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वन विभाग में ट्रांसफर उद्योग में अधिकारियों ने कमाये करोेड़ों

वन विभाग में ट्रांसफर उद्योग में अधिकारियों ने कमाये करोेड़ों

केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय, सिविल सेवा बोर्ड, स्थानांतरण नीति का खुला उल्लंघन

सिस्टम परिवर्तन अभियान ने किया जांच व कार्यवाही की मांग

सिवनी/भोपाल। गोंडवाना समय।
वन विभाग में विगत 3-4 वर्षों से तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री नरेन्द्र कुमार एवं डॉ. अनिमेष शुक्ला द्वारा स्थानान्तरणों में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। इनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार को तत्कालीन वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार का पूर्ण संरक्षण प्राप्त रहा है। डॉ. शेजवार का एकमात्र रूचिकर कार्य वन विभाग में होने वाले ट्रान्सफर/पोस्टिंग रहा है। उन्होंने इसी काम को अपनी आजीविका का मुख्य साधन बनाया हुआ था जिसमें श्री नरेन्द्र कुमार एवं डॉ. अनिमेष शुक्ला ने बढ़-चढ़ कर सहयोग दिया है। सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष व सेवानिवृत्त आईएएफएस आजाद सिंह डब्बास जानकारी देते हुये बताया कि ट्रान्सफर/पोस्टिंग के इस गोरख धंधे में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, वन श्री दीपक खांडेकर की भूमिका भी संदिग्ध रही है या तो उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं रही कि विभाग में किस तरह से तबादलों के प्रस्ताव बनाये जा रहे थे या वे जानबूझ कर अनजान बने रहे। इन दोनों ही परिस्थितियों की अपेक्षा इतने वरिष्ठ अधिकारी से नही की जा सकती है। इन दोनों प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) के कार्यकाल में विभाग में हुई ज्यादातर पदस्थापनाएं (वनक्षेत्रपाल से लेकर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक तक) मैरिट पर न हो कर आर्थिक लेन-देन से हुई हैं। इनके कार्यकाल में वन विभाग में ट्रान्सफर/पोस्टिंग के मामलों ने एक उद्योग का रूप ले लिया था। हमारी संस्था द्वारा वन विभाग के स्थानान्तरणों में हो रहे भ्रष्टाचार की रोकथाम हेतु विगत 2 वर्षों से तत्कालीन मुख्य सचिव मध्यप्रदेश एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश को बारम्बार अनुरोध किया गया लेकिन किसी भी स्तर से कोई कार्रवाई नही की गई। विभाग में स्थानान्तरणों में किये गये भ्रष्टाचार के संबंध में कण्डिकावार जानकारी निम्नानुसार है ।

कैबिनेट के अनुमोदन बगैर ही कार्य आयोजना नीति में बदलाव

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक, डॉ. अनिमेष शुक्ला द्वारा अपने चहेते अधिकारियों को लाभ देने के लिए कार्य आयोजना ईकाईयों में अधिकारियों की पदस्थापना नीति में दिनांक 16 अगस्त 2017 से बदलाव किया गया है। ज्ञातव्य है कि कोई भी स्थानांतरण नीति कैबिनेट से अनुमोदन के उपरांत ही शासन द्वारा जारी की जाती है लेकिन डॉ. अनिमेष शुक्ला ने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, वन से सांठ-गांठ कर बगैर कैबिनेट के अनुमोदन के ही कार्य आयोजना में पदस्थापना की नीति जारी करवा दी। कार्य आयोजना ईकाईयो में पदस्थापना हेतु नीति की कण्डिका 3 में निम्न प्रावधान किये गये । जिनमें (क) इन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति में कम से कम 3 वर्ष की अवधि शेष रहे वहीं (ख) इन अधिकारियों की आगामी 3 वर्ष की कालावधि में मुख्य वन संरक्षक के पद पर पदोन्नति संभावित न हो ताकि इन अधिकारियों को लगभग 3 वर्ष की कालावधि कार्य आयोजना का निर्माण पूर्ण करने हेतु उपलब्ध हो सके।  

पी एस चम्पावत, विकास करण वर्मा, के.के. भारद्वाज व रविन्द्र सक्सेना को मिला लाभ

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि नीति में उपरोक्त प्रावधान कराकर इन्होंने 4 वन संरक्षक (श्री पी.एस. चम्पावत, श्री विकास करण वर्मा, श्री के.के. भारद्वाज एवं श्री रविन्द्र सक्सेना) जो वनमण्डलाधिकारी के पद पर कार्यरत थे । इनको कार्य आयोजना में पदस्थ नही करते हुए मुख्य वन संरक्षक, क्षेत्रिय के पद पर पदस्थ करवा दिया गया जिसके एवज में करोड़ों रुपए का लेन-देन हुआ। नीति में किये इन बदलावों से करोड़ों का लेन-देन कर 10-12 अन्य अधिकारियों को भी अनावश्यक छूट दे दी गई जिनकी पदस्थिति कार्य आयोजना में होना थी। कार्य आयोजना नीति के कण्डिका 3 के प्रावधान के आधार पर कार्य आयोजना में पदस्थ कुछ अधिकारियों द्वारा न्यायालय में केस भी दर्ज किये गये हैं एवं कई अधिकारी न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे हैंै। विभाग अब डा. अनिमेष शुक्ला के विरूद्ध कार्रवाई ना कर कार्य आयोजना नीति से चोरी-चुपके कण्डिका 3 के प्रावधानोें को हटाने की तैयारी कर रहा है।

सिविल सेवा बोर्ड के नियमों का उल्लंघन

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि भारतीय वन सेवा (कैडर) नियम 7 (1) और (5) के अन्तर्गत भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के स्थानान्तरण हेतु सिविल सेवा बोर्ड का गठन किया गया है। सिविल सेवा बोर्ड के नियमानुसार किसी भी भारतीय वन सेवा के अधिकारी का दो वर्ष से पूर्व स्थानान्तरण नहीं किया जाना चाहिये लेकिन वन विभाग द्वारा जारी स्थानान्तरण आदेशों (उप वनसंरक्षक से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर तक) में इन निदेर्शों की धज्जियाँ उड़ाई गई हैं और मनमाने तरीके से 6 माह से 2 वर्ष के अन्तर्गत की अवधि में अनेकों स्थानान्तरण किये गये हैं जो पैसों के लेन-देन के बगैर संभव नहीं है।

केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन का उल्लंघन

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा दिनांक 02.07.15 से 18 वन मंडलो में वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों को पदस्थ करने हेतु वन मंडल नोटिफाई किये गये हंै। वन विभाग द्वारा जारी स्थानान्तरण आदेषों में इस नोटिफिकेषन का सरासर उल्लघंन किया गया है। भारी मात्रा में पैसों का लेन-देन कर वन संरक्षक के पदों पर वनमण्डलाधिकारी एवं वनमण्डलाधिकारी के पदों पर वन संरक्षक स्तर के अनेक अधिकारी मनमाने ढ़ंग से पदस्थ किये गये हैं।

शासन की स्थानान्तरण नीति का उल्लंघन

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि दोनों प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा शासन की स्थानान्तरण नीति का घोर उल्लंघन कर भारी संख्या में तबादले किये गये हैं। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के अतिरिक्त सहायक वन संरक्षक एवं वन क्षेत्रपालों के स्थानांतरण में भी शासन द्वारा जारी नीतियों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। पैसे का लेन-देन कर अत्यन्त अल्प अवधि में ही प्रति वर्ष संैकड़ों अधिकारियों के स्थानांतरण किये गये हैं जबकि अनेक अधिकारी वर्षो से एक ही पद पर कार्यरत हैंै।

शासन की अनुमति के बगैर रिक्त पदों पर स्थानान्तरण करना

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि श्री नरेन्द्र कुमार के समय से ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा शासन की अनुमति के बगैर अनेक वन क्षेत्रपालों एवं सहायक वन संरक्षकों की रिक्त पदों पर पदस्थापना की गई हैं । नियमानुसार रिक्त पदों पर की जाने वाली पदस्थापनाओं की भी शासन से अनुमति ली जानी थी जो नहीं ली गई। दोनों प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा जानबूझकर रिक्त पद बनाये जाकर मनमाने ढंग से पदस्थापनायें की गई हैं।

2 से 20 लाख तक की वसूली, कार्यवाही की मांग

आगे सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डब्बास ने बताया कि वन क्षेत्रपालों से 2 से 3 लाख, सहायक वन संरक्षकों से 4 से 5 लाख, वनमण्डलाधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षकों से 10 से 20 लाख रुपये की वसूली की जाने की खबर हैं। इस गोरखधंधे में श्री सतीष त्यागी, तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, प्रशासन-2, श्री एस.पी रियाल, तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, प्रशासन-2 एवं श्री राजेश श्रीवास्तव, तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, प्रशासन-1 ने बढ़-चढ़ कर श्री नरेन्द्र कुमार और डॉ. अनिमेष शुक्ला का साथ दिया गया है। एक मोटे अनुमान के अनुसार स्थानांतरणों से विगत 3-4 वर्षों में लगभग 25 से 50 करोड़ की वसूली की गई है। गौरतलब है कि श्री नरेन्द्र कुमार एवं डॉ. अनिमेष शुक्ला सेवानिवृत्त हो चुके हैं । अत: आपसे अनुरोध है कि इन दोनों अधिकारियों के कार्यकाल में वन क्षेत्रपाल से लेकर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक तक जो भी स्थानान्तरण हुए हैं । उन सब की जांच कराकर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध लोकायुक्त/आर्थिक अपराध ब्यूरो में प्रकरण दर्ज कराने की मांग किया है ताकि इनके द्वारा किये गये कृत्यों की सजा मिल सके और भविष्य में कोई अन्य अधिकारी इस तरह का दुस्साहस न कर सके। यहां यह विषेषतौर पर उल्लेखनीय है कि उपरोक्त अधिकारियों द्वारा स्थानान्तरणों में भ्रष्टाचार कर अनेक भ्रष्ट अधिकारियों को संवेदनाशील पदों पर नियुक्त किया है जिसके फलस्वरूप वनों के संरक्षण एवं संवर्धन पर अत्यंत विपरीत प्रभाव पड़ा है । कार्यवाही के लिये मध्य प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार को लिखे पत्र में उल्लेखित समस्त दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग किया है।

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