी लड़की गैर आदिवासी के साथ शादी-विवाह करती है उस लडकी का जाति प्रमाण पत्र एवं आरक्षण तत्काल रदद होना चाहिए। जिस प्रकार हम आदिवासी लोगो पर चोपना पुलिस थाना द्वारा राजनीतिक दबाव में आकर बेगुनाह लोगो पर झूठा मुकदमा दर्ज कर बेगुनाह लोगो को अरेस्ट किया गया था उस केश को शुन्य किया जाये तथा निष्पक्ष जांच कर दोषी व्यक्तियों पर कार्यवाही कि जाये।