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सोनभद्र में 11 आदिवासियों के नरसंहार के विरोध में जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन

सोनभद्र में 11 आदिवासियों के नरसंहार के विरोध में जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन 

मांगे पूरी नहीं हुई तो 2 अक्टूबर को संसद का करेंगे घेराव

नई दिल्ली। गोंडवाना समय। 
अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा शिशुपाल सोरी विधायक, राष्ट्रीय अध्यक्ष गोंडवाना गोंड महासभा के नेतृत्व में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, नई दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र सहित पूरे देश भर के गोंड समाज के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जंतर मंतर नई दिल्ली में  विराट धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में उत्तर प्रदेश  सोनभद्र जनपद के घोरावल कोतवाली अंतर्गत उम्भा गांव में आदिवासियों के जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर गोंड आदिवासी समुदाय पर अंधाधुंध फायरिंग कर 3 महिलाओं सहित 11 गोंड समाज के लोगों की नृशंस नरसंहार कर दी गई है और कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए । जो आज भी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। उपरोक्त जघन्य घटना के
विरोध में नई दिल्ली सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया गया और शोक संवेदना व्यक्त की गई। संपूर्ण समाज इस जघन्य हत्याकांड से आहत है और इस घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त के साथ नरसंहार में सम्मिलित सभी लोगों को फांसी की सजा देने की मांग की गई।

पीड़ितों को राहत राशि व घटना की सीबीआई जांच की मांग 

प्रत्येक परिवार को एक करोड़ राहत राशि के साथ प्रत्येक परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाने, पीड़ित परिवार की व्यवस्थापन एवं सुरक्षा की समुचित व्यवस्था किये जाने, नरसंहार के लिए दोषी अधिकारी कर्मचारी के ऊपर अपराधिक प्रकरण दर्ज किये जाने एवं पूर्व आईएएस प्रभात मिश्रा द्वारा उक्त जमीन को बेचकर विवाद को जन्म दिए जाने के कारण उनके खिलाफ भी कठोर कार्यवाही की मांग, उत्तर प्रदेश में आदर्श सोसायटी की तरह कई सोसायटी गठित कर भोले-भाले आदिवासियों की जमीन को हड़पने का षड्यंत्र किया जा रहा है। इस पूरे घटना की उच्चस्तरीय सीबीआई जांच के साथ पूरे उत्तर प्रदेश में इस तरह के जितने भी सोसायटी कार्य कर रही है। उसे भंग कर वर्षों से काबिज आदिवासियों की जमीन वापस  किए जाने की मांग की गई।

गोंडी भाषा, आदिम गोंडी धर्म की भी उठाई आवाज 

इसके साथ ही गोंडी भाषा देश की सबसे प्राचीन प्रमाणिक भाषा है। गोंडी भाषा की लिपि  एवं व्याकरण  की डिक्शनरी  भी राष्ट्रीय स्तर पर तैयार कर ली गई है। जिसे गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया जाने, असम, अंडमान निकोबार दीप समूह, दिल्ली, तमिलनाडु आदि राज्यों में  गोंड आदिवासी निवासरत है । उन्हें भी अनुसूचित जनजाति वर्ग में संशोधित करके शामिल किये जाने, देश में  गोंडवाना का  बहुत ही समृद्ध एवं वैभवशाली इतिहास रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार देश में गोंड समाज की जनसंख्या ढाई करोड़ से भी अधिक है। पिछले कई वर्षों से पूरे देश के विभिन्न संगठनों द्वारा गोंडी धर्म को जनगणना के कालम में रखने की मांग की जा रही है। इसलिए वर्ष 2021 की जनगणना में  कोड के कॉलम में आदिम गोंडी धर्म को रखे जाने, कर्नाटक राज्य के गोंड जनजाति की पर्याय शब्द कुरुबा को (बीदर, कलबुर्गी और यादगिरी जिले में) अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाने की बात रखी गई है ।

छात्रवृत्ति के लिये आय सीमा की बाद्धयता हो समाप्त 

अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति हेतु ढाई लाख की आज सीमा निर्धारित की गई है। जिसके कारण इस वर्ग के कई विद्यार्थी अर्थ के अभाव में आगे की पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के विरुद्ध है। जिसके अनुसार अनुसूचित जनजाति वर्ग निर्धारण जन्म से होता है न कि अर्थ से है। इसलिये आय सीमा की बाध्यता समाप्त किया जाने, शासकीय महाविद्यालयों के साथ निजी महाविद्यालयों में तकनीकी शिक्षा एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले छात्रों की पूरी फीस छात्रवृत्ति के रूप में स्वीकृत किया जाने।

न्यायालय में जनजातियों को मिले प्रतिनिधित्व 

सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट में अटार्नी जनरल /महाधिवक्ता एवं जिला सत्र न्यायालय में शासकीय अधिवक्ता एवं पैनल लॉयर की नियुक्ति में जनसंख्या के अनुपात में जनजाति वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग की है । वहीं बीते माह में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से 11 लाख से अधिक आदिवासियों को जंगल से बेदखल किए जाने के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया गया । समाज द्वारा उक्त मांग पूर्ण नहीं होने पर  चरणबद्ध तरीके से आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा और 2 अक्टूबर को नई दिल्ली में लाखों गोंडवाना समाज के लोग संसद का घेराव करेंगे । धरना प्रदर्शन में खाम सिंह मांझी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उड़ीसा, आर एन ध्रुव राष्ट्रीय सचिव छत्तीसगढ़, घनश्याम सिंह सिदार सचिव नई दिल्ली, के एम मैत्री सचिव कर्नाटक, दिवाकर पेंदाम सचिव महाराष्ट्र, श्रीमती हीरासन उईके राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला प्रभाग म. प्र., श्रीमती कांति नाग राष्ट्रीय महासचिव महिला प्रभाग छ.ग., मनमोहन शाह बट्टी पूर्व विधायक मध्य प्रदेश, विजय सिंह नेटी पूर्व विधायक सोनभद्र उत्तर प्रदेश, महेंद्र नायक प्रदेश अध्यक्ष उड़ीसा, घनश्याम सिंह सिदार नई दिल्ली, देव कुमार शाह नई दिल्ली, मुरलीधर टेकाम प्रदेश अध्यक्ष महाराष्ट्र, विनोद नागवंशी अध्यक्ष युवा प्रभाग छ.ग., सुभाष परते, एस एन गोंड़ प्रदेश अध्यक्ष नई दिल्ली, सिडाम जंगू तेलंगाना सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।

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