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बिना परमिशन के सरकारी तालाब से नहर के ठेकेदार ने निकाली मुरम

बिना परमिशन के सरकारी तालाब से नहर के ठेकेदार ने निकाली मुरम

नरेला और कारीरात गांव का मामला


सिवनी। गोंडवाना समय।
पेंच नहर का निर्माण कार्य कर रहे मेंटेना कम्पनी निर्माण कार्य में  लापरवाही व गुणवत्ता विहीन कार्य कर रही है। वहीं अवैध रूप से पंचायतों में मुरम का उत्खनन भी कर रही है। नरेला और कारीरात गावं में ग्राम पंचायत के सरपंच की सांठगांठ करके नहर कम्पनी के ठेकेदार ने सरकारी तालाब और उसके आसपास की बेशकीमती जमीन को खोदकर गड्ढा बना दिया है। नरेला के सरपंच नियम कायदों को ठेंगा दिखाकर मौखिक रूप से आदेश जारी कर दिया। वहीं  कारीरात के सरपंच द्वारा लेनदेन करके अवैध मुरम खुदवाया जा रहा है। पूर्व में भी खेल मैदान की जमीन के हिस्से को हड़पने के लिए खेल मैदान में नहर कम्पनी  के पोलकलैंड मशीन से अवैध उत्खनन करवा चुके हैं।

कैप के पीछे स्थित सरकारी तालाब में अवैेध उत्खनन

नरेला कैप के पीछे स्थित सरकारी तालाब के पास तीन स्थानों पर नहर कम्पनी के ठेकेदार द्वारा जेसीबी मशीन से अवैध उत्खनन किया जा रहा है। नहर कम्पनी के ठेकेदार यह मुरम निचले स्थानों में लेकर जा रहे हैं। बताया जाता है कि नहर कम्पनी के ठेकेदार ने राजस्व एवं कलेक्टर कार्यालय  खनिज विभाग की झंझट में फंसने  से बचने के लिए सरपंच के मौखिक आदेश पर उत्खनन कर मुरम ले गए जो की नियम के विरूद्ध माना जा  सकता है। ग्राम पंचायत के सरपंच को भी मौखिक आदेश देने का अधिकार नही है बकायदा ग्राम पंचायत की बैठक और प्रस्ताव के बाद ही किसी को भी उत्खनन की अनुमति प्रदान की जा सकती है। सरपंच को बकायदा इसकी सूचना कलेक्टर कार्यालय खनिज विभाग और जनपद पंचायत को देना पड़ता है। वहीं नहर कम्पनी के ठेकेदार को भी लिखित रूप से आदेश के बाद ही मुरम का उत्खनन करना चाहिए था लेकिन मनमानी और नियमों को रौंदने में माहिरा मेंटेना कम्पनी ने नियमों को ताक में रखकर सरकारी तालाब को खोखला कर दर्जनों डम्पर मुरम निकालकर ले गए। गांव के सरपंच सूर्य नारायण बघेल का कहना है कि सरकारी काम होने और नहर बनने से गांव का विकास होने के कारण उन्होंने कोई आपत्ति नहीं उठाई।  हम बता दें कि सरकारी काम चाहे सड़क,बिल्डिंग हो या फिर नहर का निर्माण कार्य नियमानुसार पंचायत और संबंधित विभागों से अनुमति मिलने के बाद ही निर्माण कार्य करने की स्वीकृति  मिलती है । इस बात से सरपंच सूर्य नारायण बघेल भलीभांति जानते हैं इसके बावजूद मौखिक आदेश देना और शासन का कार्य होने के कारण आपत्ति न जताए जाने की बात करना सवालो के घेरे में है।

कारीरात गांव में भी तालाब से सटकर उत्खनन

नहर कम्पनी के ठेकेदार ने ग्राम पंचायत कारीरात में भी अवैध रूप से मुरम का उत्खनन किया है। गांव के समीप स्थित डोंगरदेव मंदिर से 250 मीटर की दूरी पर स्थित सरकारी तालाब के ऊपर की टेकरी में मुरम के अवैध उत्खनन का खेल तीन-चार दिनों से चल रहा है। जबकि गांव के पूर्व सरपंच नेतराम बघेल बताते हैं कि उक्त जमीन भविष्य में गांव के सरकारी भवन या अन्य विकास कार्य के लिए काम आ सकती है।

सरकारी जमीन को हड़पने का प्रयास-

कारीरात गांव के सरपंच पदम सनोडिया द्वारा खेल मैदान से लगी हुई सरकारी जमीन को हड़पने का भी प्रयास करते हुए 18 अगस्त को नहर कम्पनी के माध्यम से जमीन से लगी हुई खेल मैदान पर अवैध उत्खनन कराया जा रहा था। मौके पर पहुंची गोंडवाना समय की टीम ने जब इस मामले की शिकायत तहसीलदार प्रभात मिश्रा से की तो उन्होंने मौके पर हल्का पटवारी को भेजा था। पटवारी के नाप के दौरान  लगभग 10 से 15 फीट जमीन खेल मैदान की उत्खनन होते पाई गई थी जिसे सरपंच पदम सनोडिया ग्रामीण और मीडिया को गुमराह कर रहा था कि वह उसकी निजी जमीन है। हालांकि पटवारी को इस मामले का जांच प्रतिवदेन अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भेजना था लेकिन उन्होंने नहीं भेजा और न ही सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की।

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