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गोंडी, कोरकू, भीली भाषा एवं संस्कृति को पाठ्यक्रम में समावेश के लिये कार्य समूह का हुआ गठन

गोंडी, कोरकू, भीली भाषा एवं संस्कृति को पाठ्यक्रम में समावेश के लिये कार्य समूह का हुआ गठन 

कक्षा 1 से 12 के पाठ्यक्रम में शामिल करने प्राथमिक रूप दी गई जिम्मेदारी

भोपाल/सिवनी। गोंडवाना समय। 
मध्य प्रदेश सरकार ने जनजातिय भाषाओं व संस्कृति को संरक्षण करने के लिये इन्हें पाठ्यक्रमों में शामिल करने की घोषणा वचन पत्र में किया था। इसी के तहत उक्त घोषणा को मध्य प्रदेश सरकार ने पूरा करने के लिये कवायद प्रारंभ कर दिया है। इसके लिये राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के द्वारा कार्य समूह का गठन किया गया है । यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के वचन पत्र के बिंदुओं की कंडिका क्रमांक 25.25 के पालन में प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग की एकल नस्ती क्रमांक 164 दिनांक 8 अगस्त 2019 के संदर्भ में आदिवासी कल्याण विभाग एवं राज्य शिक्षा केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में आदिवासी बोली/भाषा(कोरकू, गोंडी, भीली) एवं संस्कृति को कक्षा 1 से 12 के पाठ्यक्रम में समावेश किये जाने हेतु प्राथमिक रूप से कार्य करने हेतु कार्य समुह का गठन किया गया है ।

कार्य समुह के अध्यक्ष, सलाहकार व रिसोर्स परसन बनाया इन्हें 

मध्य प्रदेश सरकार ने जनजातियों की भाषा, बोली, संस्कृति को संरक्षित किये जाने को लेकर एवं पाठ्यक्रमों में शामिल कराने के उद्देश्य से कार्य समूह का गठन किया है। जिसमें इस क्षेत्र में विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। विशेष रूप से कार्य समूह में शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से डॉ दिलीप सिंह निदेशक लुप्तप्राय भाषा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातिय विश्वविद्यालय अमरकंटक को अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं निदेशक आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी का सलाहकार बनाया गया है । इसके साथ ही निदेशक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय को सलाहकार बनाया गया है। आगे इसी क्रम में प्राचाय्र क्षेत्रिय शिक्षा संस्थान एनसीईआरटी श्यामलसा हिल्स भोपाल को भी सलाहकार बनाया गया है। इसके साथ ही इन सबके लिये नियंत्रक पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक/प्रतिनिधि राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल, प्रतिनिधि लोक शिक्षण भोपाल, प्रतिनिधि माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल को रिसोर्स परसन बनाया गया है एवं डॉ माधुरी यादव सहायक अनुसंधान अधिकारी आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था भोपाल को सदस्य सचिव बनाया गया है।

गोंडी भाषा के जानकार को ये मिली जिम्मेदारी 

गोंडी भाषा के लिये इसी तरह डॉ जी एस नेताम अपर आयुक्त आदिम जाति आयुक्त संस्थान एवं विकास संस्था मध्य प्रदेश को समिति का समन्वयक बनाया गया है। आगे श्री लक्ष्मी नारायण पयोधी जनजातिय
भाषाओं के शब्दकोश के लेखक/संपादक/विशेषज्ञ सलाहकार/वन्या को सलाहकार बनाया गया है। आगे इसी क्रम में श्री राजेन्द्र सक्सेना पी जी डिप्लोमा जनजातिय भाषा एवं संस्कृति को विशेषज्ञ की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही श्री बसंत कवड़े गोंडी संस्कृति और भाषा के जानकार लोकप्रिय गोंडी गायक बैतुल को एवं श्री महासिंह दवली सिंह नेताम पारंपरिक गोंडी संस्कृति और भाषा के जानकार, शिक्षक हाईस्कूल ग्राम हर्राटोला, विकासखण्ड मेहंदवानी, जिला-डिण्डौरी को रिसोर्स परसन नियुक्त किया गया है । इसके साथ ही डाइट प्रतिनिधि के रूप में गोंडी भाषा के लिये मण्डला, डिण्डौरी, बैतुल, सिवनी, बालाघाट व छिंदवाड़ा से भी रिसोर्स परसन के रूप में शामिल किया गया है।

कोरकू भाषा, संस्कृति के जानकारी भी हुये शामिल 

इसके साथ ही कोरकू भाषा के लिये श्री मंशाराम अखंड कोरकू नृत्य संस्कृति और जानकार भाषा गोंडी के जिला बैतुल को एवं श्री संतोष कास्डे कोरकू के जानकार ग्राम जामधड़ तहसील खालवा जिला खंडवा सहित डाइट प्रतिनिधि कोरकू भाषा के लिये हरदा, बैतुल-प्रभातपट्टन, खण्डवा को रिसोर्स परसन की जिम्मेदारी दी गई है।

भीली भाषा के लिये इन्हें मिली जवाबदारी

इसके साथ ही भीली भाषा के लिये श्रीमती मंगला गरवाल शिक्षिका भीली संस्कृति और भाषा जानकार जिला झाबुआ एवं श्री केसर सिंह जमरा शिक्षक भिलाली जानकार जिला अलीराजपुर को रिसोर्स परसन इसके साथ ही डाइट प्रतिनिधि भीली भाषा के लिये अलीराजपुर, बड़वानी, धार, झाबुआ से रिसोर्स परसन बनाया गया है। 

आदिवासी कल्याण विभाग करेगा बजट का वहन 

हम आपको बता दे कि राज्य संचालक राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक री आईरीन सिंथिया जे पी ने अपने आदेश में यह उल्लेख किया है कि कार्य समूह के द्वारा आदिवासी भाषा एवं बोलियों पर जो कार्य संपादित किये जायेंगे जिसमें आदिवासी समुदायों की भाषा, संस्कृति, साहित्य का अनुसंधान एवं अध्ययन के साथ ही आदिवासी भाषा/बोली पर आधारित पाठ्यक्रम को कक्षा 1 से 12 के पाठ्यक्रम में समावेश पर विचार-विमर्श कर प्रतिवेदन तैयार करेंगे । इसके साथ ही आदिवासी भाषा/बोली के पाठ्यक्रम संबंधी प्रतिवेदन को मध्य प्रदेश पाठ्यकपुस्तक स्थायी समिति से अनुमोदन/निर्णय उपरांत नियमानुसार कार्य करेंगे। वहीं जनजाति संबंधी समस्त कार्य के लिये बजट व्यय आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा वहन किया जायेगा एवं समस्त कार्य के लिये शीघ्र कार्यवाही टीआरआई से समिति समन्वयक एवं समिति सदस्य द्वारा की जायेगी ।

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