अतिक्रमण तो बड़े मिशन के कॉम्पलेक्स में भी
आज तक दुकानों के अनुबंध का किसी को पता नही
सिवनी। गोंडवाना समय।जिला प्रशासन द्वारा नगर की शालाओं के सामने से अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही की गई जिसकी लोगों ने सराहना भी की है इसी तारतम्य में लोगों का कहना है कि मिशन बालक हॉयर सेकेण्डरी शाला के सामने बाऊन्ड्री से लगकर बनाई गई 30 दुकानें जो कि 30 वर्ष पूर्व प्राचार्य एम.के. सिंह के कार्यकाल में दुकानदारों को बेची गई थी। जिससे शाला को किसी प्रकार की आय भी नही होती है इसके बावजूद भी यहां पर व्याप्त अतिक्रमण को हटाने के लिये राजस्व अमला और संबंधित विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई। ज्ञातव्य है कि सन 1900 में अंग्रेज मैकलिन के कार्यकाल में मिशन स्कूल का निर्माण किया गया था चूंकि यह शाला प्रायवेट थी इसलिये शाला संचालन हेतु स्काटलैण्ड स्थित मिशन से जुड़ी संस्था से अनुदान प्राप्त होता था लेकिन वर्तमान में इस संस्था में आय के स्त्रोत नही है इसके बावजूद भी इन दुकानदारों को किस अनुबंध के तहत यह दुकानें आवंटित की गई थी इसके संबंध में कोई नही जानता। उल्लेखनीय है कि पूर्व कलेक्टरों के कार्यकाल में अनेको बार इन दुकानों को लेकर आवाज उठती रही लेकिन देखने में आया कि इस मामले में कार्यवाही से पूर्व ही कलेक्टरों के स्थानांतरण होते रहे और समस्या जस की तस बनी रही। वर्तमान में हालात यह है कि 100 से अधिक वर्ष पुरानी इस संस्था को जीर्णोद्धार के लिये कोई ऐसा मद नही है जिससे इसके जीर्णोद्धार की दिशा में कदम उठाया जा सके। गौरतलब है कि इस संस्था ने अपने बीते वर्षो में अनेक ऐसे योग्य विद्यार्थी दिये है जो ना केवल प्रदेश में बल्कि देश,विदेश में अपनी सेवाओं के माध्यम से इस संस्था का परचम लहरा रहें है। जिला प्रशासन से लोगों को उम्मीद है कि संस्था का पुराना अस्तित्व बचाये रखने के लिये यहां पर ऐसे आय के स्त्रोत उत्पन्न करें जिससे संस्था का पुरान स्वरूप फिर से निखर के सामने आ सके। ऐसा माना जाता है कि शासन द्वारा जनहित में दी जाने वाली भूमि जिसे राजस्व विभाग द्वारा लीज में दी जाती है उसकी समयसीमा सुनिश्चित हुआ करती है लोगों को इस बात की आज भी जिज्ञासा है कि पूर्व प्राचार्य एमके सिंह द्वारा इन दुकानदारों को आवंटित की गई दुकानें कितने वर्षो के लिये दी गई थी और इन दुकानों के मेंटनेंश के लिये यह दुकानदार शाला को प्रतिमाह कितनी राशि देते है इस संबंध में अगर प्रशासन कदम उठाता है तो निश्चित ही यह शाला एवं अतिक्रमण अभियान की दिशा में एक अनुपम पहल होगी।