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भारी भरकम अमला फिर पेंच के मर रहे बाघ-बाघिन

भारी भरकम अमला फिर पेंच के मर रहे बाघ-बाघिन

खवासा बफर में बाघिन  देवलापार के पास तालाब में मिला बाघ का कंकाल

सिवनी। गोंडवाना समय।
भारी भरकम अमला और लाख रुपए की सैलरी लेने वाले अफसर पेंच की सुरखा में तैनात रहने के बावजूद सिवनी जिले के पेंच नेशनल पार्क में बाघ बाघिन का शिकार और बेमौत से मर रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि बाघों की मौत के बाद पेंच के अधिकारी-कर्मचारी गुपचुप तरीके से उनका पोस्टमार्टम और क्रियाकर्म करने के बाद मनगढ़त कहानी गढ़कर दो-तीन दिन बाद मीडिया को परोसकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। बुधवार को खवासा के बफर में मिले बाघिन के शव को लेकर भी पेंच के डायरेक्टर ने चुप्पी साधी रखी। वहीं पेंच का ही एक बाघ देवलापार के तालाब में कंकाल के रूप में मिला है जो पूर्व एनएच सेवन में लगे कैमरे में देखा गया था। मिली जानकारी के अनुसार बुधवार 06 मार्च को पेंच नेशनल पार्क के एक बाघ और बाघिन का अलग-अलग शव मिला है।
खवासा सर्किल और खवासा बफर डिपो के पीछे  घने जंगल में पांच से छह साल उम्र की व्यस्क बाघिन का शव मिला है। शव तीन से चार दिन पुराना बताया जा रहा है। बाघिन का शव मिलने की खबर लगने के बाद पेंच के डायरेक्टर सहित पूरा अमला मौके पर पहुंचकर मामले को अपने तरीके से ढालकर बताने में जुट गया है। यही वजह है कि पेंच के डायरेक्टर बाघिन का शव मिलने की बात तो कह रहे हैं लेकिन पूरी जानकारी को बताने की बजाय छुपा रहे थे। सूत्र बताते हैं कि शव को गुपचुप तरीके से विभागीय पशु चिकित्सकों से पोष्टमार्टम करा लिया गया है।

बांद्रा जल निकाय में मिला बाघ का कंकाल

महाराष्ट्र क्षेत्र में आने वाले पेंच एरिया के देवलापार बांद्रा जल निकाय के किनारे बुधवार 06 मार्च की सुबह साढ़े आठ बजे एक बाघ का कंकाल मिला है। सूचना मिलने के बाद वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे और उस क्षेत्र को बंद कर दिया। बाघ की मौत को लेकर 500 मीटर रेडियल क्षेत्र का स्कैन किया गया है। वहीं टीम गठित कर पोस्टमार्टम किया गया है। एसओपी के अनुसार कार्रवाई के दौरान कुंदन हेट, एचडब्ल्यूएलडब्ल्यू, नागपुर शामिल थे। सीडब्ल्यू एलडब्ल्यू,अनिल दशहरा,डॉक्टर सैयद बिलाल, डॉक्टर  चेतन पटोंड, डॉक्टर सुबोध नंदगावली और डॉक्टर विनोद समर्थ,एलडीओ कांद्री शामिल रहे।

जल निकाय से पहले बाघिन और बाघ के दिखे थे पगमार्क

देवलापार के पेंच प्रबंधन ने विज्ञाप्ति जारी कर बताया कि दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पूर्व बांद्रा जल निकाय के पूर्व बाघिन और बाघ के प्रवेश के स्पष्ट संकेत और पगमार्क पाए गए थे। अधिकारियों का मानना है कि बाघ की मौत दलदल में फंसकर पानी में डूबने से हुई है। अमले को बाघ का जो शव मिला है वह अर्धनग्न अवस्था में पाया गया। उसके 4 पैर और साथ ही थूथन कीचड़ के अंदर दबे हुए थे। शरीर के सभी अंग जैसे कि कैनाइन, पंजे, अंग आदि। बरकरार पाए गए हैं।  बाघ की विस्तृत जांच के लिए फोरेंसिक विश्लेषण के लिए नमूने एकत्र कर लिए गए हैं। मृत बाघ पूरी तरह से विकसित बाघ था। जिसका पिछले रिकॉर्ड पेंच टाइगर रिजर्व में नहीं था। डब्ल्यूआईआई के शोधकर्ता सुश्री आकांशा के अनुसार मृत बाघ वह है जो हाल ही में एनएच 7 के पास कैमरा फंसा पाया गया था।

बाघों की मौत ने सुरक्षा व्यवस्था की खोल दी पोल -


जिस तरह से पेंच और उसके बफर एरिया में बाघों की मौत हो रही है उससे पेंच की सुरक्षा और बाघ खतरे में हैं। यह बात इसलिए भी कही जा सकती है क्योंकि बाघों व अन्य वन्यप्राणियों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी भरकम अमला तैनात है बावजूद बाघों की मौत और उसकी जानकारी शव सड़ने के बाद मिल रही है। इसके पूर्व पेंच के ही छिंदवाड़ा जिले के खमारपानी बफर के डोंगर गांव बीट के पुलपुलडोह के जंगल में गस्ती के दौरान बाघ मृत अवस्था में मिला था। बाघ के शव मिले हुए अभी एक सप्ताह ही हुए हैं कि तीसरी घटना है। बाघ की मौत को लेकर पेंच प्रबंधन ने जहां बाघों की आपसी लड़ाई बताई थी। वहीं कुछेक शिकार की घटना बता रहे थे। गौरतलब है कि पेंच में जिस तरीके से सूकर और अन्य वन्यप्राणियों के मामले में खुद पेंच प्रबंधन शिकारियों को पकड़ चुका है कि इससे खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेंच में शिकारियों की घुसपेट है और पेंच खतरे में है। बुधवार को बाघिन के मिले शव को लेकर जिस तरीके से पेंच के डायरेक्टर जानकारी छिपा रहे थे उससे शिकार को लेकर इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि जांच  के बाद  ही पूरे मामले की जानकारी लग पाएगी।

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