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दिव्यांगजनों की सेवा समाज की सबसे बड़ी सेवा हैं क्योंकि दिव्यांगजन ईश्वर की है रचना-राष्ट्रपति

दिव्यांगजनों की सेवा समाज की सबसे बड़ी सेवा हैं क्योंकि दिव्यांगजन ईश्वर की है रचना-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने पुनर्वासित दिव्यांगजन बच्चों के साथ वातार्लाप किया

नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय दिव्यांगजन संस्थान दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने बहिरंग बाल रोगियों और पुनर्वासित दिव्यांगजन बच्चों एवं उनके माता-पिता से वातार्लाप किया। राष्ट्रपति ने दिव्यांगजन बच्चों और उनके अभिभावकों को दीपावली पर्व की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर, दिव्यांग बाल रोगियों को सहायक उपकरण भी भेंट किये गये। इसके पश्चात, राष्ट्रपति ने संस्थान के संकाय सदस्यों के साथ भी वातार्लाप किया। संस्थान के तीनों विभागों के प्रमुखों ने अपने-अपने विभागों का संक्षिप्त विवरण देते हुए जानकारी दी कि संस्थान में किस प्रकार से दिव्यांगजन रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार किया जाता है।

उचित उपचार प्रदान करने की दिशा में कर रहे सराहनीय कार्य 

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजनों की सेवा समाज की सबसे बड़ी सेवा हैं क्योंकि दिव्यांगजन ईश्वर की रचना हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान और संकाय के सदस्य दिव्यांग बच्चों और रोगियों को उचित उपचार प्रदान करने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उनकी सराहना करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वे न केवल शारीरिक उपचार प्रदान करते हैं बल्कि मनोवैज्ञानिक उपचार भी करते हैं। उन्होंने कहा कि वह दिव्यांग बच्चों और संस्थान के संकाय सदस्यों के साथ दीपावली पर्व को मनाने में आनन्द का अनुभव कर रहे है। इस अवसर पर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की सचिव, सुश्री शकुंतला डोई गैम्लिन, पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय दिव्यांगजन संस्थान की निदेशक, श्रीमती स्मिता जयवंत के अलावा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय एवं संस्थान के वरिष्ठ भी अधिकारी उपस्थित थे।

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