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मतदान हमारा मौलिक अधिकार-डॉ.के.के.चतुवेर्दी

मतदान हमारा मौलिक अधिकार-डॉ.के.के.चतुवेर्दी

विधी दिवस पर हुआ आयोजन

सिवनी। गोंडवाना समय।
मतदान हमारा मौलिक अधिकार है और इसमें विधी का विशेष महत्व है भारतीय संविधान में वर्तमान समय में 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार केन्द्रीय संसद की परिषद् में राष्ट्रपति तथा दो सदन है जिन्हें राज्यों की परिषद राज्यसभा तथा लोगों का सदन लोकसभा के नाम से जाना जाता है उक्त उदगार विधी दिवस के अवसर पर डॉ.केके चतुवेर्दी डायरेक्टर डीपीसी महाविद्यालय सिवनी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किये। इस अवसर पर अखिलेश यादव ने कहा संविधान की धारा 74,1 में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रि परिषद होगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद, में निहित है । डॉ.आरके चतुवेर्दी ने कहा मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोगों के सदन लोक सभा के प्रति उत्तरदायी है। प्रत्येक राज्य में एक विधानसभा है। जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश,बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक,आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में एक ऊपरी सदन है जिसे विधान परिषद कहा जाता है। राज्यपाल राज्य का प्रमुख है। प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा तथा राज्य की कार्यकारी शक्ति उसमें निहित होगी। मंत्रिपरिषद जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री है राज्यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्पादन में सलाह देती है। राज्य की मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से राज्य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है। महेन्द्र नायक ने कहा संविधान की सातवीं अनुसूची में संसद तथा राज्य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ संसद में विहित हैं। केन्द्रीय प्रशासित भू-भागों को संघ राज्य क्षेत्र कहा जाता है।
डॉ.राजीव कौशल ने कहा द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन ने भारत संबन्धी अपनी नई नीति की घोषणा की तथा भारत की संविधान सभा के निर्माण के लिए एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा जिसमें 3 मंत्री थे। 15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरम्भ कर दिया। प्रीति दुबे ने कहा संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। इस संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में कुल 114 दिन बहस की। प्रोफेसर अन्नपूर्णा शुक्ला ने कहा संविधान सभा में कुल 12 अधिवेशन किए तथा अंतिम दिन 284 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किया और संविधान बनने में 166 दिन बैठक की गई इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। भारत के संविधान के निर्माण में संविधान सभा के सभी 389 सदस्यो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।कार्यक्रम के दौरान हेंमत पंचेश्वर,कविता बेले, ऋषभ जैन, अमित मिश्रा, नरसिंह राजपूत, राजन,इमरान खान, आगा खान, गीतू भैरम, शालिनी, सुलोचना, हेमलता, नीता, माधुरी, निशा, अर्चना, शारदा, चन्द्रशेखर बघेल, जितेन्द्र मिश्रा आदि शामिल थे।

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