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छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूचित क्षेत्रों में जाकर जानेंगी हकीकत और करेंगी जनसुनवाई

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूचित क्षेत्रों में जाकर जानेंगी हकीकत और करेंगी जनसुनवाई

राज्यपाल से छत्तीसगढ़ आदिवासी कल्याण संस्थान के प्रतिनिधिमण्डल ने की मुलाकात  

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से आज यहां राजभवन में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिमण्डल ने मुलाकात की। उन्होंने सभी प्रतिनिधिमण्डलों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनीं और उनके निराकरण के लिए मुख्यमंत्री से चर्चा करने की बात कही। राज्यपाल सुश्री उइके ने प्रतिनिधिमण्डलों से कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में जो प्रावधान किए गए हैं, उनका और उन्हें मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिल रहा है कि नहीं इसके लिए वे अनुसूचित क्षेत्रों के जिला स्तर पर जाकर इसकी समीक्षा करेंगी, जिससे संवैधानिक अधिकारों का समय पर लाभ उन्हें मिल सके। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति लोगों के साथ किसी प्रकार का कोई अन्याय न हो, इसके लिए वे स्वयं व्यक्तिगत रूप से आवश्यक प्रयास करेंगी। इस अवसर पर गोंडवाना समाज समन्वय समिति चारामा, छत्तीसगढ़ आदिवासी कल्याण संस्थान रायपुर, सर्व आदिवासी समाज जिला ईकाई दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के प्रतिनिधिमण्डल उपस्थित थे। 

रायपुर। गोंडवाना समय।
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से शुक्रवार 30 अगस्त को राजभवन में छत्तीसगढ़ आदिवासी कल्याण संस्थान, रायपुर के प्रतिनिधिमण्डल ने मुलाकात कर अपनी विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने प्रतिनिधिमण्डल से कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची के तहत प्रदत्त अधिकारों का लाभ लोगों को मिल रहा है कि नहीं इसके लिए वे अनुसूचित क्षेत्रों में जाकर जनसुनवाई करेंगी। इस दौरान स्थानीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।

ग्राम सभा की बगैर अनुमति जमीन अधिग्रहण का नहीं है प्रावधान

राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने कहा कि विभिन्न प्रतिनिधिमण्डलों ने भेंट के दौरान बताया है कि अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में प्रदत्त अधिकार का लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा प्रावधानों का क्रियान्वयन भी सहीं ढंग से नहीं हो पा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची के तहत ग्राम सभा की अनुमति के बगैर जमीन का अधिग्रहण नहीं करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि वर्षों से जंगल में बसे ऐसे लोग जिन्हें अब तक वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि का पट्टा प्राप्त नहीं हुआ है या उनके प्रकरण पहले निरस्त किए जा चुके हों, उनके प्रकरणों की समीक्षा कराने के निर्देश दिए गए हैं। राज्यपाल ने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों के प्रतिनिधिमण्डल ने उन्हें बताया था कि वर्ष 2013 से उनके लिए सीधी भर्ती बंद कर दी गई थी। इस पर उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की थी और गत 27 अगस्त को हुई छत्तीसगढ़ जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में विशेष पिछड़ी जनजाति के सभी शिक्षित युवाओं की सूची तैयार कर उन्हें पात्रतानुसार सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया।

बंद पड़े स्कूलों की सूची मांगी ताकि उचित कार्यवाही की जा सके 

राज्यपाल ने कहा कि प्रतिनिधिमण्डल की मांग पर कहा कि वे बस्तर के अंदरूनी ऐसे क्षेत्रों में जहां नक्सली समस्या के कारण बंद पड़े स्कूल एवं आश्रम आदि को पुन: शुरू किया जाना है या अंदरूनी क्षेत्रों के बच्चों को सड़क किनारे सुरक्षित स्थानों पर स्कूल-आश्रम खोलकर पढ़ाने की व्यवस्था की जानी है, उनकी सूची उन्हें दें, ताकि उचित कार्यवाही की जा सके। उन्होंने बताया कि बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती स्थानीय लोगों से करने के लिए कनिष्ठ कर्मचारी चयन आयोग का गठन किया जा रहा है, इससे स्थानीय लोगों को शासकीय सेवा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि किसी गरीब परिवार के सदस्य के किसी दुर्घटना आदि में मृत्यु हो जाने पर और उसे कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही हो तो उनकी भी जानकारी उन्हें दी जाए, ताकि जरूरतमंद परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके।

स्थानीय बोली में प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने की मांग 

छत्तीसगढ़ आदिवासी कल्याण संस्थान, रायपुर के अध्यक्ष श्री एस. आर. नेताम ने कहा कि बस्तर के अंदरूनी क्षेत्र के बच्चों को सड़क किनारे सुरक्षित स्थानों पर स्थानीय बोली में गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने की मांग की। इस अवसर पर चारामा के श्री जीवन ठाकुर, दंतेवाड़ा के श्री सुरेश कर्मा, बचेली के श्री मंगल कुंजाम, बस्तर के गोंड़ी भाषाचार्य श्री शेरसिंह आचला, दुर्गकोंदल के श्री मेरसिंह दुग्गा और श्री सुखदेव कोड़ो ने विभिन्न समस्याओं की ओर राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट किया। इस मौके पर राज्यपाल के सचिव श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल सहित प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यगण उपस्थित थे।

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