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गोंडी भाषा, गोंडवाना की अस्मिता और पहचान का प्रतीक है

गोंडी भाषा, गोंडवाना की अस्मिता और पहचान का प्रतीक है

गोंडी भाषा के मानकीकरण हेतु मंडला में वर्कशॉप जारी

छह राज्यों से गोंडी भाषा के विद्वान, शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए


कमलेश गोंड, राष्ट्रीय संवाददाता
मण्डला। गोंडवाना समय। 

गोंडवाना की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को संरक्षित करने के उद्देश्य से मंडला में पांच दिवसीय गोंडी भाषा मानकीकरण वर्कशॉप जारी है।


इस वर्कशॉप में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और उड़ीसा सहित छह राज्यों से गोंडी भाषा के विद्वान, शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए हैं। कार्यशाला में गोंडी भाषा की विभिन्न बोलियों को एक साझा स्वरूप प्रदान करने, गोंडी लिपि के विकास और शैक्षणिक सामग्री तैयार करने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। 

गोंडी भाषा को शिक्षण के स्तर पर कैसे जोड़ा जाए 


विद्वानों का कहना है कि गोंडी भाषा का मानकीकरण न केवल भाषा की एकरूपता स्थापित करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भाषा को संरक्षित करने का मजबूत आधार भी बनेगा।
            गोंड समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह प्रयास गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। वर्कशॉप में यह भी चर्चा हो रही है कि गोंडी भाषा को विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षण के स्तर पर कैसे जोड़ा जाए। 

प्रथम दिवस मंत्री सम्पतिया उइके का आगमन हुआ


गोंडी भाषा को गोंडवाना की पहचान और गौरव का प्रतीक बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि लाखों लोग इसे मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और अब समय आ गया है कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई जाए। कार्यशाला के प्रथम दिन मंडला विधायक एवं मध्यप्रदेश सरकार की पीएचई विभाग की मंत्री सम्पतिया उइके का आगमन हुआ।

विधायक नारायन पट्टा तथा पूर्व विधायक अशोक मर्सकोले हुये शामिल 


वही द्वितीय दिवस

बिछिया विधायक नारायन पट्टा तथा पूर्व विधायक अशोक मर्सकोले ने विशेष रूप से पहुंचकर गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि गोंडी भाषा गोंडवाना की अस्मिता और पहचान का प्रतीक है, इसलिए इसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी समाज के साथ-साथ शासन और प्रशासन की भी बनती है।

गोंडी भाषा मानकीकरण वर्कशॉप में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते होंगे शामिल 


गोंडी भाषा को एक स्वरूप देने और उसके मानकीकरण की दिशा में मंडला में जारी वर्कशॉप लगातार महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर बढ़ रही है। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से गोंडी भाषा के विद्वान, शोधकर्ता और समाजसेवी तो शामिल हो ही रहे हैं, साथ ही राजनीतिक प्रतिनिधियों का भी समर्थन मिल रहा है।
            आज इस वर्कशॉप में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के शामिल होने की आधिकारिक पुष्टि हो गई है। उनके आगमन से कार्यक्रम को और भी मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। विदित हो कि कुलस्ते गोंड समाज से गहराई से जुड़े हुए हैं और लंबे समय से गोंडी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग का समर्थन करते रहे हैं।

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