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बाघ के हमले से आदिवासी किशोरी की मौत, वन मंत्री के अफसरों को पहुंचने में लग गए कई घंटे

बाघ के हमले से आदिवासी किशोरी की मौत, वन मंत्री के अफसरों को पहुंचने में लग गए कई घंटे

मंडला/टाटरी। गोंडवाना समय।
जहां एक ओर वन विभाग के अफसर कान्हा पार्क क्षेत्र हो या अन्य कोई भी पर्यटन का केंद्र राष्ट्रीय स्तर का पार्क हो में वहां पर आने वाले अपने ही विभाग के अधिकारियों, प्रसिद्ध व्यक्तियों या नेताओं मंत्रियों की जी हुजुरी करने के लिये समय से पहले पूरी व्यवस्था के साथ पहुंच जाते है। यदि हम वन मंत्री उमंग सिंघार की ही बात करें तो उनके आवभगत में वन विभाग के अफसर कोई कमी कसर नहीं छोड़ते है हर काम समय से पूर्व करते है ताकि वन मंत्री के सामने अफसर के नंबर कम न हो वहीं वन्य प्राणियों के शिकार के मामले में शिकारी तो पकड़ते है तो फोटो शेसन कराने में भी वन विभाग के अफसर और कर्मचारी आरोपियों को पीछे छोड़ सबसे आगे दिखाई देते है लेकिन आदिवासी बालिका का बाघ के द्वारा शिकार किये जाने के मामले में मंडला जिले के वन विभाग अफसरों ने तो हद कर दिया जबकि घटना के संबंध में ग्रामीणों के द्वारा वन विभाग को एवं सोशल मीडिया में उक्त खबर बहुत तेजी से वायरल हुई थी लेकिन उसके बाद मंडला जिले के वन विभाग के अफसरों ने घटना स्थल पर पहुंचने में कई घंटे लगा दिया । इस मामले में ग्रामीण जन सहित क्षेत्रिय नागरिकों के द्वारा वन विभाग के वरिष्ठ अफसरों को लेकर सवाल खड़ कर रहे है।

वन विभाग के अफसर के सूचना के बाद 8 से 10 घंटे बाद पहुंचे घटना स्थल 

मंडला जिले के वन परिक्षेत्र राता अंतर्गत बीट झांगुल गांव से करीब तीन किमी दूर बकरी चराने गई किशोरी का शव मिला था। यह क्षेत्र कान्हा नेशनल पार्क से लगा हुआ है। जहां 18 अक्टूबर के दिन बाघ ने किशोरी का शिकार कर लिया था। गांव वाले जब खोजने गए तब उसका शव उन्होंने देखा। जिसकी सूचना वन विभाग को भी तत्काल दे दी गई लेकिन बहुत देर के बाद कहें या लगभग 8 से 10 घंटे के बाद ही वन अमला पहुंचा। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश के साथ नाराजगी व्याप्त रही। हम आपको बता दे कि मृतिका अमरीता परते पिता मनीराम परते झांगुल निवासी 14 वर्ष के साथ यह घटना घटी। वहीं बाघ के द्वारा आदिवासी नाबालिग बेटी का शिकार किये जाने के घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार अमरीता परते रोज बकरी चराने के लिये पास के ही जंगल में जाती थी और वह सुबह 7 बजे के लगभग जाती थी और 10 बजे आ जाती थी लेकिन घटना वाले दिन जब वह नहीं लौटी तो परिवार वाले व ग्रामीणों को संदेह हुआ। इसके बाद परिवार व गांव वालों ने जाकर उसे ढूढ़ने का प्रयास करने के लिये गये तो उन्हें पास में लगभग तीन किमी दूर जंगल में उसका क्षत विक्षत शव मिला। जिसके बाद वन अमले को ग्रामीणों ने सूचना दे दिया था लेकिन शाम तक वन अमला नहीं पहुंचा। सिर्फ डिप्टी रेंजर ही बहुत देर बाद पहुंचा था जिस पर ग्रामीणों ने नाराजगी भी व्यक्त किया था। उसके बाद देर शाम पुलिस बल और वन विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंची जिसके बाद करीब साढ़े 6 बजे के लगभग किशोरी का शव लेने टीम रवाना हुई।

पहले भी बाघ कर चुका है हमला 

इसके पूर्व में गिदली घुघरी वॉटर फॉल में सूरपाठी के ग्रामीण जन अस्थि विसर्जन के लिए घुघरी जल प्रपात गए हुए थे। उसी समय बाघ ने एक व्यक्ति के उपर हमला कर दिया था। वन विभाग जिला अस्पताल में कराया था। इसके पहले सूरपाठी के जंगल में चरवाहा गाय खोजने गया था। उस बीच बाघ द्वारा गाय पर हमला किया गया था। पास में ही पत्नी और कुत्ते के कारण वह बच पाया था।

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