आदिवासियों की मूल संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ समाज को एकजुट रहने का संदेश दिया
पारंपरिक वेशभूषा, वाद्ययंत्र और सांस्कृतिक उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला
डॉ हीरा धुर्वे ने वीरांगना रानी दुर्गावती चबूतरे के संवर्धन व वाउंड्री वॉल निर्माण के लिये 2 लाख की घोषणा
शासन-प्रशासन को आदिवासी मुद्दों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी विकासखंड लखनादौन के अंतर्गत धूमा मुख्यालय में 09 अगस्त 2025 को विश्व आदिवासी दिवस पर भव्य आयोजन किया गया। इसके साथ ही आकर्षक सांस्कृतिक रैली निकाल गई। इसके साथ ही प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान समारोह भी आयोजित किया।
लखनादौन के धूमा में 09 अगस्त 2025 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज द्वारा एक भव्य एवं गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक दल शामिल हुए।
भव्य रैली धूमा नगर में निकाल गई
कार्यक्रम की शुरूआत आदिवासी परंपरा अनुसार गोंगो पूजन से हुई। पूजन के पश्चात भव्य रैली धूमा नगर का भ्रमण करते हुए निकाली गई। जिसमें पारंपरिक वेशभूषा, वाद्ययंत्र और सांस्कृतिक उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।
वानी धुर्वे फिल्म प्रोडक्शन का अभिनंदन स्वागत किया
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हरि सिंह मरावी ने अपने उद्बोधन में आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपराओं को संरक्षित रखने और आने वाली पीढ़ी को इसकी शिक्षा देने पर बल दिया।
वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ. हीरा सिंह धुर्वे (वानी धुर्वे फिल्म प्रोडक्शन सिवनी) ने आदिवासी संस्कृति को फिल्मों और मीडिया के माध्यम से विश्व पटल पर ले जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, गोंडवाना वीरांगना रानी दुर्गावती चबूतरे के संवर्धन व वाउंड्री वॉल निर्माण के लिए 2,00,000 दो लाख रुपए की राशि देने की घोषणा किया।
जिसे उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ प्रोड्यूसर डॉ हीरा धुर्वे, संध्या धुर्वे, वानी धुर्वे,लाइन डायरेक्टर गंगाराम मरावी, सुरेंद्र उइके व इंजी. रवि मरावी एवं वानी धुर्वे फिल्म प्रोडक्शन सिवनी की टीम का फूल माला से स्वागत किया गया।
वन अधिकार कानून के सही क्रियान्वयन पर जोर दिया
इस अवसर पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिलाध्यक्ष सिवनी तिरु. गंगाराम मरावी जो कार्यक्रम संयोजक व मंच संचालक भी थे जिन्होंने पूरे आयोजन को ऊजार्वान तरीके से संचालित किया और जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा और वन अधिकार कानून के सही क्रियान्वयन पर जोर दिया।
समाज को एक रीति एक नीति में जोड़ने पर जोर दिया
साथ ही कोयतुर गोंडवाना महासभा ब्लॉक अध्यक्ष, तिरु. ठाकुर मरावी ने आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई और समाज को एकजुट रहने का संदेश दिया। समाज को एक रीति एक नीति में जोड़ने पर जोर दिया जिससे आने वाले समय में आदिवासियों की मूल संस्कृति को बढ़ावा मिले।
रैली सांस्कृतिक नृत्य करते हुए आगे बढ़ते गई
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जिला सचिव, रवि मरावी ने में कहा बारिश की वजह से रैली थोड़ी देरी से निकली, लेकिन यह सिर्फ रैली नहीं, बल्कि ये आदिवासियों का 'रैला' है। आदिवासियों के जुनून के आगे पानी को भी रुकना पड़ा। उनकी इस बात पर उपस्थित भीड़ ने जोरदार जय जोहार के नारे लगाए जिससे माहौल उत्साहपूर्ण हो गया और रैली सांस्कृतिक नृत्य करते हुए आगे बढ़ते गई।
रानी दुर्गावती जी और बिरसा मुंडा जी गाथाओं का सजीव चित्रण किया गया
रैली की जिम्मेदारी सयुक्त रूप से गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन व गोंगपा युवा मोर्चा ने निभाई। जिसमें पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ भव्य सांस्कृतिक झांकियाँ प्रस्तुत की गईं। इन झांकियों में गोंड रानी दुर्गावती जी और बिरसा मुंडा जी की ऐतिहासिक गाथाओं को सजीव रूप में दशार्या गया, जिसने उपस्थित जनसमूह को गौरवान्वित कर दिया।
प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का सम्मान किया गया
कार्यक्रम में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एवं कोयतूर गोंडवाना महासभा की ओर से शासन-प्रशासन को आदिवासी मुद्दों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया।इसके अलावा 10 वीं और 12 वीं कक्षा में प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को शील्ड और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। जिससे युवाओं में शिक्षा के प्रति उत्साह और प्रेरणा का संचार हुआ।
रैली के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिये आभार व्यक्त किया
कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष राजेश्वरी उइके व उपाध्यक्ष सुक्कुलाल बरकड़े ने संयुक्त रूप से की और अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे कार्यक्रम और रैली के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और सहयोग के लिए मंच से विशेष आभार व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम के समापन पर सामूहिक रैला पाटा किया गया
कार्यक्रम के समापन पर सामूहिक रैला पाटा किया गया। जिसमें उपस्थित सभी लोगों ने एकजुट होकर पारंपरिक नृत्य और गीत के माध्यम से आदिवासी एकता का संदेश दिया। अंत में उपस्थित लोगों के लिए भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें पारंपरिक व्यंजन परोसे गए और सभी ने सामूहिक भोजन कर भाईचारे का संदेश दिया।




