जल संसाधन विभाग आदिवासी किसान पर बना आफत, परिवार को पालने बनी मुसीबत
विकास के लिये आदिवासी किसान की जमीन अधिग्रहण करने वाले जल संसाधन विभाग अब बची कुची आदिवासी किसान की जमीन पर नाला बनाने की तैयारी कर रहा है अर्थात उसे और उसके पूरे परिवार को खदेड़कर भूखा मरने के लिये मजबूर कर रहा है । आदिवासी किसान के अशिक्षित होने का फायदा भी जल संसाधन सहित भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया करने वाले संबंधित प्रशासनिक विभाग ने भी जमकर उठाया है आदिवासी किसान को कितना मुआवजा मिला है उसकी जानकारी भी सही सही नहीं बताया गया जिससे वह बेहद परेशान है सबसे बड़ी उसे परिवार के पालन पोषण की चिंता सता रही है ।
डिण्डौरी। गोंडवाना समय। कनई नदी पर बन रहै मुड़की बांध में ग्राम बिनोदी निवासी किसान गुलाब सिंह मरावी ने गोंड़वाना समय कार्यालय में आकर अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि उसकी पैतृक कृषि भूमि मॉ श्रीमति बसोरिन बाई के नाम पर पटवारी हल्का नंबर 10/22 राजस्व निरिक्षक शाहपुर डिण्डौरी में कुल रकबा 6.69 हैक्टेयर भूमि तथा किसान गुलाब सिंह मरावी के नाम पर कुल रकबा 10.18 हैक्टेयर भूमि को जल संसाधन विभाग द्वारा निर्माण किये जा रहे, मुड़की बांध में अधिग्रहण किया गया है किसान के अनुसार किसान के पास खसरा नंबर 356 बचा हुआ है। जिस पर वह खेती कर रहा था उस जमीन पर भी जलसंसाधन विभाग के कर्मचारी अधिकारीगण के द्वारा कहा गया कि यहां पर खेती का काम मत करो, यंहा पर बांध में पानी ज्यादा भरने पर पानी निकासी हेतु नाला बनाया जायेगा, किसान ने बताया कि अब मेरे पास खेती कुछ नहीं है, मैं अपने परिवार के सदस्यों व बच्चों का पालन पोषण कैसे करूंगा। उक्त जमीन का मुझे पूर्ण मुआवजा भी नहीं दिया गया है, किसान ने बताया कि मुझे मात्र दो लाख अस्सी हजार ही मुआवजा दिया गया हैऔर साल भर से विभाग के चक्कर काट रहा हॅू।