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पेंच के टाइगर को जंगल में दफनाया, छह माह बाद खूला राज

पेंच के टाइगर को जंगल में दफनाया, छह माह बाद खूला राज

बचाने से ज्यादा धरपकड़ में पेंच के अमला की दिलचस्पी

सिवनी। गोंडवाना समय। 
ख्याति प्राप्त पेंच नेशनल पार्क के बाघ पार्क की सुरक्षा में की जा रही चुक और लापवाही की वजह जादू-टोने की बलि चढ़ते जा रहे हैं। छह-सात माह पहले शिकार हुए बाघ की मौत ने यह राज खोल दिया है। वन मण्डल नागपुर द्वारा पकड़े गए तीन शिकारियों से पूछताछ  के बाद करंट से बाघ का शिकार कर मूछ के बाल और उसके पंजे काटकर शेष अवशेष को जंगल में ही दफनाऐं जाने का राज बेपर्दा हुआ है। पेंच टाइगर रिजर्व के अमले ने शिकारियों द्वारा बताए गए पते पर स्थल की खुदाई करवाकर बाघ के अवशेष को जब्त कर लिया है।

नागपुर वन मंडल द्वारा पकड़े गए शिकारियों ने किया खुलासा

जानकारी के मुताबिक मुखबिर की सूचना पर 2 मई को वन मंडल नागपुर द्वारा रामटेक गढ़मंदिर के पास तीन संदेही लोग रामदास  पिता भंगू ग्राम डूंडलमार तहसीलद चांद,तारासिंह पिता शिवप्रसाद राठोर ग्राम बादलापार एवं भीकम जीत सिंह राठौर ग्राम बादलपार को हिरासत में लिया था जिनके पास से बाघ की मूंछ  के 51 बाल जब्त किए गए थे। तीनों आरोपियों को वन विभाग ने पीओआर काटकर रामटेक की न्यायालय में पेश किया था। जहां न्यायालय द्वारा 10 मई तक मुल्जिमों को रिमांड पर दिया गया था। बताया जाता है कि नागपुर वन मंडल ने रिमांड पर लेने के बाद आरोपियों से पूछताछ  की गई। पूछताछ  में  पकड़े गए तीन आरोपियों में से रामदास के घर बाघ के तीन पंजे होने की सूचना मिली। तत्काल नागपुर वन मंडल द्वारा दी गई सूचना पर छिंदवाड़ा  पूर्व वन मंडल की टीम ने  बाघ के एक पंजे के तीन भाग जप्त किए। वहीं चौथा पंजा गायब है। पेंच टाइगर रिजर्व के विक्रम सिंह परिहार बताते हैं कि बाघ का शिकार करंट लगाकर किया गया था।

राजस्व ग्राम हलाल में हुआ था बाघ का शिकार

7 मई को नागपुर वन विभाग और पेंच टाइगर रिजर्व की संयुक्त टीम द्वारा की गई जांच में बाघ के शिकार का स्थल राजस्व ग्राम हलाल की राजस्व भूमि (खेती) पाया गया। जिसे शिकारियों ने मरे हुये बाघ को पेंच टाईगर रिजर्व के परिक्षेत्र कुम्भपानी के गांव हलाल के समीप कक्ष क्रमांक पी-1381 के नाले में गड्ढा खोदकर दफना दिया था। पेंच टाइगर गड्ढा खोदकर मरे हुये बाघ के अवशेष निकाले गये, जो अत्यंत पुराने अवशेष हैं। पेंच टाईगर रिजर्व सिवनी द्वारा खुदाई करवाकर बाघ के अवशेष को निकलवा लिया है। परिक्षेत्र कुम्भपानी के द्वारा वन अपराध  दर्ज कर पूछताछ में अन्य चार आरोपी प्रकाश में आए हैं जिसमें विवेचना जारी है। प्रकरण में जप्त किये गये बाघ के अवशेष आदिवासियों में फैले हुये अंध विश्वास तंत्र विद्या (झाड़फूंक, जादूटोना) की ओर इंगित कर रहें हैं ।

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