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गोंड जनजाति का उत्तर प्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनाये जाने दिये निर्देश

गोंड जनजाति का उत्तर प्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनाये जाने दिये निर्देश

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा समीक्षा बैठक आयोजित

नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, विभिन्न जिलों के जिला कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की गई। इस दौरान आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय, उपाध्यक्ष सुश्री अनुसुईया उइके, सदस्य गण श्री हरिकृष्ण दामोर, श्री हरशदभाई वसावा, श्रीमती माया इवनाते सहित आयोग के संयुक्त सचिव शिशिर कुमार रथ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। समीक्षा बैठक के दौरान आयोग ने राज्य के विभिन्न जिलों मे अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के जाति प्रमाण पत्र नही बनाये जाने के मुद्दे को गम्भीरता से लिया।
राज्य के कई जिलों मे गोंड जाति का अनुसूचित जनजाति वर्ग मे जाति प्रमाण पत्र नही बनाया जा रहा है। इस सम्बन्ध मे आयोग को लगातार शिकायत मिल रही थी कि जिला मे निचले स्तर के अधिकारी लेखापाल या तहसीलदार द्वारा जाति प्रमाण पत्र नही बनाया जा रहा है। आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री अनुसूईया उइके ने इस मुद्दे पर मुख्य सचिव को तत्काल कदम उठाने को कहा। इसके साथ ही आयोग ने राज्य सेवा की नौकरियों मे आरक्षण, सुरक्षणों, संवैधानिक अधिकारों के विषय मे भी समीक्षा की।
आयोग ने जनजाति वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके लिए बने योजनाओं पर व्यय बढाने तथा मौजूदा आवंटन को सही ढंग से उपयोग करने की भी सलाह दी। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने आयोग को आश्वस्त किया कि आयोग द्वारा उठाए गए सभी बिन्दुओं पर सरकार प्रतिबद्धता के साथ समुचित कदम उठाएगा। इसके अलावा माननीय उपाध्यक्ष द्वारा आयोग मुख्यालय मे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये शिकायतों पर भी बैठक मे चर्चा की गई और आयोग द्वारा अनुशंसा के अनुपालन मे शीघ्र कार्यवाही करने को कहा गया। इस दौरान माननीय उपाध्यक्ष महोदया ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलो यथा मऊ, कुशीनगर, भदोही आदि के जिला कलेक्टर के साथ बैठक कर मामलों मे शीघ्र कार्यवाही कर आयोग को रिपोर्ट भेजने को कहा। बैठक के दौरान राज्य के विभिन्न जनजाति संगठनों के प्रतिनिधियों ने आयोग से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया जिसपर तत्काल नियमानुकूल समुचित कार्यवाही के लिए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और जिला कलेक्टर को कहा गया।

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