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कागजों में कई किलोमीटर दौड़ी मनरेगा की गाड़ी

कागजों में कई किलोमीटर दौड़ी मनरेगा की गाड़ी

निजी उपयोग,लाखों का डीजल फूंका

सिवनी। गोंडवाना समय।
जिला पंचायत में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के कार्यो की मॉनीटरिंग के लिए किराये पर लगाए गए सरकारी वाहनों को कागजों में जमकर दौड़ाया गया है। वहीं मनरेगा की परियोजना अधिकारी से रचना बोरिया से लेकर तत्कालीन मीडिया प्रभारी राहूल सक्सेना,मनरेगा के लेखाअधिकारी
नीलेश जैन,स्वच्छ भारत के परियोजना अधिकारी ओमेगा पाल सहित शिक्षा शाखा की सुश्री श्रद्धा उइके ने जमकर वाहन का उपयोग किया है।  सबसे खास बात तो यह है कि दर्शाए गए स्थल की दूरी से ज्यादा लागबूक में किलोमीटर भरा गया है और कई जगह तो लॉगबूक में वाहन का उपयोग करने वाले अधिकारी-कर्मचारी का नाम और हस्ताक्षर भी गायब है। आरटीआई के तहत निकाले गए दस्तावेज के बाद यह मामला सामने आ रहा है। हालांकि परियोजना अधिकारी सफाई देते  नजर आ रही हैं कि उन्होंने कभी भी सरकारी वाहन का निजी उपयोग नहीं किया है लेकिन लॉग बुक और वाहन का दूसरे जिले में जाना खुद ब खुद बयां कर रहे हैं। वहीं मनरेगा के लेखाधिकारी नीलेश जैन भी वाहन के मामले में बचते नजर आ रहे हैं।

सिवनी कार्यालयीन कार्य में ही 93 किलोमीटर दौड़ा वाहन

आईएसओ प्रमाणित जिला पंचायत सिवनी में वर्ष 2017 से अब तक वाहनों की डीजल के खर्चे की जांच-पड़ताल की  जाए तो लाखों रुपए का घोटाला सामने आ सकता है। सीईओ,परियोजना अधिकारी और मनरेगा के लेखाधिकारी की तिकड़ी का डीजल घोटाला सामने आ सकता है। वहीं किस तरह से वाहन का निजी उपयोग किया गया है वह भी सामने आ सकता है। मनरेगा की राशि से संचालित वाहन क्रमांक एमपी 22 टी 0831 वर्ष 2017 में कार्यालयीन कार्य से ही लोकल में 93 किलोमीटर तक दौड़ी है। जिस पर  जिला पंचायत के कुछेक कर्मचारी तक संदेह जाहिर कर रहे हैं उनका भी मानना है कि लोकल में 40 से 50 किलोमीटर चल सकती है लेकिन उससे ऊपर लॉगबूक में फर्जी भरा गया है। जिला पंचायत के दस्तावेज के मुताबिक वर्ष 2017 में 18 अप्रैल को लोकल सिवनी शहर में 93 किलोमीटर,22 अप्रैल को 86 किलोमीटर,25 अप्रैल को 88 किलोमीटर,27 अप्रैल को 80 किलोमीटर,20 जुलाई को 83 किलोमीटर,21 जुलाई को 69 किलोमीटर दौड़ी है। हर महीने इसी तरह कागजों में वाहन दौड़ाकर लॉगबूक में ज्यादा किलोमीटर भरकर डीजल की राशि में हेरफेर किया गया है।

सिवनी से डोरली छतरपुर की दूरी साढ़े 41 किलोमीटर !

जिला पंचायत कार्यालय से गोंडवाना समय की टीम द्वारा आरटीआई के तहत निकाली गई सत्यापित कापी में सिवनी से डोरली छतरपुर की दूरी साढ़े 41 किलोमीटर है। मनरेगा का वाहन एमपी 22 टी 0831 को लेकर जिला पंचायत के अधिकारी डोरली छतरपुर के वृक्षारोपण देखने गई थी। जिसमें उन्होंने लॉगबुक पर सिवनी से डोरली छतरपुर और वापस सिवनी आगमन पर 83 किलोमीटर वाहन चलना दर्शाया है। जिला पंचायत के अधिकारियों व वाहन की लॉगबुक पर अंकित किलोमीटर के हिसाब से सिवनी से डोरलीछतरपुर की दूरी साढ़े 41 किलोमीटर है।

आॅडिट टीम को सरकारी वाहन,286 किलोमीटर दौड़ा वाहन-

3 अगस्त 2017 को जिला द्वारा मनरेगा वाहन से आडिट टीम को बालाघाट छोड़ना दर्शाया है। जिसमें एक बार में लॉगबुक पर 256 किलोमीटर दर्शाया गया है। जबकि बालाघाट की दूरी सिवनी से 90 किलोमीटर बताई जाती है इस हिसाब से आना-जाना 180 किलोमीटर और यदि इधर-उधर 25-30 किलोमीटर और अधिक चलना मान लिया जाए तो 210,220 किलोमीटर से ज्यादा नहीं हो सकता है लेकिन लॉगबूक पर 256 किलोमीटर दर्शाया जाना और किसी भी अधिकारी के उस लॉगबुक पर हस्ताक्षर न पाया जानाा फर्जीवाड़े को दर्शा रहा है। आडिट टीम को छोड़ने के लिए नीलेश जैन का नाम दर्शाया गया है लेकिन उन्होंने  इंकार किया है। इसी तरह 25 अगस्त को फिर आडिट टीम को सरकारी वाहन की सुविधा उपलब्ध कराकर तत्कालीन मीडिया प्रभारी राहूल सक्सेना द्वारा बालाघाट छोड़कर आया गया है जिसमें 286 किलोमीटर वाहन का दौड़ना दर्शाया गया है जबकि बालाघाट की आने-जाने की कुल दूरी 180 किलोमीटर है। इस संबंध में तत्कालीन मीडिया प्रभारी राहूल सक्सेना का जवाब है कि शहर में इधर-उधर भ्रमण करने के बाद वाहन बालाघाट गया था जिससे किलोमीटर ज्यादा भरा गया है लेकिन लॉकबुक में स्थानीय स्तर पर वाहन के भ्रमण का कोई उल्लेख नहीं और नही भूलने का कोई सवाल उठता है क्योकि वाहन के ड्राइवर ने आरटीआई से निकाली गई और भी महीने की लॉकबुक पर दूसरे जिले के साथ यदि वाहन लोकल में भ्रमण किया है तो उसका भी उल्लेख किया है।

डीजल के नाम पर सरकारी राशि बंदरबांट-

जिला पंचायत के वाहनों की लॉगबूक में भरी गई रीडिंग को लेकर साफतौर पर फर्जीवाड़ा नजर आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि मनरेगा के लेखाधिकारी और अन्य अधिकारी मिलकर मनरेगा की सरकारी  राशि का बंदरबांट कर रहे हैं। संवेदनशील कलेक्टर प्रवीण अढ़ायच से आग्रह है कि इस मामले की बारिकी से जांच कराएें ताकि जिला पंचायत कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों की मनमानी उजागर हो सके।

  इनका कहना है..

मनरेगा का वाहन सरकारी काम काज में ही दौड़ा है। मैने कभी भी सरकारी वाहन का निजी उपयोग नहीं किया है।
श्रीमति रचना बोरिया, पीओ मनरेगा जिला पंचायत सिवनी।

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