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विश्वविद्यालयों में आरक्षण पर केंद्र की याचिका सुप्रीम में खारिज

विश्वविद्यालयों में आरक्षण पर केंद्र की याचिका सुप्रीम में खारिज

एनडीए की अगली बैठक में प्रधानमंत्री के सामने उठाएंगे-अठावले 

नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की याचिका रद्द होने पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने नाखुशी जाहिर की है। रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष अठावले ने कहा है कि वो इस मामले को एनडीए की अगली बैठक में प्रधानमंत्री के सामने उठाएंगे।   अठावले ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की याचिका खारिज होने से हम खुश नहीं हैं, हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस पर सोचे। एससी/एसटी और ओबीसी को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सही प्रतिनिधित्व मिले, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। हम चाहतें कि एससी/एसटी एक्ट की तरह इस फैसले को भी बदलने के लिए सरकार इस पर फैसला ले। अठावले ने कहा कि मोदी सरकार सभी दलितों और पिछड़े तबके के साथ खड़ी है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में टीचर्स के लिए आरक्षित पदों में कटौती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें उसने कहा था कि विश्वविद्यालयों में फैकल्टी पदों के लिए आरक्षण की गणना विभाग के हिसाब से की जाए, कुल पदों के हिसाब से नहीं। दरअसल, इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2017 में अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति में अगर यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना गया तो कुछ विभागों में सिर्फ आरक्षित वर्ग के लोग रहेंगे और कुछ में अनारक्षित ही बचेंगे, ऐसा तार्किक नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि यूजीसी की गाइडलाइन संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के खिलाफ है, इसलिए आरक्षण विभागवार लागू हो।

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