रूपये की जप्ती पुलिस से तो आरोपी क्यों नहीं बनाया जा रहा है ?
1 करोड़ 96 लाख की हेराफेरी में पुलिस के साथ गृह मंत्री का चेहरा भी हुआ दागदार
पुलिस विभाग के चक्कर में हवाला का रैकेट तंत्र का राज उजागर होने पर उठ रहे सवाल
आईजी ने स्वीकारा कि पुलिस की छवी धूमिल हुई, विवेचना भी त्रुटिपूर्ण,
सिवनी। गोंडवाना समय।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे सिवनी जक्शन का नाम देश भर में विख्यात है। मोगली सहित अन्य और भी खूबियां सिवनी जिले में समाहित में है।
वहीं बीते दिनों जो काण्ड सिवनी पुलिस की सीएसपी, बण्डोल थाना प्रभारी सहित एसडीओपी कार्यालय के पुलिस कर्मचारियों के द्वारा किया गया है उसने पूरे देश में खाकी का नाम बदनाम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है।
पुलिस की इतनी फजीहत हुई है उच्चाधिकारी तक सवालों के घेरे में है। हर प्रार्थी को नियम कानून का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस अपने ही विभागीय कर्मचारियों के मामले में नियम कानून के परे हटकर कार्य कर रही है।
पुलिस ने नगद रूपये छुड़ाकर अपने रख लिये और उसकी विधिवत जप्ती नहीं बनाया
हवाला की रकम का खेल किस तरह से कटनी जिले में चाहे किक्रेट सट्टा हो, खनन माफिया हो, भूमाफिया हो, आदिवासी की जमीनों के खरीद फरोक्त करने वाले राजनेता हो इनकी लिंक या जुड़ाव होने का कनेक्शन का खुलासा करने का अवसर लोभ लालच के चक्कर में गंवाने में सिवनी पुलिस की सीएसपी, बण्डोल के निलंबित थानेदार सहित अन्य पुलिस कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा है।
हवाला की नगदी रकम लगभग 3 करोड़ रूपये की खेप ले जाते हुये जिन्हें पकड़ा गया था उनसे नगद रूपये छुड़ाकर अपने रख लेना और उसकी विधिवत जप्ती नहीं बनाना, नियमों को दरकिनार करते हुये वैधानिक कार्यवाही नहीं करने से अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया गया है।
वहीं हवाला की रकम पुलिस द्वारा छुड़ाकर अपने पास रख लेने से नगदी रकम ले जाने वाले जब पुलिस की चौखट में पुलिस की शिकायत लेकर पहुंचे तो मध्यप्रदेश के गृह मंत्रालय की कार्यप्रणाली की वास्तविकता उजागर हो गई।
तो संबंधित पुलिस कर्मचारियों पर विधिवत एफआईआर दर्ज होनी चाहिये
वहीं इसके बाद मामला डीआईजी, आईजी से लेकर पीएचक्यू तक पहुंच गया। वहीं हवाला के नगदी नोटों को अपने पास रखने वाले संबंधित पुलिस कर्मचारियों में सीएसपी सहित बण्डोल थाना प्रभारी व अन्य लगभग 10 कर्मचारियों पर निलंबन की कार्यवाही की गई।
इसके बाद पुलिस प्रशासन ने हवाला के रूपये जिन जिन पुलिस अधिकारी व कर्मचारी के पास रखे थे उनसे वापस बुलवाया। यानि जो नोट हवाला के जरिये नगदी ले जाया जा रहे थे उनसे छुड़ाकर अपने पास पुलिस के कर्मचारियों ने रख लिये थे।
वहीं बाद में उन्हीं पुलिस कर्मचारियों से रूपये वापस मिलने की जप्ती भी की गई है। कानून के जानकारों की माने तो उनका कहना है कि जिसके पास से जप्ती बनाई गई या जिनके पास रूपये जप्त हुये है, वहीं साजिशन सांठगांठ के साथ मिलकर यह कृत्य को अंजाम दिया गया है तो संबंधित पुलिस कर्मचारियों पर विधिवत एफआईआर दर्ज होनी चाहिये। हालांकि यह मध्यप्रदेश के गृहमंत्री और गृह मंत्रालय व पुलिस प्रशासन का मामला है कि उन्हें पुलिस कर्मचारियों को बचाना है फिर एफआईआर दर्ज कराना है।
