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ऐतिहासिक सफदरजंग मकबरे की वास्तुशिल्पीय रोशनी का उद्घाटन किया

ऐतिहासिक सफदरजंग मकबरे की वास्तुशिल्पीय रोशनी का उद्घाटन किया

हमारी विरासत ही हमारी पहचान-प्रहलाद पटेल

नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
केन्द्रीय संस्कृति (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने नई दिल्ली में ऐतिहासिक सफदरजंग मकबरे की रोशनी का उद्घाटन किया। 17 वीं शताब्दी की इस मुगलकालीन स्मारक की वास्तुशिल्पीय सुन्दरता की जगमगाहट सूर्यास्त के बाद ऐतिहासिक प्रतिबिंब का प्रदर्शन करेगी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत पर्यटकों के आकर्षण केन्द्रों से भरा पड़ा है। यहां संस्कृतियों, धर्मों और मतों का अनूठा मिश्रण देखा जा सकता है। हमारी विरासत ही हमारी पहचान है। शायद ही दुनिया के किसी देश में समृद्ध और विविध विरासत का ऐसा अनूठा मिश्रण देखने को मिलता हो। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को मानने वाले लोगों के बीच मौजूद अंतरंगता ने भारत को एक अनोखा देश बना दिया है।

सफदरजंग मकबरा दिल्ली की समृद्ध पुरातात्विक विरासत का बना हुआ है गवाह 

उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय इस दिशा में कार्य कर रहा है कि युवाओं को देश संस्कृति और इतिहास बेहतर रूप से जानने का अवसर मिले ताकि हमारे देश के नागरिकों में भारतीयता की साझा पहचान की भावना को प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सदियों से सफदरजंग मकबरा दिल्ली की समृद्ध पुरातात्विक विरासत का गवाह बना हुआ है। यह आज अतुल्य भारत का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है। नए नवाचार रूप में इस मकबरे को देखकर न केवल स्थानीय नागरिक अपनी विरासत पर गर्व करेंगे बल्कि विश्व पर्यटन की अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में भी मदद करेंगे। इससे पहले लालकिला, हुमायूं के मकबरे और पुराने किले की रोशनी का काम पूरा हो चुका है। कुतुबमीनार और तुगलकाबाद किले की रोशनी का काम भी जल्द ही पूरा हो जाएगा।

दिल्ली के इतिहास का गौरवपूर्ण गहना बना हुआ है

केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने यह भी बताया कि सफदरजंग मकबरे की मेहराबों और मीनारों के वास्तुशिल्पीय सौंदर्य को उजागर करने के लिए तकनीकी रूप से उन्नत 213 एलईडी लाइटों को उपयोग किया गया है। सफदरजंग का मकबरा उन ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है जो प्रतिवर्ष हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है और दिल्ली के इतिहास का गौरवपूर्ण गहना बना हुआ है। उद्घाटन अवसर पर सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी और संस्कृति सचिव श्री अरुण गोयल भी उपस्थित थे। संस्कृति मंत्रालय भारत की शानदार संस्कृति और विरासत तथा सांस्कृतिक जीवंतता को पूरे दुनिया के सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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