Type Here to Get Search Results !

खतरे में पेंच,वन्यप्राणी का हो रहा शिकार,लूट रहे वाहवाही

खतरे में पेंच,वन्यप्राणी का हो रहा शिकार,लूट रहे वाहवाही

सिवनी। गोंडवाना समय। 
पेंच नेशनल पार्क की सुरक्षा खतरे में है। पेंच में शिकारी सक्रिय होकर वन्यप्राणियों के शिकार में जुटे हुए हैं। इसकी बानगी खुद पेंच के विजयपानी घोघरी बीट कक्ष क्रमांक आर 395 में हुए जंगली सूकर का शिकार है। धरमदास पिता धानसिंह नामुर्ते के खेत में दबिश देकर झोपड़ी से जंगली सूकर के अवशेष,02 नग पैर और एक कुल्हाड़ी  जब्त की गई है। पूछताछ पर आरोपित धरमदास ने बताया कि 6  फरवरी की शाम लगभग 6 बजे खेत के पास स्थित तालाब में जंगली सूकर का झुण्ड पानी पीने के लिए आया था उसी दरमियान उसने पालतू कुत्तों की मदद से एक जंगली सूकर को घेरकर कुल्हाड़ी मारकर उसका शिकार किया था। यह कार्यवाही परिक्षेत्राधिकारी घाटकोहका गौतमप्रसाद सोनी के मार्गदर्शन में सतीराम उइके परिक्षेत्र सहायक विजयपानी, जगदीश भलावी वनपाल, वनरक्षक पवित्र हरदहा, वनरक्षक पंकज चैधरी, वनरक्षक ब्रजेश चन्द्रवंशी, वनरक्षक भूपेन्द्र राजपूत, श्रमिक भुवन मर्सकोले, दुर्गेश नवरेती, जगत मर्सकोले, हीरा उइके, मिथिलेश वट्टी एवं चंदर कुमरे मौजूद थे।

मांस बन गया निवाला,अवशेष झोपड़ी में रखे थे छुपाकर

आरोपित धरमदास नामुर्ते ने बताया कि सूकर का मांस पकाकर खा लिया गया है एवं बाकी बचे हुए अवशेष को झोपड़ी में छिपाकर रख दिया गया था।घटना स्थल से आरोपी धरमदास वल्द धानसिंह नामुर्ते, ग्राम-सिमरिया, थाना-कुरई के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 39 एवं 52 के अंतर्गत वन अपराध प्रकरण क्रमांक 39019/ 8 फरवरी को मामला कायम कर न्यायालय में पेश किया गया।

सूकर का शिकार,धरपकड़ में सराहनीय 

पेंच की सुरक्षा को लेकर उनके स्टॉफ से लेकर खुद पेंच के डायरेक्टर विक्रम सिंह परिहार कितने गंभीर हैं उनके बोल खुद बयां कर रहे हैं। पेंच में शिकार हो रहे वन्य्रपाणियों को लेकर संबंधित क्षेत्र के वन अमले को दोषी नही मानते बल्कि शिकार के बाद  धरपकड़ कर रहे हैं उसे सराहनीय कार्य कहते हुए वाहवाही कर रहे हैं। पेंच के डायरेक्टर की इन बातों से निश्चितौर पर पेंच के स्टॉफ को लापरवाही करने की खूली सह मिल रही है। उनकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि शिकारियों को पकड़ना जरूरी है लेकिन जंगल को लावारिस छोड़कर शिकार होने दो। पेंच के डायरेक्टर विक्रम सिंह परिहार से जब जंगली सूकर के शिकार को लेकर संबंधित क्षेत्र के प्रभारी पर क्या कार्रवाई होगी तो उनका जवाब लाजवाब था कि अपराध तो पुलिस थाने के बगल में भी होते हैं लेकिन अपराध की धरपकड़ जरूरी है और जो धरपकड़ कर लेता है उसका कार्य सराहनीय होता है। ऐसा ही सुकर का शिकार मायने नहीं रखता है उसे पकड़ लिया गया है इसलिए सराहनीय कार्य है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         शाकाहारी-मांसाहारी वन्यप्राणी का आंकलन 13 से 19 तक, एक घंटे देरी से खूलेगा पार्क
पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी के कोर,बफर क्षेत्र में शाकाहारी,मांसाहारी वन्यप्राणी आंकलन का कार्य 13, 14, 15 एवं 17, 18, 19 फरवरी  2019 को किया जाएगा। वन्यप्राणियों के आंकलन के चलते पार्क निर्धारित समय से एक घंटे देरी से खूलेगा। इस दौरान पार्क प्रात: सफारी हेतु निर्धारित समय से 1 घंटे देरी से खुलेगा। वन्यप्राणी गणना के दौरान आम जनता की भागीदारी बढ़ाने एवं पारदर्शिता स्थापित करने की दृष्टि से वन्यप्राणी गणना कार्य में रूचि रखने वाली स्वयंसेवी संस्था/ ऐसे नागरिक जो 18 वर्ष या अधिक आयु के हैं तथा वन्यप्राणी गणना कार्य में स्वेच्छा से स्वयंसेवक के रूप में सम्मिलित होना चाहते हैं उन्हें पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी वन्यप्राणी गणना कार्य में भाग लेने  के लिएआमंत्रित किया है। इच्छुक स्वयंसेवी संस्था,व्यक्ति सुविधा अनुसार परिक्षेत्र कार्यालय कर्माझिरी (मुख्यालय खवासा), खवासा परिक्षेत्र, कुरई परिक्षेत्र, रूखड़ परिक्षेत्र, अरी परिक्षेत्र, घाटकोहका परिक्षेत्र एवं गुमतरा परिक्षेत्र (मुख्यालय बिछुआ) कुंभपानी परिक्षेत्र (मुख्यालय बिछुआ) एवं खमारपानी परिक्षेत्र (मुख्यालय बिछुआ) में उपस्थित होकर संबंधित परिक्षेत्राधिकारी से संपर्क कर वन्यप्राणी गणना कार्य में सम्मिलित हो सकते हैं। गणना कार्य के संबंध में  12  फरवरी सुबह साढ़े दस  बजे से रूखड़ में प्रशिक्षण आयोजित किया गया है जिसमें इच्छुक स्वयंसेवी संस्था,व्यक्ति सम्मिलित हो सकते हैं। स्वयंसेवकों को वनक्षेत्रों की विपरीत परिस्थितियों तथा दुर्गंत वन क्षेत्रों में पैदल चलने के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम होना अनिवार्य होगा तथा स्वयं सेवकों को आवागमन एवं भोजन आदि का व्यय स्वयं वहन करना होगा। इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिये बीपी तिवारी अधीक्षक पेंच मोगली अभ्यारण्य एवं  श्रीमति भारती ठाकरे, सहायक वनसंरक्षक छिन्दवाड़ा संपर्क किया जा सकता है।  

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.