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समाज को स्वर्णिम साहित्य सौंपकर अमर हो गये कंगाली जी

समाज को स्वर्णिम साहित्य सौंपकर अमर हो गये कंगाली जी

गोंडी भाषा दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनायेंगे कंगाली जी की जयंति 

सिवनी। गोंडवान समय।
गोंडी भाषा, धर्म, संस्कृति को स्वर्णिम साहित्य के रूप में सुरक्षित,संरक्षित कर लिखित रूप में रचित कर गोंडियन सगा समाज ही नहीं प्रकृति को मानने को वाले समस्त वर्गों के लिये सत्य से परिपूर्ण साहित्य प्रदान कर अमर हो गये है और जब तक सूरज-चांद रहेगा मोतीरावण कंगाली जी का नाम रहेगा का नारा लगाते हुये समाज सेवक तिरू बाबूलाल बट्टी जी ने लिंगोवासी गोंडी पुनेमाचार्य दादा मोतीरावण कंगाली की जयंति के अवसर पर सगा समाज को संबोधित करते हुये कहा कि मोतीरावण कंगाली जी ही एक मात्र व्यक्ति थे जिन्होंने मोहन जोदड़ो हड़प्पा संस्कृति में लिखित लिपि को पढ़ पाया था । इतना ही नहीं प्रकृति शक्ति को मानने वाले गोंडियन सगा समुदाय को उन्होंने भारत देश के कोने कोने में भ्रमण कर ऐतिहासिक साहित्य के रूप में रचना किया है जो कि कई पीढ़ियों को पढ़ने जानने के लिये काम आयेगा और कंगाली जी ने समाज के लिये बलिदान देकर अमर हो गये । दादा मोती रावण कंगाली की जयंति कार्यक्रम में समाजसेवक डी सी उईके, पी एस मसराम, दयाशंकर मर्सकोले, रामेश्वर तुमराम सहित अन्य सगाजन उपस्थित रहे ।

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