Monday, February 25, 2019

बब्बर शेर को लाने मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र

बब्बर शेर को लाने मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र

मध्य प्रदेश सरकार ने किया 24 गांव से 1543 परिवारों का पुर्नवास

एशियाटिक लॉयन गिर से कुनो राष्ट्रीय उद्यान में शीघ्र स्थानांतरित किये जाने को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और गुजरात सरकार को इस संबंध में शीघ्र कार्यवाही के निर्देश देंने के लिये प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है । 

भोपाल। गोंडवाना समय।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने एशियाटिक लॉयन (बब्बर शेर) का गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात से कुनो राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश में शीघ्र स्थानांतरित करने का आग्रह किया है। कमल नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और गुजरात सरकार को इस संबंध में वे शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश दें। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने पत्र में लिखा कि एशियाटिक लॉयन (बब्बर शेर) को कुनो राष्ट्रीय उद्यान स्थानांतरित करने के लिए भारतीय वन जीव संस्थान और विशेषज्ञों की गठित समिति की अनुशंसाओं को भी प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 24 गाँव (1543 परिवारों) का पुनर्वास किया जा चुका है। गिर के शेर अपना भोजन प्राप्त कर सकें, इसकी भी पूरी व्यवस्था कुनो राष्ट्रीय पार्क में की गई है। इस पर बड़ी मात्रा में राज्य सरकार द्वारा धनराशि खर्च की गई है। अब कुनो राष्ट्रीय उद्यान एशियाटिक लॉयन के स्वागत के लिए तैयार है। उन्होंने पत्र में लिखा कि समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप कुनो उद्यान में 404 वर्ग किलोमीटर के अतिरिक्त वन क्षेत्र को भी राष्ट्रीय उद्यान में जोड़ा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा था कि लुप्तप्राय एशियाटिक लॉयन के लिए दूसरा घर बनाना अति आवश्यक है। अगर एशियाटिक लॉयन को एक ही जगह रखा गया, तो यह प्रजाति विलुप्त हो जाएगी। मध्यप्रदेश का कुनो राष्ट्रीय उद्यान एशियाटिक लॉयन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल 2013 के आदेश के अनुसार 06 माह के भीतर एशियाटिक लॉयन को गुजरात से कुनो उद्यान में स्थानांतरित किया जाना था।

गुजरात सरकार लगा रही अड़गा तो कूनो का क्षेत्रफल हुआ दोगुना 

जनवरी में ही श्योपुर जिले में केन्द्र सरकार की सहमति के बाद मप्र सरकार ने कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। बता दें कि वर्ष 1996 में कूनो सेंचुरी अस्तित्व में आई थी। वर्ष 2003 से मप्र सरकार, गुजरात से बब्बर शेर मांग रही है लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजरात सरकार कूनो को बब्बर शेर देने में अड़ंगा लगाती आ रही है। बब्बर शेरों का 15 साल से इंतजार कर रहे कूनो प्रशासन ने सितंबर 2016 में म प्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा जिसमें, कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा दिए जाने की मांग की गई थी वहीं तीन महीने पहले मप्र सरकार की केबिनेट बैठक में कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव पास करके दिल्ली भेजा गया था और भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा देने पर सहमति दिया था। इसके बाद मप्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर कूनो को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया था । कूनो सेंचुरी का एरिया पहले 344.686 वर्ग किलोमीटर था। बब्बर शेर देने के लिए गुजरात सरकार ने कूनो को छोटा बता दिया था। इसके बाद कूनो का एरिया बढ़ाकर दोगुना करने का काम भी साथ-साथ चला। नेशनल पार्क की घोषणा वाला जो गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ है उसमें कूनो का क्षेत्रफल 404.0758 वर्ग किलोमीटर और बढ़ा दिया गया है। यानी कूनो का क्षेत्रफल अब 748.7618 वर्ग किलोमीटर हो गया है। इसके लिए करीब 59 करोड़ रुपए खर्च करके बागचा गांव को विस्थापित किया गया है । सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की गिर सेंचुरी से बब्बर शेरों की शिफ्टिंग के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। यह एक्सपर्ट कमेटी दो बार श्योपुर आकर कूनो का निरीक्षण कर चुकी थी और कमेटी के सदस्यों ने कूनो को बब्बर शेरों के लिए पूरी तरह सुरक्षित व वातावरण को अनुकूल माना था । नेशनल पार्क का दर्जा मिलने के बाद एक्सपर्ट कमेटी की सिफारियों को आगे रखते हुए मप्र सरकार ने गुजरात से बब्बर शेर की मांग किया था और कमलनाथ ने भी इस मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है । बताया जाता है कि जिसमें पहली बार में 16 बब्बर शेर कूनो में लाए जाने थे। इसके लिए एक्सपर्ट कमेटी ने पूरी योजना सामने रखी। जिसमें हवाई मार्ग से शेरों की शिफ्टिंग का सुझाव है। इससे शेर जल्दी आएंगे और बीमारी की चपेट में आने की आशंका भी नहीं रहेगी यह भी बताया था और कमेटी ने सर्दियों के सीजन को शिफ्टिंग के लिए सबसे अच्छा समय भी माना था ।

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