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आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण व अत्याचार पर एक नजर

विशेष लेख : राजाबली मरावी डिण्डौरी विशेष संवाददाता

जिनका राजपाठ था जो पहले राजा थे आज उन्हीं आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण व अत्याचार पर एक नजर 

प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था सभी लोग इतने संपन्न थे। सभी सुख सुविधाओं से भरपूर जिन्दगी जीते थें किसी के अधीन नही थे। बड़े दयालू कृपालू साहसी व मेहनती भी थे। घी दूध भी भरपूर मात्रा में मिल जाता था, फिर बड़े आश्चर्य की बात है  कि ऐसा क्या अकाल पड़ गया की भारत के लोग इतने गरीब बन गये बड़ी सोचने की बात है कि यंहा के राजा महराजा भी अपने प्रजा के लिये अपने प्राणों का न्यौछावर कर देते थें। अचानक ऐसी किसकी बुरी नजर पड़ी भारत पर कि पूरा भारत देश इस भंयकर बीमारी का शिकार हो गया । आखिर क्या वजह रही की उस समृद्व भारत कि विरासत पर खतरे मंडराते रहे और बारिश रूपी प्रहार से पूरे भारत में गरीबी की बाढ़ आ गयी और इसका असर अभी भी जारी है। जब बाढ़ थमी तो ऐसा  सुखा आया कि भारत की तस्वीर ही बदल गयी। हमारे देश के हालात इतने खराब हो गये कि हालतों पर आज भी सुधार नही पाये है। साथियों अगर आप इसे चाहोगें तो आपको इससे पहले कुछ सच्चाई कि कहानी पढ़नी पडेगी। अगर आप पढ़ेगें तो समझ जायेगें की किस तरह से हमारे देश भारत के लोगों पर राजा महराजाओं को लड़वाकर अग्रेजी शासन लागू कर उन्हें यहां के लोंगो को गुमराह कर उन्हें गुलाम बनाकर गैर तरीके से अत्याचार करके उनका शोषण किया गया। जिसके आज भी लोग शिकार हो रहे है। मैं आपको सच्चाई कि और ले जाना चाहूगॉ कि किस तरह से उनका शोषण किया गया तो आप आश्चर्य में पड़ जायेगें कि कुछ लोगों ने हमारे देश में गैर तरीके से प्रवेश किया सबसे पहले कुछ लोग बाहरी देश से हमारे  देश में घूूमते घूमते आ गये। उन्होंने  यहां के राजा और जनता ठॉठ बाट लोंगों कि समृद्वी सभी सुविधाओं भरपूर समृद्धशाली देश भारत को देखकर वह हैरान रह गये। यह तो गजब का देश था। भारत यहां के किसी भी वस्तू कि कमी  नही थी सब सुख चैन से जी रहे थे। यहा के गोंड़ राजाओं के बारे में सुना तो गोंडवाना शासन व्यवस्था को देखकर आश्चर्य  में पड गयें। यहां के लोग ईमानदारी सरल एवं स्वभाव एक जैसा सोच विचार एंव व्यवहार व दयालू है। किसी का दान करने से मना नही करते जब गोड़  राजाओं कि राज महल और वहा पहुॅचने कि कोशिश  की तो शुरू में उन्हें रोक दिया गया । राजदरबार के अन्दर घुसने की तरकीब सोची वे लोग खाली हाथ आये थे लेकिन कूटनीति षडयंत्र कारी दिमाग एंव बड़ी चतुराई से उन्होंने  राज दरबार में मेहमान बनकर राजा से मिलने के बहाने बनाकर राज महलो के अन्दर प्रवेश किया, राजा को देखकर वह हैरान रह गयें और गोंड़ राजाओं के राजमहल में लगें हीरे जवारत सोने चॉदी से भरपूर वे लज्जित हो गये। गोड़वाना के राजा बहुत महान तो थे ही वे लोग लालच में आकर राजाओं को खुश करने के लिये। राजाओं कि महानता के गुण गाने लगे, राजा खुश होकर उन्हें हीरे मोती रत्न व सोने कि सिक्के आदि दान में दे देते थे। तों उनकी लालच और बढ़ाने लगी इस तरह से वह दैनिक क्रियाकलाप करने लगे और अपने साथियों को भी बुलाते गये और बड़ी चालाकी से भारत के हर राजाओं के राज दरबार में धुसे  और चतुराई से लोगो को अपने दिमाग का इस्तेमाल करके  लोगो को बेवकूफ बनाया और यहा मूलनिवासी समाज एंव राजा महराजाओं को आपस में लड़वाकर उनमें फूट डालकर राज करने की नीति को अपनाकर देश में षडयंत्र पूर्वक सभी राजाओं को आपस में लड़वाकर एक दूसरे से युद्व करवा दिये। राजा महराजा भी उनकी जाल में फंसते गये। इस तरह से इन लोगो ने चतुराई से सभी लोगों को आपस में लड़वाकर एक दूसरे पे अत्याचार करने उनका शोषण किया गया। धीरे धीरे षडयंत्र पूर्वक  यहा के सभी इलाको में फैल गए  उन्होंने  यहा व्यापार करने कि योजना से आदिवासी गोंड राजाओं एंव प्रजा को अपना शिकार बनाते गये और यहा के लोग उनका शिकार होते गये ।
आज सत्ता सिंहासन पर कब्जा कर मूलनिवासी समाज को जाति में विभाजन कर उन्हें एक दूसरे के प्रति बैर भावना पैदा कर दूरिया बना कर उनके ऊपर शोषण अन्याय अत्याचार दमनकारी नीतियों के शिकार बनाकर आज देश की मूलनिवासी समाज को शिक्षा रोजगार व्यापार स्वस्थ्य से कमजोर कर एक एक दाने को मोहताज कर दिये यहा तक आदिवासियों को एक रुपए किलो सड़े चावल, जूता चप्पल साड़ी देकर भीख मागने की स्थिति में खड़े कर दिये भोले भाले मूलनिवासी समाज षडयंत्रकारियों के शिकार में फ संकर अपनी पहचॉन मिटाने में लग गया है।

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