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बालाघाट में बाँस विकास के लिये बाँस विकास प्राधिकरण गठित

बालाघाट में बाँस विकास के लिये बाँस विकास प्राधिकरण गठित

आदिवासियों की आजीविका का प्रमुख साधन है बाँस 

भोपाल/बालाघाट। गोंडवाना समय।
प्रदेश के बाँस बहुल बालाघाट जिले में बाँस उत्पादन से रोजगार को बढ़ाने के लिये बाँस विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित प्राधिकरण में वन मण्डलाधिकारी दक्षिण सामान्य वन मण्डल बालाघाट सदस्य सचिव होंगे। आदिवासी विकास, वन, उद्योग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि, उद्यानिकी और शिक्षा विभाग के जिला-स्तरीय प्रमुख समिति के सदस्य होंगे। भारतीय वन के सेवानिवृत्त सेवा अधिकारी डॉ. ए.के. भट्टाचार्य प्राधिकरण के तकनीकी सलाहकार होंगे। कलेक्टर बालाघाट ने जिले को बाँस जिला घोषित करने राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा है।

स्थानीय लोगों को मिलेगा बाँस से पर्याप्त रोजगार

मध्य प्रदेश का लगभग 40 प्रतिशत बाँस क्षेत्र और 80 प्रतिशत बाँस उत्पादन बालाघाट जिले में होता है। जिले के आदिवासियों की आजीविका का प्रमुख साधन बाँस है। जिले में बाँस आधारित रोजगार उद्यमिता और उद्योग की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए प्राधिकरण का गठन किया गया है। मुख्य वन संरक्षक श्री एन.के. सनोडिया ने बताया कि स्थानीय लोगों को बाँस के माध्यम से रोजगार दिलाने के उद्देश्य से वन विभाग स्थानीय तौर पर और त्रिपुरा के अगरतला में बाँस से शिल्प एवं अन्य उपयोगी सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिलवा रहा है। पलंग, कुर्सी-टेबल आदि भारी बाँस की चीजें बनाने का प्रशिक्षण स्थानीय स्तर पर और बारीक शिल्प बनाने का प्रशिक्षण त्रिपुरा के अगरतला में दिलाया जा रहा है। बाँस शिल्पियों द्वारा तैयार उत्पादों को बाजार भी मुहैया कराया जा रहा है। प्रशिक्षण मिलने से स्थानीय युवा वर्ग को रोजगार के बेहतर साधन मिले हैं। अगरतला में प्रशिक्षण के बाद शिल्पी स्थानीय स्तर पर मिलने वाले हरे बाँस से सुंदर कलाकृतियाँ तैयार करते हैं। इसके लिये किसानों को हरा बाँस उगाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को भी बाँस उत्पादन से आय का अतिरिक्त साधन मिला है। पिछले दिनों भोपाल में हुए हर्बल मेले में बालाघाट के बाँस उत्पादों की अच्छी-खासी बिक्री होने के साथ लोकप्रियता भी बढ़ी है।

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