किसानों के हंगामे में झुक गई सरकार,चक्काजाम किया तो खूल गया पोर्टल
धान बेचने वाले किसानों ने बरघाट में चक्काजाम कर किया हंगामा
सिवनी/ बरघाट। गोंडवाना समय।
धान को बेचने के बाद भी आॅनलाइन पोर्टल में पंजीयन और भुगतान के लिए भटक रहे किसानों का सब्र गुरुवार की दोपहर टूट गया। जिले का धान का कटोरा कहलाने वाला और प्रदेश के कई जिलों में चावल की सप्लाई करने वाला बरघाट तहसील के सैकड़ों किसान गुस्साकर कांग्रेस सरकार और प्रशासन के खिलाफ सड़क पर उतर आए। किसानों के चले हंगामे के बाद उन्हें शांत करने व आगामी लोकसभा चुनाव के फायदे देखकर आखिरकार कांग्रेस सरकार के भोपाल स्तर पर बैठे अफसरों को पोर्टल चालू करवाना पड़ा। हम बता दें कि सीधे तौर पर धान का पंजीयन,उठाव और भुगतान को लेकर किसान कई बार नागरिक आपूर्ति निगम के दिलीप सक्सेना,कलेक्टर प्रवीण अढ़ायच सहित बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया को भी शिकायत की गई थी लेकिन जब सत्ता उनकी होने के बावजूद कोई हल नहीं निकला तो किसान एक राय होकर गुरुवार को सड़क पर उतर आए। जिसके बाद प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक हरकत में आए और भोपाल स्तर पर बात समस्या का हल किया।
टोकन के बाद भी 2442 किसान धान बेचने से वंचित-
किसानों के हंगामे के बाद संचालक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मध्यप्रदेश द्वारा 7 मार्च को आनन-फानन जारी किए गए आदेश में जिले के 46 उपार्जन केन्द्र के 2442 किसान धान बेचने से वंचित हैं जिन्हें 23 एवं 24 जनवरी को धान खरीदी का टोकन दिया गया था लेकिन खरीदी का पोर्टल बंद हो जाने से खरीदी केन्द्रों ने किसानों का धान नहीं खरीदा, लेकिन बरघाट में किसानों द्वारा कांग्रेस सरकार और प्रशासन के खिलाफ हंगामा बोलने के उपरांत जिले के कलेक्टर को पत्र जारी करके समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन करने का आदेश जारी कर दिया है।
तीन घंटे तक किसानों ने मचाया हंगामा-
बरघाट क्षेत्र के तकरीबन तीन सौ से चार सौ किसानों ने बरघाट सड़क को जाम करके तीन घंटे तक हंगामा मचाया। बताया जाता है कि जैसे ही किसानों ने सड़क पर हंगामा किया। पुलिस व प्रशासन सकते में आ गया। फौरन पुलिस और तहसीलदार,एसडीएम सहित उनका अमला और क्षेत्रीय विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया मौके पर पहुंच गए और भोपाल स्तर में बात करके किसी भी तरह से पोर्टल चालू करवाया और धान बेचने से शेष बचे किसानों की धान खरीदी का आदेश जारी करवाया।
गोंडवाना समय ने सरकार को पहले ही कर दिया था आगाह-
हम बता दें कि कुछ दिन पहले ही गोंडवाना समय ने खबर प्रकाशित करते हुए कांग्रेस सरकार और प्रशासन को साफतौर पर आगाह कर दिया था कि अगर पोर्टल से वंचित किसानों की धान नहीं खरीदी गई और जल्द ही उनके खातों में पैसा नहीं पहुंचा तो किसानों का गुस्सा कांग्रेस सरकार के खिलाफ भड़क सकता है। गुरुवार को किसानों के हंगामे ने सिद्ध कर दिया है।