भंडारण के लिए तरस रही धान अब गेंहू खरीदी बनेगी मुसीबत
सिवनी। गोंडवाना समय।
भंडारण के लिए तरस रहा हजारों क्विंटल धान के बाद अब गेंहू शासन और सरकार के लिए मुसीबत बनेगी। धान की तरह गेंहू के सड़ने तक की नौबत आ सकती है। दरअसल जिले में अधिकांश वेयरहाउस व गोदाम इसी साल खरीदी गई धान के भंडारण से फुल हो गए हैं और हजारों क्विंटल धान अभी भी बम्होड़ी और गंगेरूआ सहित कई अन्य खरीदी केन्द्रों में खुले पर रखा हुआ है। ऐसे में शासन को गेंहू,चना और मसूर खरीदकर भंडारण करने में मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। यह बात खुद खाद्य आपूर्ति विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम सहित वेयर हाउसिंग के प्रबंधक भी जान रहे हैं और उनके माथे पर चिंता की लकीरे बनी हुई है। इसके अलावा धान की तरह गेंहू,चना और मसूर की खरीदी के दौरान भारी अव्यवस्थाऐं सामने आ सकती है।
67 हजार किसानों ने कराया पंजीयन
समर्थन मूल्य पर गेहंू,चना और मसूर को बेचने के लिए जिले में 67 हजार किसानों ने पंजीयन कराया हुआ है। जिसमें खाद्य आपूर्ति विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार 62 हजार किसानों ने गेंहू बेचने के लिए पंजीयन कराया है। जबकि 15 हजार किसानों ने चना और मसूर की उपज को बेचने के लिए पंजीयन कराया है। जानकारी के मुताबिक इस बार शासन 1840 रुपए के समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीदी करेगा।
आज से 81 केन्द्रों में होगी गेहूं की खरीदी
सोमवार 25 मार्च से जिले में गेंहू की खरीदी शुरू हो जाएगी। जिला प्रशासन ने 62 हजार किसानों से गेंहू की खरीदी करने के लिए जिले भर में 81 खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं। वहीं चना और मसूर के कितने केन्द्र बनाए गए हैं और कितने दाम पर शासन उन दोनों उपज को खरीदेगी उसकी जानकारी खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के पास मौखिक रूप से नही थी। जानकारी के मुताबिक गेंहू,चना और मसूर की सरकारी खरीदी 25 मार्च से 24 मई तक की जाएगी। शासन खरीदी को लेकर पूरी तैयारी होने का दावा कर रहा है लेकिन मैदानी स्तर पर कई खरीदी केन्द्रों में सुविधाऐं गायब हैं।
अव्यवस्थाऐं हो सकती है हावी
धान की खरीदी में जिस तरह से भारी अव्यवस्थाऐं थी उसी प्रकार गेंहू खरीदी के दौरान अव्यवस्थाऐं सामने आ सकती है। सबसे ज्यादा परेशान परिवहन ठेकेदार कर सकता है जिस तरीके से धान के परिवहन में समस्या उत्पन्न किया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि गेंहू के परिवहन में भी वह अपनी मनमानी दिखा सकता है। इसके अलावा खरीदी केन्द्र प्रभारी भी ट्रक लोडिंग का पैसा न मिलने के कारण समस्या पैदा कर सकते हैं। क्योंकि परिवहन ठेकेदार और जिला प्रशासन से खासे नाराज है।