अब गोंडी भाषा प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में होगी शामिल
अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को होगा शासकीय अवकाश
गोंडी भाषा को मान्यता दिये जाने की मांग करोड़ों गोंडियनजनों के द्वारा किया जाते रही है हालांकि अभी संविधान की आठवी अनुसूचि में गोंडी भाषा को मान्यता नहीं मिल पाई है । गोंडी भाषा को पढ़ने-लिखने-बोलने वाले असंख्य गोंडियन समुदाय समय समय पर इसे स्कूलों के प्राथमिक पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग भी करते रहे है लेकिन इनकी मांग को हमेशा अनसुना कर दिया जाता था परंतु निरंतर मांग किये जाने से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बनने के बाद पहली बार यह मांग पूरी हुई है । अब मध्य प्रदेश के जनजाति बाहुल्य जिलों की प्राथमिक शालाओं में गोंडी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा । जिससे गोंडी भाषा जो कि विलुप्ती के कगार की ओर बढ़ रही थी अब वह सभी के लिये जानने-पढ़ने-बोलने में आसान हो जायेगी ।
सिवनी/भोपाल। गोंडवाना समय। जनजाति बाहुल्य मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमल नाथ ने देश की सबसे प्राचीन भाषा गोंडी भाषा को जीवंत रखने और उसे हर किसी को जानने-समझने-बोलने में सरलता हो और गोंडी भाषा की मधुरता को और उसके एक एक स्वर अक्षर से बने हुये शब्दों से निकलने वाली मिठास को प्राथमिक स्कूल में कदम रखने वाले बच्चों को मिल सकेगी । मुख्यमंत्री कमल नाथ की इस पहल से लाखों गोंडियनजनों को खुशिया मिलेगी जो कि नि:शुल्क गोंडी भाषा को पढ़ाने का प्रशिक्षण समाज के सच्चे सेवक होने के नाते जनजाति बाहुल्य जिलों में दे रहे थे । हम आपको बता दे कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निर्णय लिया है कि अनुसूचित-जनजाति बहुल जिलों में गोंडी भाषा को प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि गोंडी भाषा बोलने वालों की संख्या में तेजी से कमी हो रही थी जो कि चिंता का विषय था । वहीं इस भाषा को विलुप्त होने से बचाना जरूरी है।
9 अगस्त को होगा प्रदेश भर में शासकीय अवकाश
इसके साथ ही मुख्यमंत्री कमल नाथ ने एक और निर्णय लिया है अब 9 अगस्त को मध्य प्रदेश में शासकीय अवकाश होगा वह इसलिये क्योंकि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी के रूप में आदिवासी समुदाय के त्यौहार के रूप में मनाते है लेकिन उनके द्वारा बार बार ज्ञापन सौंपने के बाद भी कुछ जिलों में 9 अगस्त को अवकाश घोषित किया जाता था तो कुछ जिलों में नहीं किया जाता था । इससे आदिवासी समुदाय में नाराजगी हमेशा बनी रहती थी । इस संबंध में भी मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय की समस्याओं के निराकरण के लिये 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जायेगा। इस दिन प्रदेश में शासकीय अवकाश घोषित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की समस्याओं के निराकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। इसी तारतम्य में मध्यप्रदेश में यह दिन आदिवासी समुदाय की समस्याओं के निराकरण के लिये समर्पित रहेगा।
जनजातियों की 20 हजार बैगलॉग पदों की शीघ्र होगी भर्ती
मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि मध्यप्रदेश शासन की शासकीय सेवाओं में भर्ती के लिये शीघ्र ही विशेष भर्ती अभियान चलाया जायेगा। अभियान के दौरान विभिन्न विभागों में विभिन्न स्तरों पर लगभग 60 हजार पद पर भर्ती की जायेगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अनुसूचित-जाति तथा अनुसूचित-जनजाति के लगभग 20 हजार रिक्त बैकलॉग पदों पर भर्ती की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को शासकीय सेवाओं में शामिल होने का अब तक का सबसे बड़ा अवसर प्राप्त होगा।
गोंडवाना के लाल अपनी ही बात को नहीं कर पाये पूरा

हम आपको बता दे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में तीन पंचवर्षीय कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे और इस दोरान उन्हें आदिवासी सामाजिक संगठनों के द्वारा हमेशा ज्ञापन सौंपा जाता रहा है कि गोंडी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिये प्रयास करे या फिर कम से कम मध्य प्रदेश में ही इस प्राथमिक पाठयक्रम में ही शामिल कर लिया जाये अथवा इसे राज्यभाषा का ही दर्जा दिया जाये और जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनजाति बाहुल्य जिलों में या उनके सामाजिक संगठनों के कार्यक्रमों में जाते थे तो हमेशा गोंडी भाषा को लेकर भी कहते थे । हम आपको यह भी याद दिला दे कि छिंदवाड़ा जिले के हर्रई में अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड समाज महासभा का वार्षिक अधिवेशन हुआ तो वहां पर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मैं भी हू गोंडवाना का लाल और गोंडी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा मैं दिलाऊंगा लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुये भी उन्होंने कोई निर्णय लिया था न वे गोंडी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा दिला पाये थे और न ही प्राथमिक स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल कराने की पहल करा पाये थे ।
कुलस्ते रहे जनजाति मंत्री रहे लेकिन गोंडी भाषा को नहीं दिला पाये मान्यता
हम आपको यह बता दे कि खुद गोंड जनजाति से ताल्लुक रखने वाले और जनजाति बाहुल्य आरक्षित क्षेत्र से सांसद बनकर संसद भवन तक पहुंचने वाले फग्ग्न सिंह कुलस्ते ने भी गोंडी भाषा को मान्यता दिलाये जाने के लिये संभवतय: कोई विशेष प्रयास नहीं किया नहीं तो शायद गोंडी भाषा को मान्यता मिल सकती थी वहीं मध्य प्रदेश में जनजाति वर्ग से भाजपा के बड़े नेतृत्वकर्ता होने के नाते वे भी मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद गोंडी भाषा को राज्य भाषा का ही दर्जा नहीं दिला पाये और न ही प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करा पाये । वर्तमान सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते जब भारत सरकार के जनजाति मंत्री थे उस समय उनके कार्यकाल में देश में जनजाति की उन भाषाओं को मान्यता मिली थी जिनकी संख्या गोंडी जनजाति समुदाय के कम है उनके कार्यकाल में डोंगरी, मैथली, संथाली, बोडो भाषा को मान्यता दिया गया था लेकिन लाखो करोड़ों की संख्या में गोंडी भाषा बोलने वाले गोंडियन जनो की गोंडी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं दिला पाये थे ।
गोंडवाना समय भी उठाता रहा है गोंडी भाषा को लेकर आवाज

हम आपको बता दे कि गोंडवाना समय समाचार पत्र गोंडी भाषा को लेकर हमेशा आवाज उठाता रहा है वहीं जब समाजिक संगठन के द्वार गोंडी भाषा की मान्यता को लेकर ज्ञापन सौंपा जाता था तो उसे प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता था वहीं गोंडी भाषा को लेकर प्रचार प्रसार कर रहे लेखकों की प्रकाशन व उनके लेख को भी गोंडवान समय समाचार पत्र माध्यम बनकर आवाज बनने और शासन-प्रशासन-सरकार तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाता रहा है हालांकि अभी मध्य प्रदेश सरकार ने सिर्फ इसे जनजाति बाहुल्य जिलों में ही प्राथमिक स्कूलों में पाठयक्रमों में शामिल करने का निर्णय लिया है लेकिन यहां यह भी सही है कि मध्य प्रदेश के अनेक ऐसे जिले है जो जनजाति ब्लॉक या जिले तो नहीं है परंतु वहां पर भी गोंडी भाषा को बोलने-पढ़ने-जानने-समझने वाले निवास करते है यदि आगामी समय में इसे संपूर्ण मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के पाठ्यक्रमों में शामिल कर लिया जाता है तो यह गोंडी भाषा को सुरक्षित व संरक्षित करने की दिशा में बड़ी पहल होगी । मध्य प्रदेश सरकार गोंडी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा दिये जाने की पहल करती है तो प्रशंसनीय पहल के साथ ही इतिहास बनेगी ।
गोंडी भाषा में वन्या रेडियो की घोषणा भी रही अधूरी
भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मध्य प्रदेश में जब कुंवर विजय शाह जनजाति कल्याण मंत्री थे तो उन्होंने सिवनी जिले के बरघाट विधानसभा क्षेत्र के जनजाति बाहुल्य ब्लॉक कुरई में जंगल सत्याग्रह के टुरिया में शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में बरघाट विधायक कमल मर्सकोले एवं हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय के बीच में गोंडी भाषा में वन्या रेडियों प्रांरभ किया जायेगा और कुरई क्षेत्र में मध्य प्रदेश में सरकार नि:शुल्क रेडिया भी प्रदान करेगी परंतु वर्षों के बीत जाने के बाद उनकी घोषणा भी झूठी साबित हुई ।