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थाने से चंद दूरी पर पंचायत में रखे बाजार नीलामी के डेढ़ लाख चोरी

थाने से चंद दूरी पर पंचायत में रखे बाजार नीलामी के डेढ़ लाख चोरी

पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

छपारा/सिवनी। गोंडवाना समय।
पुलिस की कार्यप्रणाली और सुस्त पड़ी गस्त से जिले में चोर सक्रिय हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला कुरई क्षेत्र में और दूसरा मामला छपारा थाना क्षेत्र में सामने आया है। हालांकि कुरई थाना क्षेत्र के वाहन चोरी का मामला कोतवाली पुलिस के हाथ लग गया है। लेकिन छपारा पुलिस की कार्यप्रणाली पर चोरी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। थाने से चंद दूरी पर स्थित छपारा ग्राम पंचायत में धावा बोलकर चोरों ने डेढ़ लाख रुपए को पार कर दिया है। घटना के बाद छपारा ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव ने थाने में एफआईआर दर्ज करा दी है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।

बाजार नीलामी के रखे थे डेढ़ लाख रुपए

हमेशा अपनी कार्यप्रणाली को लेकर विवादों में रहने वाली ग्राम पंचायत छपारा के कार्यालय की अलमारी से एक लाख 50 हजार रुपए चोरी हो जाने का मामला सामने आया है। घटना के बाद सचिव बालकराम उईके के द्वारा थाने में शिकायत दर्ज करा दी है। शिकायत में सचिव बालकराम उइके ने उल्लेख किया है कि वह मंगलवार शाम को जनपद पंचायत कार्यालय काम से गए हुए थे। उसी समय शाम लगभग 5:30 बजे, पांच व्यक्ति बाजार ठेका की राशि डेढ़ लाख रुपए लेकर ग्राम पंचायत पहुंचे थे। डेढ़ लाख रुपए की राशि लेकर उन्होने ग्राम पंचायत कार्यालय में पदस्थ लेखापाल संतोष रघुवंशी को दे दिया था और लेखापाल को बातया था कि यह राशि किसी ने लाकर जमा किया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। घटना थाना से लगे ग्राम पंचायत कार्यालय की है जो इस पूरे मामले की खुलासा करना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है जिस स्थान पर घटना को अंजाम दिया गया है जो थाने से महज चंद कदमो के दूरी पर स्थित हैं और उसमें ही चोरी की वारदात हुई है।

अगले दिन कार्यालय खुला तो लेखापाल ने कहा पैसे चोरी हो गए

सचिव बालकराम उईके ने बताया कि बुधवार 27 मार्च को जब 11 बजे कार्यालय खोला गया तब लेखापाल संतोष रघुवंशी ने बताया कि ठेकेदार के द्वारा जो डेढ़ लाख रुपए की राशि जमा करने के लिए दी गई थी वह अलमारी से चोरी हो गए हैं। ग्राम पंचायत कार्यालय से लगे शौचालय के कबेलू हटाए गए हैं और वही लगे एक दरवाजे तोड़कर पंचायत कार्यालय के अंदर प्रवेश किया गया है। जिस स्थान में अलमारी में पैसे रखे थे उक्त स्थान में कई सारे दस्तावेज भी हैं जिन्हें छुआ भी नहीं गया और राशि लेकर अज्ञात चोर फरार हो गया। इस पूरे मामले में एक और बात सामने निकल कर आई है,की जो राशि जमा करने लाई गई थी उक्त राशि की कोई रसीद ठेकेदार को भी नहीं दी गई है। जिस समय यह राशि जमा की गई तब लेखापाल संतोष रघुवंशी और पंचायत का एक कर्मचारी दुर्गेश यादव ही पंचायत में मौजूद थे। घटना की जानकारी सुबह लेखापाल को ही चोरी होने की लगी। जिसके बाद लेखापाल ने सचिव को जानकारी दी तब सचिव और पंचायत के कर्मचारियों ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

पंचायत पर उठ रहे सवाल

पूरे मामले पर ग्राम पंचायत की जवाब दारों पर कई सवाल खड़े होते हैं कि जब नीलामी बोली में भाग लेने वाले प्रथम ठेकेदार अपात्र हो जाता है और उस की अमानत राशि डूब जाती है तब पंचायत दूसरे ठेकेदार को जिसने नीलामी बोली पर भाग लिया था उसे पत्र जारी करते हुए अवगत कराती है और वह दूसरा ठेकेदार भी राशि जमा ना करते हुए बाहर हो जाता है तो पंचायत द्वारा तीसरे ठेकेदारों को अवसर दिया जाता है इतना सब होने के बाद पुन: नीलामी की प्रक्रिया किया जाना था लेकिन पंचायत के द्वारा पूर्व में अपात्र प्रथम ठेकेदार को पुन: अवसर देकर आनन फानन में राशि ली जाती है यह भी सवाल के घेरे में है वहीं पंचायत जब अपात्र ठेकेदार से राशि लेती है तो राशि लेने के लिए क्या पंचायत समिति की बैठक बुलाती है या पंचायत के कुछ व्यक्ति अपनी मनमर्जी से राशि जमा करते हैं यह भी सवाल उठता है दूसरा यह है कि कार्यालय समय के बाद पंचायत के एक या दो कर्मचारी किस मंशा से नगद राशि जमा करते हैं फिर यदि राशि जमा करते भी हैं तो बाजार बोली की आधी राशि क्यों जमा नहीं करते हैं वही जब राशि पंचायत को लेना ही है तो पंचायत ठेकेदार से बैंकर चैक या डीडी के माध्यम से या कहें पंचायत अकाउंट में क्यों जमा नहीं करवाती है यहां भी सवाल खड़ा होता है आखिर पंचायत को नगद राशि लेने की क्या आवश्यकता पड़ी जब ठेकेदार बाजार नीलामी की बोली की निर्धारित राशि जमा नहीं करता है तो पंचायत ने इतनी कम राशि नगद रूप में क्यों ली जबकि पंचायत दूसरे दिन कार्यालय समय पर राशि जमा करने के लिए ठेकेदार को कह सकती थी या फिर बैंकर चेक या पंचायत अकाउंट में जमा करने के बात भी कही जा सकती थी सवाल यह भी है की इतनी बड़ी नगद राशि पंचायत में क्यों रखी गई वह भी बिना ताला की अलमारी पर जानकारी हो कि चोर पंचायत में घुसता है और बिना ताला वाली अलमारी से केवल राशि निकालने जाता है अन्य कोई क्षति नहीं पहुंचाता जबकि बिना ताला वाली अलमारी के बाजू में ताला लगी हुई अलमारी भी रखी हुई है चोर को कैसे पता चला की उक्त राशि पंचायत में बिना ताला वाली अलमारी में रखी है क्योंकि चोर को अलमारी का ताला तोड़ना भी नहीं पड़ा इस तरह इस पंचायत से चोरी होना कई सवालों को जन्म देती है हालांकि जो भी हो पुलिस जांच कर रही है। सचिव का कहना है कि जब राशी ठेकेदार के द्वारा लाकर ग्राम पंचायत में लाई गई तब वह जनपद कार्यालय में थे उन्हें सुबह ही पता चला है की ठेकेदार के द्वारा डेढ़ लाख रुपए की राशि ला कर दी गई थी जिसके बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। घटना थाना से लगे ग्राम पंचायत कार्यालय की है जो इस पूरे मामले की खुलासा करना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है जिस स्थान पर घटना को अंजाम दिया गया है जो थाने से चंद कदमो में ही चोरी की वारदात हुई है।

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