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घातक चुटका परमाणु परियोजा को तत्काल रद्द करें

घातक चुटका परमाणु परियोजा को तत्काल रद्द करें

नर्मदा नदी को करेगा प्रदूषित तो मानव के लिये होगा धीमा जहर

वर्धा। गोंडवाना समय। 
जन-आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (देश के विभिन्न संगठनों का समूह) द्वारा 3 से 5 मार्च 2019 तक गांधी विचार परिषद, वर्धा में चिंतन बैठक आयोजित की जा रही है । इस बैठक में देश के अनेक मुद्दों के साथ नर्मदा नदी पर प्रस्तावित चुटका परमाणु परियोजना पर भी विस्तृत चर्चा हुई तथा देश के विभिन्न संगठनों ने अपना सामूहिक वक्तव्य जारी किया है । वक्तव्य में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिला मंडला के ग्राम चुटका में भारत सरकार द्वारा 1400 मेगावाट की चुटका परमाणु विधुत परियोजना प्रस्तावित है। मंडला जिला भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची (आदिवासी क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था) के तहत वगीकृत है। जहाँ पैसा कानून 1996 प्रभावशील है। यह परियोजना नर्मदा नदी पर निर्मित बरगी बांध पर प्रस्तावित है और यहाँ के लोग एक बार पहले भी बरगी बांध से विस्थापित हो चुके हैं। आपदा प्रबंधन संस्थान भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार मंडला में भी टीकरिया बस्ती के आसपास का क्षेत्र भूकंप की दृष्टी से अति संवेदनशील है। जिस समय चुटका परियोजना को योजना आयोग से मंजूरी मिली थी तब सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करना महंगा होता था आज स्थिति बदल गई है । अब सौर ऊर्जा परमाणु उर्जा से सस्ती पड़ती है । मध्य प्रदेश में बिजली औसत मांग 8 से 9 हजार मेगावाट है तथा उच्चतम मांग 12 हजार मेगावाट है। जब कि उपलब्धता 18 हजार 364 मेगावाट है ।

7 करोड़ 88 लाख 40 हजार घन मीटर पानी प्रतिवर्ष लगेगा

परियोजना हेतु बरगी बांध से 7 करोड़ 88 लाख 40 हजार घन मीटर पानी प्रतिवर्ष लगेगा। जितना इस्तेमाल प्लांट को ठंडा करने में होगा जो काफी मात्रा में भाप बनकर उड़ जाएगा तथा जो पानी बचेगा वो विकरण युक्त होगा नर्मदा नदी को प्रदूषित करेगा । चुटका के आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा कारणों से बरगी जलाशय में मत्स्याखेट तथा डूब से खुलने वाली भूमी पर खेती करना प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। अत: केंद्र एवं राज्य सरकार आदिवासियों के व्यापक हित को देखते हुए इस घातक परियोजना को तत्काल रदद् करें।  वक्तव्य देने वालों में पर्यावरण सुरक्षा समिति (गुजरात),संगतनी, रिहाई मंच (उत्तर प्रदेश), जन जागृति संगठन, कोशि नव निर्माण मंच (बिहार), खुदाई खिदमतगार, जन संघर्ष वाहिनी (दिल्ली), मजदूर किसान संघर्ष समिति, अवैध खनन विरोधी संघर्ष समिति (राजस्थान), सर्व धर्म समन्वय परिषद, झारखंड जन अधिकार मंच (झारखंड), घर बचाओ घर बनाओ आंदोलन (मुम्बई), आमी आमचया आरोग्य साठी(महाराष्ट्र), रायतु स्वराज वेदिका (आंध्रा प्रदेश एवं तेलगांना),पेनुरीमइ एकम(तमिलनाडू), लोक शक्ति अभियान (उड़ीसा), रेला(छत्तीसगढ़) नर्मदा बचाओ आंदोलन, किसान संघर्ष समिति, सेंचुरी सत्याग्रह आंदोलन, महान संघर्ष समिति, बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ (मध्यप्रदेश) तथा बैठक में शामिल अनेक वयक्तिगत  लोगों ने इस मांग का समर्थन किया है ।

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