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भूपाल शाह सल्लाम की नगरी भोपाल में ऐतिहासिक आयोजन जंगों लिंगों लाठी गोंगो पुनेम पाबुन संपन्न

भूपाल शाह सल्लाम की नगरी भोपाल में ऐतिहासिक आयोजन जंगों लिंगों लाठी गोंगो पुनेम पाबुन संपन्न

सभी ने एकस्वर में कोयापुनेम की व्यवस्था को संरक्षित करने पर दिया बल 

सगा सग्गुम आदिम सामाजिक संस्था भोपाल म प्र (इंडिया) ने रचा इतिहास


सगा-पाड़ी यह चिंतन का समय है । आने वाले समय में जो अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषिक दर्शन को जानता है वही अपने अधिकार हासिल करने का अधिकारी होगा । हमारे आदि पूर्वज अचाट मुठवा पहादीं पारी कुपार लिंगो बाबा द्वारा प्रदत्त यह प्रकृति आधारित कोयापुनेम, प्रकृति की उच्च दर्शन से परिपूर्ण कोयापुनेम नेंग सेंग मिजान, गोंडी भाषा- पाना पारसी को आज समाज से जोड़ना समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती है । पहला- समाज द्वारा अपने नये पीढ़ी को मूल मौलिकता से न जोड़ पाना । जिस कारण नये पीढ़ी का अन्य संस्कृति व धर्मों की ओर भटकाव लाजमी है । वहीं दूसरा- आज हमें मौलिकता की रत्ती भर  जानकारी न हो फिर भी हमारे किसी काम का न रूकना । चाहे वो पुटसीना, मड़मीग, सायना  (जन्म, विवाह, मृत्यु) यहाँ तक जाति प्रमाण पत्र बनवाने में भी कोई बाधा न आना । जब बिना रूकावट के संपूर्ण कार्य हो रहे हैं तो फिर मौलिकता की आवश्यकता किसको है । अपने मौलिक पहचान व प्रकृतिवादी उच्च व्यवस्था को सम्मान के साथ स्थापित करने का समय है ।


भोपाल। गोंडवाना समय। प्रदेश की राजधानी व भूपाल शाह सल्लाम की नगरी भोपाल में सगा सग्गुम आदिम समाजिक संस्था भोपाल इंडिया के लगातार बारह वर्षो के कठोर प्रयासों से आयोजित जंगों लिंगों लाठी गोंगो पुनेमी पाबुन के पावन अवसर पर आदिम समुदाय एम्प्लाइज वेलफेयर एसोशियन भेल के सांस्कृतिक भवन में विशाल समाजिक संगोष्ठी के साथ रंगारंग सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया । उपरोक्त समारोह के आरंभ  में पहादी पाडी कुपाड लिंगों बाबा व जंगों दाई के गोंगो कर संस्था के प्रमुख चिंतनकारों द्वारा उपस्थित सगापाडियों को कोयतुड़ कोयापुनेम का अटाक्य चिंतन देते हुये कार्यक्रम को संचालित किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अथिति अशोक शाह (आई ए एस ) प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय एवं निशक्त जन कल्याण विभाग म प्र .अशोक गोंड,डा. सुरेश उइके, डा. सुधीर वाडिवा , एम ईसा दौर .दिलीप उइके .विजय सिंह बट्टी .अशोक गोंड,डी आई जी, डा. सुरेश उइके, डा. सुधीर वाडिवा , एम ईसा दौर  महा प्रबंधक भेल, .दिलीप उइके .विजय सिंह बट्टी प्राचार्य, एवं आयोजन समिति  सगा सग्गूम आदिम समाजिक संस्था भोपाल इंडिया के अध्यक्ष जयपाल सिंह कुडापे , डा सूर्या बाली , एम्स भोपाल, डुमारी सिंह धुर्वे जिला खेल अधिकारी, , फूलसिंह मरावी , राजकुमार इडपाची , महासिंह धुर्वे , जगदीश मसराम, आई एल मर्सकोले , राजा रावेन तिलक धुर्वे , उपस्थित रहे एवं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता तिरूमाल सम्मल सिंह मरकाम जी  (सहायक संचालक) ने की । सभी ने कोयापुनेम की व्यवस्था को संरक्षित करने पर बल दिया गया है । वहीं स्मारिका का विमोचन किया गया ।



तभी हम व कोयापुनेम अपने अस्तित्व व अस्मिता को बचा पायेंगे 

हमारे आदि पूर्वज अचाट मुठवा पहादीं पारी कुपार लिंगो बाबा द्वारा प्रदत्त यह प्रकृति आधारित कोयापुनेम, प्रकृति की उच्च दर्शन से परिपूर्ण कोयापुनेम नेंग सेंग मिजान, गोंडी भाषा- पाना पारसी को आज समाज से जोड़ना समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती है । इतनी गहराई व विशिष्टताओं के बावजूद समाज का उसके मौलिकता से पूर्णतया न जुड़ना समाज पर कई बड़े प्रश्न खड़े हो रहे हैं । जिसमें मुख्य तौर पर यहाँ दो कारण स्पष्ट नजर आ रहे हैं । पहला- समाज द्वारा अपने नये पीढ़ी को मूल मौलिकता से न जोड़ पाना । जिस कारण नये पीढ़ी का अन्य संस्कृति व धर्मों की ओर भटकाव लाजमी है । वहीं दूसरा- आज हमें मौलिकता की रत्ती भर  जानकारी न हो फिर भी हमारे किसी काम का न रूकना । चाहे वो पुटसीना, मड़मीग, सायना  (जन्म, विवाह, मृत्यु) यहाँ तक जाति प्रमाण पत्र बनवाने में भी कोई बाधा न आना । जब बिना रूकावट के संपूर्ण कार्य हो रहे हैं तो फिर मौलिकता की आवश्यकता किसको है । यह सोचनीय व चितनीय बिंदु है । आने वाले समय में जो अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषिक दर्शन को जानता है वही अपने अधिकार हासिल करने का अधिकारी होगा । उस समय गोंड कोयतोड़ होने के बाद अपने आपको साबित नहीं नहीं कर पायेंगे । और स्वत: ही अपने अधिकारों से वंचित हो जायेंगे । सगा-पाड़ी यह चिंतन का समय है । अपने मौलिक पहचान व प्रकृतिवादी उच्च व्यवस्था को सम्मान के साथ स्थापित करने का समय है । तभी हम व कोयापुनेम अपने अस्तित्व व अस्मिता को बचा पायेंगे । इस दिशा में सगा सग्गुम आदिम सामाजिक संस्था भोपाल म प्र इंडिया निरंतर रचनात्मक कार्य कर रही है व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर रही है ।

पर्वों के माध्यम से पर्यावरण को सम्मान देना ही देशज समुदाय का मौलिक स्वभाव रहा है

यही सार्थक सोच लेकर हमारे अमूल्य वृहत सांस्कृतिक विरासत भाषा  धर्म, संस्कृति, को पाबुन एवं पड्डुम के माध्यम से समाज में जागृति लाने का प्रयास कर रही है । गोंड कोयतोड़ियन समुदाय के मुख्य पाबुन में एक  जंगो लिंगो लाठी गोगो पाबुन , हमारे आदि पूर्वज प्रकृति पुरोधा अचाट मुठवा पहादीं पारी कुपार लिंगो बाबा ने सृष्टि के गतिमान संरचना एवं सृजन व संचालन के सूक्ष्मता व गहराई से अध्ययन व आत्मसात करके व्यवस्थित व शांति पूर्वक जीवन जीने का प्रकृतिनूकूल मौलिक सिध्दांतों की अमिट पहचान व बुनियाद रखकर पाड़ी- पिता की पहचान दिये, और दाई रायताड़ जंगो ने मड़मीग  (विवाह) की व्यवस्था देकर कोयापुनेम , (कोयतोड़ियन धर्म) की स्थापना व उद्घोषणा सावरी  (साल) सारोमान  (छटवाँ माह) के पदनेटी  (दसवां दिन)  सेमर पेड़ के मिजानानुसार सावरी मड़ा के तले किए । तभी से संपूर्ण कोयतोड़ियन समुदाय समर्पित सेवाभाव के साथ प्रकृति संगत कोयापुनेम के स्थापना के सम्मान में यह पुनेम पाबुन, जंगो लिंगो लाठी गोगो पाबुन पुरातन काल से मनाते आ रहे हैं ।  इस पाबुन में जंगो लिंगो को विशेष सम्मान दिया जाता है । इस पर्व पर पहादीं पारी कुपार लिंगो बाबा एवं दाई रायताड़ जंगो, इन दोनों के सम्मान में दोनों को पौहवा  (डांग) के साथ, सेमर पेड़ का गोंगो करके धूम धाम से मनाया जाता है । पर्वों के माध्यम से पर्यावरण को सम्मान देना ही देशज समुदाय का मौलिक स्वभाव रहा है । मूल सामाजिकता व मूल सिध्दांतों में एक हैं । सगा सग्गुम आदिम सामाजिक संस्था भोपाल म प्र इंडिया द्वारा , 24 अक्टूबर 2018 को पूरे धूमधाम सेगोंगो व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भेल पिपलानी व सांस्कृतिक हाल में आयोजन किया गया है । जिसमें विभिन्न प्रदेशों के सम्मानीय अतिथि व चिंतनकारो के साथ कोयापुनेमी लोग शामिल होंगे ।
संस्था आप सभी से सपरिवार  कार्यक्रम में उपस्थिति का विनम्र अनुरोध करती है जिससे प्रकृतिसंगत कोयापुनेम के सर्वांगीण विकास व व्यवस्था पर चिंतन मनन किया जा सके एवं सामाजिक भविष्य को उज्जवल बनाने में अपना योगदान देने का अपील करता है ।

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