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सिवनी के पूर्व डीईओ रवि बघेल का अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र अवैध

सिवनी के पूर्व डीईओ रवि बघेल का अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र अवैध

वर्तमान में होशंगाबाद में जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में है पदस्थ

सिवनी। गोंडवाना समय। 
सिवनी जिले के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी और वर्तमान में होशंगाबाद के जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में पदस्थ रवि बघेल पिता प्रहलाद सिंह बघेल निवासी बाबूजी नगर बारापत्थर सिवनी  का अनुसूचित जाति का बनवाया गया जाति प्रमाण पत्र अवैध घोषित हो गया है। भोपाल छानबीन समिति में शामिल चार सदस्यीय अधिकारियों ने प्रमाण पत्र को अवैध घोषित करते हुए नियम विरूद्ध जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा कर दी है।

रवि बघेल के जाति प्रमाण पत्र को लेकर 2015 में हुई थी शिकायत-

जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में सिवनी में पदस्थ रहे पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी रवि सिंह बघेल का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र को लेकर पांच साल पूर्व 29 जुलाई 2015 को सिवनी शहर के एकता कालोनी निवासी अशोक गोवंशी ने  प्रमुख सचिव  मप्र शासन अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को लिखित रूप से शिकायत की थी।  जिसके बाद 2 सितंबर 1994 एआईआर 1955 के अनुपालन में मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ 7-1/96 आ.प्र/ एक  दिनांक 8 सिंतबर 1997 के द्वारा राज्य स्तर पर अनुसूचित जाति के संदेहास्पद जाति प्रमाण पत्रों की जांच के लिए गठित की गई टीम जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रमुख सचिव मप्र शासन जाति कल्याण विभाग  मंत्रालय भोपाल , सदस्य सचिव के रूप में आयुक्त अनुसूचित जाति विकास मप्र भोपाल,सदस्य संचालक आदिम जाति अनुसंधान जाति विषय विशेषज्ञ संस्था मप्र भोपाल एवं सचिवअनुसूचित जाति आयोग मप्र शासन द्वारा शिकायत को गंभीरता से लेते हुए रवि सिंह बघेल के जाति प्रमाण पत्र की जांच-पड़ताल की। 2007 में बागरी जाति में हुए संशोधन को दृष्टिगत रखते हुए रवि सिंह बघेल की बागरी जाति को अनुसूचित जाति बागरी मान्य किए जाने के लिए प्रर्याप्त-ठोस आधार नहीं पाया गया और छानबीन समिति ने उनके जाति प्रमाण पत्र को अवैध करते हुए निरस्त करने का निर्णय लिया है। छानबीन समिति ने नियम विरूद्ध जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी के विरूद्ध जांच कर कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

एसपी के प्रतिवेदन में भी उल्लेख बागरी अनुसूचित जाति में सम्मिलित की पात्रता नहीं रखते-

पुलिस अधीक्षक सिवनी द्वारा 23 जुलाई 2018 को की गई जांच प्रतिवेदन में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि जिले में निवासरत बागडी/बागरी जाति अश्यपृश्यता से ग्रसित नहीं है उन्हें अनुसूचित जाति की सुविधाऐं प्रदान करने का कोई औचित्य नहीं है। आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक एफ 23- 55/98/25/04 भोपाल 14 जुलाई 2003 से शासन के समस्त विभागाध्यक्ष को अवगत कराया गया है कि प्रदेश के अन्य क्षेत्र जैसे महाकौशल,बुंदेलखंड,विन्ध्यप्रदेश क्षेत्रों में सामान्यत: बागरी कहलाने वाले व्यक्ति अनुसूचित जाति में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं रखते हैं। छानबीन समिति के पत्र में उल्लेख है कि रवि सिंह बघेल द्वारा जाति वैधता प्रारूप में दी गई जानकारी में मैं पैतृक व्यवसाय कृषि बताया एवं बागरी जाति अनुसूचित जाति होने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। छानबीन समिति द्वारा बागरी जाति के सर्वेक्षण में पाया कि बागरी अनुसूचित जाति में गौत्र परम्परा हिन्दु सामाजिक संरचना के अनुसार विद्यमान है और यह जाति पूर्व में अपराधिक जाति के रूप में पहचान रखती थी। परन्त अनावेदक के प्रकरण में यह तथ्य सिद्ध नहीं हो पाए गए। सर्वेक्षण के अनुसार सिवनी, जबलपुर,सतना, पन्ना जिलों में निवासरत बागड़ी जाति की समाजिक संरचना में कश्यप,भारद्वाज,शांडिल्य गोत्र पाए गए और इनके अंतर्गत नरवदा वंश,गोटिया वंश,छिबहा वंश,रितवा वंश पाए गए। एक वंश की शादी दूसरे वंश से होती है। मालवा क्षेत्र की बागरी जाति के सर्वेक्षण में पूर्वजों का मुख्य व्यवसाय चोरी,डकैती करना था।

जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लिया था पदोन्नति का लाभ-

विभागीय जानकारी के अनुसार वर्तमान में होशंगाबाद के जिला शिक्षा अधिकारी, सिवनी जिले के पूर्व डीईओ एवं निवासी रवि सिंह बघेल ने बागरी जाति का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र के बलबूते पर ही शासन से पदोन्नति प्राप्त की थी जिसके बाद वे जिला शिक्षा अधिकारी बने थे। अब छानबीन समिति द्वारा उनके जाति प्रमाण पत्र को अवैध घोषित किए जाने के बाद क्यों शासन स्तर से उनकी पदोन्नति वापस ली जाएगी और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी यह आने वाला समय ही बताएगा। इस संबंध में रवि सिंह बघेल का कहना है कि वे छानबीन समिति के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। उनका तो यह भी कहना है कि उनके जैसे सिवनी जिले में बागरी समाज के ऐसे कई अधिकारी-कर्मचारी मौजूद हैं जिनका अनुसूचित का प्रमाण पत्र मौजूद है और उसी आधार पर उनकी नौकरी और पदोन्नति हुई है।

छानबीन समिति के फरमान के बागरी समाज के सरकारी कर्मचारी सकते में-

छानबीन समिति द्वारा सिवनी निवासी रवि सिंह बघेल का बागरी को अनुसूचित जाति की श्रेणी में न मानते हुए उनके जाति प्रमाण पत्र को अवैध घोषित किए जाने के बाद सिवनी जिले में पूर्व में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी करने वाले कर्मचारी सकते में आ गए हैं। अगर रवि सिंह बघेल के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र को लेकर कार्रवाई हो गई तो बघेल समाज के अन्य शासकीय कर्मचारी जिनके अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

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