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मानवता दरकिनार,ट्रेफिक का पाठ पढ़ा रही पुलिस

मानवता दरकिनार,ट्रेफिक का पाठ पढ़ा रही पुलिस

बुधवारी बाजार के पास सड़क पर पड़े व्यक्ति की किसी ने नहीं ली सुध

सिवनी। गोंडवाना समय। 
वर्दी ही नहीं हमदर्दी का पाठ जिस पुलिस को पढ़ाया गया है। वहीं पुलिस लोगों की जान की सुरक्षा का हवाला देते हुए शहरवासियों को ट्रेफिक का पाठ तो पढ़ा रही है लेकिन मानवता भूल गई है। शहर की पुलिस मानवता को दरकिनार कर निकल रही है। इसके अलावा शहरवासी भी मानवता को अनदेखी कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं रविवार को बुधवारी बाजार के पास के नजारे की जहां एक मटमैले कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति औंधे मुंह सड़क पर पड़ा हुआ था लेकिन उसकी किसी ने कोई सुध नहीं ली।
हर एक वाहन चालक उसके समीप से वाहन लेकर गुजर गया लेकिन किसी ने उसकी कोई सुध नहीं ली। सबसे खास बात तो यह थी कि पुलिस के दो जवान एक बाइक में  सड़क में पड़े हुए शख्स के बगल से नगरपालिका की ओर निकल गए  लेकिन कौन है और कैसे सड़क पर पड़ा है गौर तक नहीं किया।

मृतकों की सुध,जिंदा के लिए बेसुध

विक्षिप्त हो या लावारिस व्यक्ति की मौत के बाद पुलिस सुध ले लेती है। मौत के बाद उसकी जांच के लिए पतासाजी में जुट जाती है लेकिन शहर गली में जो जिंदा सड़क पर पड़ा है उसको लेकर पुलिस बेसुध नजर आई। सबसे खास बात तो यह है कि सड़क पर पड़े हुए व्यक्ति की पड़ रही शीतलहर या फिर वाहनों के आवाजाही से मौत हो जाए इसकी भी फिक्र पुलिस ने नहीं ली।
रविवार की सुबह से लेकर देर शाम तक सड़क पर एक व्यक्ति औंधे मुंह पड़ा रहा और वह जिंदा था या नहीं यह भी कहा नहीं जा सकता।

समाजिक न्याय विभाग भी नहीं ले रहा सुध

शहर में घुम रहे विक्षिप्तों की सुध न तो शहर की पुलिस और नगरपालिका प्रशासन ले रहा है और न ही समाजिक न्याय विभाग को कोई सुध  है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि शहर में घुम रहे विक्षिप्तों की सुरक्षा व देखरेख की जवाबदारी किसकी है। क्यां उन्हें यू हीं सड़क पर पड़े रहने दिया जाए और ठंड या हादसे में मौत होने दिया जाए यह सवाल खड़ा हो रहा है। बताया जाता है कि समाजिक न्याय विभाग के पास हर साल शासन स्तर से लाखों रुपए का बजट आता है लेकिन समाजिक न्याय विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कागजी कार्रवाई कर गोलमाल कर लेते हैं। हम बता दें के पूर्व में समाजिक न्याय विभाग के जो अफसर पदस्थ रहे हैं उन्होंने पुलिस,नगरपालिका और स्वास्थ्य विभाग की मदद से विक्षिप्तों की सुध लेकर उनके उपचार के लिए ग्वालियर तक भिजवाया था लेकिन वर्तमान में पदस्थ समाजिक न्याय विभाग के वीरेश सिंह बघेल उनकी सुध नहीं ले रहे हैं और न ही बता पा रहे हैं कि किसकी जिम्मेदारी है।

किस काम की शहर की आंखे

सड़क पर पड़े हुए व्यक्ति की सुध न लेने से ऐसा प्रतीत होता है कि शहर के लोगों में तो मानवता खत्म हो गई है लेकिन सीसी टीवी कैमरे जो शहर में लगाए गए हैं वे  किस काम के है। क्या उन कैमरे में सड़क पर पड़े हुए व्यक्ति की तस्वीर नहीं दिखाई दे रही है जो कि जिले के संवेदनशील पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार का ध्यान आकर्षित कर सके।

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