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कंगाली जी के साहित्य को पढ़ना और उसका अनुसरण करना हमारा सामाजिक दायित्व-डी सी उईके

कंगाली जी के साहित्य को पढ़ना और उसका अनुसरण करना हमारा सामाजिक दायित्व-डी सी उईके

सिवनी। गोंडवाना समय। गोंडी धर्म, संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज, परंपरा को लेकर के साथ साथ गोंडियन सगा समाज ही नहीं समस्त वर्गों के लिये जो साहित्य के माध्यम से संदेश लिंगोवासी मोतीरावण कंगाली ने दिया है उसे हमे पढ़ना तो है ही साथ उनके संदेशों का अनुसरण करना चाहिये तभी मानव समाज में समानता और मानवियता सिर्फ मनुष्य ही नहीं प्रकृति का हर एक उपहार के प्रति भी मानव संवेदनशील हो सकता है उक्त बाते कोयतूर गोंडवाना महासभा के जिला कोषाध्यक्ष डी सी उईके ने गोंडवाना समय कार्यालय में लिंगोवासी आचार्य मोतीरावण कंगाली जी की पुण्यतिथि के तहत देवांजलि कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुये कहा कि गोंडियन सगा समाज के लिये एक व्यवस्थित के रूप में साहित्य दिया है हमारे समाज के लिये वह महत्वपूर्ण योगदान है । हमें कंगाली जी द्वारा लिखित साहित्य पढ़ने के साथ प्रचार-प्रसार ज्यादा से ज्यादा करना चाहिये यह हमारी जवाबदारी है ।
उनके द्वारा रचित साहित्य को हमें सभी को मिलजुलकर जन-जन तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहिये । इसी कड़ी में उदयभान सिंह मरावी ने कहा कि कंगाली के द्वारा बताये गये सिद्धांतों व संदेशों के मार्ग पर हमें चलते हुये आगे बढ़ना चाहिये । इसी कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर तुमराम ने कहा कि कोयापुनेम में कंगाली जी भगवान की भावार्थ बताया है उसे सभी समाज के मानव को समझने की आवश्यकता है तभी हमारा मानव जीवन सफल हो सकता है । कंगाली जी द्वारा साहित्य के माध्यम से संदेश में एक एक शब्द में सत्य और मानवीयता स्पष्ट तौर पर सामने आती है बस हमें इसे समझने की आवश्यकता है । इस दौरान काफी संख्या में मौजूद लोगों ने मिलकर लिंगोवासी मोतीरावण कंगाली जी को देवांजलि अर्पित किया । 

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