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धरती आबा के शहादत दिवस पर आदिवासी परिवार ने अपनी जमीन बचाने आत्मदाह कर बलिदान देने पत्र भेजा

धरती आबा के शहादत दिवस पर आदिवासी परिवार ने अपनी जमीन बचाने आत्मदाह कर बलिदान देने पत्र भेजा 

भूमाफिया एहतेशाम खान की प्रताड़ना से परेशान होकर आदिवासी परिवार ने उठाया कदम 

एहतेशाम खान ने खड़ी फसल पर जेसीबी और टैÑक्टर चलवाकर उस पर पत्थर, बोल्डर पुरवाकर बर्बाद कर दिया

1954-1955 के राजस्व रिकार्ड में आदिवासी परिवार की थी 15 एकड़ से अधिक जमीन

जो 1984-1985 में अपने आप हो गई 2 हैक्टैयर यानि लगभग 5 एकड़ 

सड़क निर्माण में अधिग्रहण में सरकार ने ले लिया 1 हेक्टेयर और मुवाजा दिया 16 हजार

मालिक था पहले अब भूमिहीन होने के साथ अतिक्रमणकारी भी बन गया आदिवासी परिवार 

आजाद भारत में आदिवासियों की हो रही दुदर्शा लेकिन उन्हें बचाने वाला कोई माईबाप नहीं है 

सिवनी। गोंडवाना समय। 

आदिवासी की खड़ी फसल पर टैÑक्टर चलवाकर और मुरम पुरवाकर बर्बाद करने वाले और आदिवासी परिवार को भूमिहीन करने वाले, अपनी ही पैतृक भूमि पर अितक्रमणकारी बनाने वाले भूमाफिया एहतेशाम खान पर कानूनी कार्यवाही एवं न्याय दिलाने की मांग करते हुये पीड़ित आदिवासी घनश्याम तेकाम, तुलसीराम तेकाम, पप्पू तेकाम निवासी बिठली ने अपनी पैतृक जमीन को बचाने के लिये धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा जी के शहादत दिवस के दिन 9 जून 2025 को अपने परिवार सहित बलिदान देने की सूचना सोशल मीडिया व प्रेस मीडिया के माध्यम से दिया है।
                


वहीं इसके लिये उन्होंने 8 जून 2025 को जिला कलेक्टर सिवनी, पुलिस अधीक्षक जिला-सिवनी, मध्यप्रदेश, महामहिम राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, डुण्डासिवनी पुलिस थाना प्रभारी, मीडिया एवं सिवनी जिले के समस्त आदिवासी समाज के सामाजिक संगठन की ओर भी दिया है। 

आजादी के बाद आज भी आदिवासियों को नहीं मिल रहा न्याय


पीड़ित आदिवासी परिवार ने लिखे गये पत्र में उल्लेख किया है कि अंग्रेजों से आजादी दिलाने और जल, जंगल, जमीन की रक्षा करने के लिये धरती आबा, महामानव, क्रांतिसूर्य भगवान बिरसा मुण्डा ने 9 जून को अपनी शहादत दिया था।
             

अंग्रेजों से भारत को आजादी मिल गई लेकिन आजाद भारत में आदिवासियों को आज भी न्याय नहीं मिल पाया है, आदिवासियों की भूमि को सरकार विकास के नाम अधिग्रहण कर रही है, पूंजीपतियों, कारपोरेट, उद्योगपतियों को दे रही है।
                

वहीं आदिवासियों की बची हुई शेष भूमि को भूमाफिया राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर छीन रहे है लूट रहे और आदिवासियों को भूमिहीन बना रहे है।

आदिवासी बाहुल्य राज्य मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला-सिवनी में भी हमारे आदिवासी परिवार के साथ ऐसा ही हो रहा है। आजाद भारत में हमें भूमिहीन बनाने का षडयंत्र भूमाफिया राजस्व विभाग के साथ सांठगांठ करके कर रहे है।

6 हेक्टेयर 43 आर से अपने आप 2 हैक्टेयर 22 आरे हो गई 


पीड़ित परिवार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि आदिवासी आवेदक परिवार की पैतृक भूमि ग्राम बिठली, वर्तमान प.ह.नं.-107, तहसील सिवनी में वर्ष 1954-55 के रिकार्ड के अनुसार खसरा नंबर 91 में रकबा कुल 6 हैक्टेयर 43 आरे जमीन थी, जो कि लगभग 15 एकड़ से अधिक होती है।
                 

धीरे-धीरे राजस्व विभाग व भूमाफियाओं के द्वारा हम आवेदक आदिवासी परिवार की पैतृक भूमि को राजस्व रिकार्ड में कम कर दिया गया। वहीं वर्ष 1984-85 में खसरा नंबर 91/1 के बाद रि नंबरिंग में खसरा नंबर 233 हुआ जिसमें 2 हैक्टेयर 22 आरे हो गया। अर्थात हम आदिवासी आवेदकों की पैतृक भूमि 6 हेक्टेयर 43 आर से अपने आप 2 हैक्टेयर 22 आरे कैसे हो गई।

मालिकाना हक की भूमि पर अतिक्रमणकारी बन गया आदिवासी परिवार 


पीड़ित परिवार ने पत्र में उल्लेख किया है कि इसके बाद सिवनी शहर से लगे हुये बायपास मार्ग निर्माण हेतु विकास के नाम पर ग्राम बिठली, प.ह.नं.-107, तहसील सिवनी, लगभग 1 हैक्टेयर भूमि शासन ने लगभग 25 वर्ष पहले अधिगृहण कर लिया था, जिसका मुवाजा मात्र 16 हजार रुपए ही मिला था।
                

इसके बाद हम आदिवासी आवेदकों की शेष पैतृक भूमि जो बची है उसे भी भूमाफियाओं और राजस्व विभाग ने मिलकर उसे शासकीय बनाकर हमें अतिक्रमणकारी बना दिया है अर्थात आजाद भारत में हम आदिवासी अपनी ही पेतृक व मालिकाना हक की भूमि पर अतिक्रमणकारी बन गये है।

जान से मारने की धमकी दे चुका है भूमाफिया एहतेशाम खान 


पीड़ित आदिवासी परिवार ने उल्लेख किया है कि आदिवाासी बाहुल्य जिला सिवनी मुख्यालय से लगे हुये ग्राम बिठली बायपास मार्ग में स्थित हमारी पैतृक भूमि जो कि 233/3 लगभग 7 आरे भूमि है जिस पर हम आदिवासी आवेदक वर्षों से खेती किसानी करते आ रहे है।
                

जहां पर वर्तमान हमारे द्वारा गर्मी के मौसम की फल्ली भी बोया गया था और अब फल्ली उखड़ने वाली थी अंतिम चरण में थी लेकिन एहतेशाम खान के द्वारा दिनांक 6 जून 2025 को अपने साथ में 20-25 गुण्डे बदमाशों को लाकर एवं पटवारी व आरआई व अन्य कर्मचारी भी आये थे जिन्होंने आदिवासी आवेदकों को अपनी ही पैतृक भूमि पर अतिक्रमणकारी बताकर खड़ी फसल पर जेसीबी व टैÑक्टर चलाकर बर्बाद कर दिया। इसके पहले भी भूमाफिया एहतेशाम खान हमें जान से मारने की धमकी दे चुका है। इस संबंध में हमने पुलिस थाना में शिकायत किये थे परंतु कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। 

15 एकड़ से अधिक पैतृक भूमि होने के बाद अब भूमिहीन हो गये है 


पीड़ित आदिवासी परिवार ने पत्र में उल्लेख किया है कि एहतेशाम खान के द्वारा दिनांक 7 जून 2025 को ईद के दिन भी जेसीबी मशीन के द्वारा हम आदिवासी आवेदकों की खड़ी फल्ली की फसल पर जेसीबी और टैÑक्टर चलवाकर बर्बाद कर दिया गया और उसके ऊपर से पत्थर, बोल्डर, मुरम डलवा दिया गया है।
                

आजाद भारत के आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में हम आदिवासी आवेदक सिवनी जिले में 15 एकड़ से अधिक पैतृक भूमि होने के बाद अब भूमिहीन हो गये है, यह हमारा दुर्भाग्य है। अंग्रेजो से आजादी दिलाने में हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया शहादत दिया तौफ के मुंह बंधकर उड़ गये वहीं धरती आबा के नाम से जाने जाने वाले महामानव भगवान बिरसा मुण्डा जी ने भी अंग्रेजो से आजादी दिलाने और जल, जंगल, जमीन के लिये बलिदान दे दिया था।

हमारी पैतृृक भूमि पर हम आत्मदाह कर अपना बलिदान दे देंगे 


पीड़ित परिवार ने पत्र में उल्लेख किया है कि आजाद भारत में हम आदिवासी परिवार भी अपनी पैतृक जमीन 15 एकड़ से भी अधिक होने के बाद भी आज हमारा परिवार भूमिहीन हो गया है। इसमें अनावेदक भूमाफिया एहतेशाम खान जाति मुसलमान जैसे लोगों और राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की सांठगांठ के कारण यह सब हुआ है।
                    इससे हम अत्याधिक प्रताड़ित है अब परेशान हो चुके है। इसलिये हम धरती आबा बिरसा मुण्डा जी की शहादत दिवस के दिन 9 जून 2025 को दोपहर में 2 बजे अपने परिवार सहित बायपास चैक मण्डला रोड के पास पेट्रोल पंप के सामने स्थित हमारी पैतृृक भूमि पर हम आत्मदाह कर अपना बलिदान दे देंगे। इसका जिम्मेदार अनावेदक भूमाफिया एहतेशाम खान और राजस्व विभाग के आर, आई, पटवारी व अन्य जिम्मेदार अधिकारी होंगे।


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