पुलिस कर्मचारी की प्रताड़ना से लखनवाड़ा थाना के सामने ही आदिवासी ने जान देने की किया कोशिश
प्रमोद भारद्वाज पुलिस कर्मचारी के द्वारा गाली बकने, धक्का देकर अपमानित करने से आहत था आदिवासी
अपनी बेटी के गुम होने पर थाना सीमा क्षेत्र का ज्ञान नहीं होने के कारण पहुंच गया था लखनवाड़ा पुलिस थाना
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी को अपनी बेटी के गुम होने के संबंध में लखनवाड़ा पुलिस थाना में कानूनी सहयोग के लिये जाना महंगा पड़ गया। लखनवाड़ा पुलिस थाना में पदस्थ पुलिस कर्मचारी प्रमोद भारद्वाज ने पीड़ित आदिवासी को अपमानित करने के साथ अभद्रता किया।
लखनवाड़ा पुलिस थाना में पदस्थ प्रमोद भारद्वाज द्वारा पीड़ित आदिवासी को गाली बक कर धक्का देकर पुलिस थाना से निकाल दिया। पुलिस कर्मचारी प्रमोद भारद्वाज के द्वारा अपमानित व अभद्रता किये जाने पर आहत होकर पीड़ित आदिवासी ने पुलिस थाना के सामने ही जहर का सेवन कर लिया।
आहत होकर अपनी जान देने को तैयार हो गया था
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में आदिवासियों के साथ पुलिस थाना में संवेदनशीलता का राग अलापने वाली भाजपा सरकार के लिये पुलिस कर्मचारियों की कार्यप्रणाली की वास्तविकता स्वत: सामने आ रही है कि किस तरह से सिवनी जिले में पुलिस थाना में संवेदनशीलता का परिचय कुछेक पुलिस कर्मचारियों के द्वारा दिया जा रहा है।
बीते कुछ दिन पहले ही सुनवारा पुलिस चौकी में आदिवासी को बेरहमी से हरा नीला करते तक पीटा गया था। जिस पर विभागीय जांच व कार्यवाही का खुलासा फाईलों तक सीमित है। अब नया मामला जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लखनवाड़ा पुलिस थाना का सामने आया है। जहां पर आदिवासी ने पुलिस की प्रताड़ना कहें या अपमानित व अभद्रता के साथ साथ उसकी बेटी के मामले में सुनवाई न होने पर आहत होकर अपनी जान देने को तैयार हो गया था।
जानकारी के अभाव में लखनवाड़ा पुलिस थाना पहुंच गया था
सुनील मर्सकोले आदिवासी जो कि लखनवाड़ा पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम भंडारपुर का रहने वाला है, वह शादी में डुंडा सिवनी थाना क्षेत्र गया था। जहां से उसकी बच्ची गायब हो गई थी, जिसकी डुंडा सिवनी थाने में शिकायत दर्ज करवाया है। वहीं वापस भण्डारपुर आने के बाद जानकारी के अभाव में वह अपने गांव के समीप स्थित लखनवाड़ा पुलिस थाना कानूनी मदद मांगने चला गया।
आनन फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया
लखनवाड़ा पुलिस थाना में मौजूद पुलिस कर्मचारी प्रमोद भारद्वाज ने उसकी मदद करने के बजाय उसे गंदी गंदी गालियां बककर और उसे धक्का देकर भगा दिया। आदिवासी सुनील मर्सकोले ने अपनी बच्ची के वियोग में और पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर और पुलिस से डर कर पुलिस थाने के सामने ही जहर खा लिया। जिसे आनन फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कहीं पुलिस वाला मुझे फिर तो नही मारेगा
पीड़ित आदिवासी के साथ जिस तरह से बर्ताव पुलिस कर्मचारी प्रमोद भारद्वाज द्वारा किया गया है उसकी हकीकत स्वयं पीड़ित ने बयान में दिया है। वर्तमान में सुनील मर्सकोले पुलिस से इतना डरा हुआ है कि पत्रकारों के सामने यह तक कह डाला कि कहीं पुलिस वाला मुझे फिर तो नही मारेगा, डॉक्टर से बोलकर जहर का इंजेक्शन तो नही लगवा देगा, तब पत्रकारो के द्वारा सुनील मर्सकोले को हिम्मत देकर यह कहा गया कि ऐसा कुछ नहीं होगा और न ही होता है।